Dantewada ग्रामीण महिलाओं की सामाजिक आर्थिक स्थिति सुधारने में गौठानों की भूमिका अहम

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Dantewada आय के साथ आत्मविश्वास भी पाया सुवती ने गौठान से बीते 4 सालों से गौठान में काम कर रही सुवती के साथ अन्य महिलाएं भी आत्म विश्वास के साथ हो रही हैं आत्मनिर्भर |

Dantewada दंतेवाड़ा । ग्रामीण महिलाओं की सामाजिक आर्थिक स्थिति सुधारने में गौठानों की भूमिका इस मायने में महत्वपूर्ण है कि इसके जरिए महिलाएं स्व-रोजगार के नये-नये क्षेत्रों से परिचित हुई जिसमें उन्हें शासन की सभी जनोन्मुखी योजनाओं से लाभान्वित होने में सक्षम एवं जागरूक बनाया यह कहना ज्यादा उचित होगा कि पिछले 4 वर्षों में स्थानीय ठेठ ग्रामीण महिलाओं में जो आर्थिक आत्मनिर्भरता, सहभागिता, कौशल विकास के प्रति अभूत पूर्व लहर दिखाई दे रही है। उसकी पृष्ठभूमि में कहीं न कहीं गौठान का ही योगदान है। इस कड़ी में गीदम विकासखंड अंतर्गत बड़े कारली गौठान से बीते 4 सालों से जुड़ी 35 वर्षीया  सुवती वेके बताती है कि गौठान से जुड़ना उनके जीवन का महत्वपूर्ण मोड़ साबित हुआ है।

गौठान में वर्मी कम्पोस्ट, मशरूम उत्पादन, साग सब्जी, कुक्कुट पालन जैसी आजीविका गतिविधियों का संचालन तो हो ही रहा है इसके अलावा यहां गुड़ एवं तिल चिक्की बनाया जा रहा है। जिसकी सप्लाई जिले के आंगनबाड़ी केन्द्रों में की जाएगी। इसके साथ ही यहां समूह की महिलाएं पुरूषों का कार्य क्षेत्र माने जाने वाले ढाबे का संचालन भी कुशलता से कर रही हैं। अपने समूह के विषय में श्रीमती सुवती ने आगे बताया कि उनके कृष्ण सहायता समूह में लगभग 10 महिलाएं जुड़ी हुई है।

वे सभी ऊर्जा के साथ मिल जुलकर काम करते हुए आपसी दुख-सुख बांटती है। इस प्रकार गौठान में जुड़ने से उनकी आपसी रिश्तों में भी मजबूती आयी है। गौठान के माध्यम से होने वाली आमदनी से ये महिलाएं न केवल अपने बल्कि परिवार की आर्थिक जरूरतों को भी आसानी से पूरा कर पा रही है। हाल ही में श्रीमती सुवती ने मिले पैसे से अपने लिए नया मोबाइल खरीदा है। उनके समूह की अधिकतर महिलाओं के पास आज मोबाइल है और ये ठेठ ग्रामीण महिलाएं डिजिटल इंडिया का हिस्सा बनकर सभी प्रकार के फोन पे, गुगल पे, व्हाट्सएप, एप्लीकेशन चलाने में माहिर हो चुकी है।

गौरतलब है कि बड़े कारली गौठान की कृष्ण स्व सहायता समूह की महिलाएं अब तक वर्मी कंपोस्ट में 2 लाख 15 हजार रुपए की आय प्राप्त कर चुकी है। बड़े कारली गौठान में 4 स्व सहायता सूमहों के द्वारा कार्य किया जा रहा है। जिसमें कृष्ण स्व सहायता समूह, खुशी स्व सहायता समूह, कमल फूल स्व सहायता समूह तथा बांस बोड़नी बांगराम माता स्व सहायता समूह के द्वारा गौठान में अनेक प्रकार की एक्टिविटी की जा रही है।

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उल्लेखनीय है कि इन्ही समूह में से एक बांस बोड़नी स्व सहायता समूह द्वारा बड़े कारली में ’’मनवा ढाबा’’ के नाम से ढाबे का संचालन किया जा रहा है। इस ढाबे अतंर्गत 9 लोग कार्य कर रहे है। समूह की मुख्य महिला गीता कश्यप ने इस संबंध में बताया कि वे हर सुबह अपने घर से खुशी-खुशी आकर ढाबा में काम करती हैं और हमें ऐसा लगता कि जैसे हम घर में ही काम कर रहे है। उन्होंने यह भी बताया कि पिछले 1 साल में उन्हें ढाबे के माध्यम से लगभग 15 लाख रुपए तक की आमदनी मिली है।

 

आखिर में चेहरे पर चमक के साथ सुवती बताती है कि इस गौठान ने उनके सोच के दायरे से सब कुछ ज्यादा ही दिया है। उचित ही है कि जो महिलाएं कभी घरेलू काम में व्यस्त रहती थीं आज वही महिलाएं छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा महिलाओं को समूह के माध्यम से रोजगार, व्यवसाय से जोड़ने की मुहिम के चलते स्वरोजगार कर न सिर्फ अपने आपको मजबूत बनाया है। बल्कि अपने घर परिवार का सहारा भी बन रही है।

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