Dhamtari Municipal Corporation : बजट ध्वस्त होने से अधिक दुर्भाग्यजनक है बजट बैठक का ध्वस्त होना – शशि पवार

Dhamtari Municipal Corporation : बजट ध्वस्त होने से अधिक दुर्भाग्यजनक है बजट बैठक का ध्वस्त होना - शशि पवार

Dhamtari Municipal Corporation : बजट ध्वस्त होने से अधिक दुर्भाग्यजनक है बजट बैठक का ध्वस्त होना – शशि पवार

 

नगर हित मे महापौर को इस्तीफा दे देना चाहिये – कविन्द्र

Dhamtari Municipal Corporation : विश्वास खो चुके हैं महापौर विपक्ष ला सकता है अविश्वास प्रस्ताव – धनीराम सोनकर

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Dhamtari Municipal Corporation : धमतरी नगर निगम में विगत 11 अप्रैल को जो घटित हुआ हो अप्रत्याशित एवं दुर्भाग्यजनक था। बजट को लेकर आहूत की गयी सामान्य सभा की बैठक बिना बजट पेश किये ही समाप्त हो गयी।

इस घटना को लेकर भाजपा ने मोर्चा खोल दिया है। भाजपा पदाधिकारियों एवं पार्षदों के प्रतिनिधि मंडल द्वारा पिछले दिनों इसको लेकर कलेक्ट्रेट में ज्ञापन सौंपा गया। जिसमे विधि विरुद्ध कार्यों का हवाला देते हुए महापौर एवं सभापति की बर्खास्तगी की मांग भी की गयी है।

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पार्षदों के द्वारा इस आशय का एक पत्र संचालक नगरीय प्रशासन विभाग एवं विभागीय सचिव को भी दिया गया है। भाजपा जिलाध्यक्ष शशि पवार ने संपूर्ण घटनाक्रम पर अपनी तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि बहुमत न होने के डर से बौखलाहट मे महापौर ने जो कदम उठाया वो हास्यास्पद एवं दुखद था। बजट ध्वस्त होने से ज्यादा

दुर्भाग्यजनक बजट जैसी महत्वपूर्ण बैठक का बिना कार्य पूर्ण किये ध्वस्त होना है। नगर की सत्ता के इतिहास मे यह पहली घटना है। जिला महामंत्री कविन्द्र जैन ने कहा कि निगम महापौर न तो निगम की परंपरा को जानते हैं, न उन्हे अधिनियम की समझ है और उन्होंने निगम के निर्वाचित सदस्यों का विश्वास भी खो दिया है। विकास विरोधी

भ्रष्टाचार मे लिप्त नगर सरकार के मुखिया को पद पर बने रहने का अब कोई अधिकार नही रह गया है। उन्हे नगर हित में तत्काल अपना इस्तीफा दे देना चाहिए। भाजपा के वरिष्ठ पार्षद एवं छाया महापौर धनीराम सोनकर ने कहा कि बजट बैठक को बीच मे छोड़कर भाग खड़े होने वाले महापौर विजय देवांगन को इतिहास में भगौड़े महापौर के रूप में याद

किया जायेगा। उन्हे इस बात का भी ज्ञान नही कि सामान्य सभा की बैठक का कायदा क्या है। उनके द्वारा अपनी मर्जी से बैठक छोड़ कर जाना तथा 15 दिन बाद बजट पेश करने की बात कहना उनकी प्रशासनिक अक्षमता को प्रदर्शित करता है। सत्ता पक्ष के पार्षदों की अनुपस्थिति से यह स्पष्ट है कि महापौर सदन मे अपना विश्वास खो चुके हैं। विपक्षी पार्षद बहुत जल्द महापौर के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने की तैयारी में है।

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