Dantewada latest news राजनीतिक पार्टियों द्वारा स्टार प्रचारकों द्वारा रैली, जुलूस रोड शो करना, पार्टियों द्वारा खोखले वादे करना आदि चुनावों से जुड़े भौतिक पक्ष
Dantewada latest news दंतेवाड़ा ! चुनावी शोर में दबती आम आदिवासी किसानों की आवाज़ किसान नेता संजय पंत भारतीय किसान यूनियन के प्रदेश अध्यक्ष संजय पंत ने प्रेस नोट जारी कर भारतीय लोकतंत्र में होने वाले चुनावों के आध्यात्मिक एवं भौतिक पक्षों पर समीक्षात्मक टिप्पणी की है। किसान नेता आगे कहते हैं कि चुनाव चाहे किसी स्कूली कक्षा के कक्षा नायक का हो या देश चलाने के लिए प्रधानमंत्री का हो, चुनाव का प्रमुख लक्ष्य इसमें मतदान करने वाले मतदाताओं का हित करना होता है।
लोकसभा चुनावों की घोषणा हो चुकी है। राजनीतिक पार्टियों द्वारा स्टार प्रचारकों द्वारा रैली, जुलूस रोड शो करना, पार्टियों द्वारा खोखले वादे करना आदि चुनावों से जुड़े भौतिक पक्ष है जबकि चुनाव का आध्यात्मिक पक्ष सिर्फ और सिर्फ चुने हुए प्रत्याशी द्वारा जनता का हित करना होता है। यह भारतीय लोकतंत्र का दुर्भाग्य ही है कि चुनावों में राजनीतिक पार्टियों एवं राजनेताओं द्वारा चुनावों के भौतिक पक्षों पर ही ध्यान दिया जाता है एवं आध्यात्मिक पक्ष को सिरे से नकार दिया जाता है। पिछले दस वर्षों से देश की बागडोर संभालने वाले भारतीय जनता पार्टी के राजनेताओं को वोट मांगने से पहले जनता को यह बताना चाहिए कि उन्होंने पिछले दस वर्षों में जनता के लिए ऐसा क्या किया है कि जनता उन्हें फिर से अपना वोट दे।
पूरे देश में भारतीय जनता पार्टी के स्थानीय उम्मीदवारों की जगह सिर्फ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के नाम पर वोट मांगने की राजनीति देश को लोकतंत्रात्मक शासन प्रणाली से अध्यक्षात्मक शासन प्रणाली की ओर धकेल रही है। यदि आदिवासी बहुल आरक्षित बस्तर लोकसभा सीट की बात करें तो पिछले दस वर्षों में नरेंद्र मोदी जी सरकार ने ऐसा कुछ भी उल्लेखनीय कार्य नहीं किया है जिससे आदिवासी जनता प्रभावित होकर भारतीय जनता पार्टी को अपना कीमती वोट दें। बस्तर क्षेत्र में गरीबी, भूखमरी, कुपोषण, अशिक्षा एवं नक्सल हिंसा जैसी सामाजिक कुरीतियों में बेतहाशा वृद्धि हुई है। पांचवी अनुसूची, ग्राम सभा, पेसा कानून, भूमि अधिग्रहण अधिनियम एवं वन संरक्षण अधिनियम जैसे आदिवासी हितैषी संवैधानिक प्रावधानों का बार-बार उल्लंघन किया गया है।
नक्सली एनकाउंटर के नाम पर भोली-भाली आदिवासी जनता मारा जा रहा है जो केंद्र सरकार के नजर में एक आम आदिवासी की जान की कीमत को दर्शाता है। जल, जंगल जमीन को लूटने के इस पूरे खेल में अंतिम नुकसान बस्तर के आम किसान आदिवासी का ही हो रहा है। किसान नेता आगे कहते हैं कि देश का पेट भरने वाले किसानों का विनाश करने के लिए केंद्र सरकार द्वारा लाये गए तीन काले कृषि कानूनों को किसान जनता के जबरदस्त विरोध के बाद रद्द किया गया जबकि अभी तक न्यूनतम समर्थन मूल्य के लिए कोई भी ठोस कानून नहीं लाया गया है। मोदी सरकार में केंद्रीय मंत्री रहे राजनेता के बेटे द्वारा कार से किसानों को कुचलकर मारा गया दोषियों को अभी तक सजा नहीं दी गई है।
मध्य भारत का फेफड़ा कहे जाने वाले हसदेव जंगल को पूंजीपतियों को लाभ देने के लिए बेचा गया। मणिपुर में आदिवासी महिलाओं को नग्न परेड कराया गया केंद्र सरकार के किसी भी मंत्री ने एक शब्द तक नहीं कहा। लौह अयस्क खनन से प्रभावित बैलाडीला पहाड़ के आम आदिवासी किसान आज भी लाल पानी पीने के लिए मजबूर हैं। बीजापुर जिले के मुदवेंडि गांव में 6 माह की बच्ची को गोली से मारा गया। इन सभी घटनाओं ने आदिवासियों के बीच भारतीय जनता पार्टी की विश्वसनीयता को शून्य कर दिया है।
पूंजीवादी, शोषणकारी एवं सांप्रदायिक ताकतों से घिरी तथा चार सौ सीटों का सपना देखने वाली भारतीय जनता पार्टी आने वाले चुनावों में असलियत देखेगी। आने वाले चुनाव बस्तर की आदिवासी जनता की दिशा एवं दशा को निर्धारित करेगी। बस्तर की आदिवासी जनता प्राकृतिक संसाधनों को लूटने के इस खेल को और बर्दाश्त नहीं करने वाली है।
आदिवासी, दलित, पिछड़े, अल्पसंख्यक, किसान, मजदूर, महिला, युवा बेरोजगार सहित बहुजन समाज एकजुट होकर आने वाले चुनाव में पूंजीवादी एवं शोषणकारी मानसिकता वाली राजनीतिक पार्टी को मुंहतोड़ जवाब देगी।