Congress benefit from Kharge खडग़े से कांग्रेस को कितना फायदा

Congress benefit from Kharge

हरिशंकर व्यास

Congress benefit from Kharge खडग़े से कांग्रेस को कितना फायदा

Congress benefit from Kharge कांग्रेस के पास हर मर्ज की एक दवा मल्लिकार्जुन खडग़े हैं। 2014 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की ऐतिहासिक हार हुई तो खडग़े लोकसभा में पार्टी के नेता बने। सिर्फ 44 सांसदों को लेकर लोकसभा में खडग़े पांच साल भारी भरकम बहुमत वाली भाजपा से भिड़ते रहे।

अगले लोकसभा चुनाव में खडग़े खुद हार गए तो उनको राज्यसभा में भेज कर राज्यसभा का नेता बनाया गया। महाराष्ट्र में संकट हो तो खडग़े आलाकमान के दूत बने और राजस्थान में जरूरत हुई तो खडग़े ही दूत बन कर गए। और जब अध्यक्ष पद की पहली पसंद अशोक गहलोत रेस से बाहर हुए तो खडग़े पार्टी अध्यक्ष के दावेदार बने। उन्होंने शुक्रवार को नामांकन भरने के आखिरी दिन नामांकन पत्र खरीदा और अध्यक्ष पद के लिए परचा भरा।

एक दिन पहले तक सबसे प्रबल दावेदार बताए जा रहे दिग्विजय सिंह ने शुक्रवार की सुबह अपने को रेस से अलग किया। वे खडग़े के प्रस्तावक बने।

अब अध्यक्ष पद के लिए दक्षिण भारत के दो नेताओं के बीच मुकाबला है। कर्नाटक के मल्लिकार्जुन खडग़े और केरल के शशि थरूर ने अध्यक्ष पद के लिए परचा भरा है। चूंकि खडग़े अघोषित रूप से पार्टी आलाकमान के उम्मीदवार हैं इसलिए उनका चुना जाना औपचारिकता भर है।

दिलचस्पी सिर्फ इतनी है कि थरूर कितना वोट ला पाते हैं। इससे पहले वाले चुनाव में सोनिया के खिलाफ जितेंद्र प्रसाद को 94 वोट मिले थे। उससे पहले सीतारम केसरी के खिलाफ शरद पवार को 882 और राजेश पायलट को 354 वोट मिले थे। थरूर कितना वोट हासिल कर पाते हैं और जी-23 गुट के कितने नेता उनकी मदद करते हैं यह देखने वाली बात होगी।

अब सवाल है कि खडग़े के कांग्रेस अध्यक्ष बनने से क्या सधेगा कांग्रेस को उनसे कितना फायदा होगा यह बिना किसी हिचक के कहा जा सकता है कि खडग़े से कांग्रेस को कोई फायदा अगर नहीं होता है तो कोई नुकसान भी नहीं होगा। गांधी परिवार के साथ कोई टकराव नहीं होगा।

वे आलाकमान के हिसाब से ही काम करेंगे। जहां तक फायदे की बात है तो कांग्रेस को बड़ा फायदा यह हो सकता है कि अगले साल मई में कांग्रेस कर्नाटक का चुनाव जीत जाए। खडग़े कर्नाटक की राजनीति का बड़ा चेहरा रहे हैं। वे नौ बार विधानसभा का चुनाव जीते हैं।

बतौर राष्ट्रीय अध्यक्ष वे कर्नाटक में कांग्रेस के लिए प्रचार करेंगे तो कांग्रेस को फायदा होगा। अगर कांग्रेस उनके नाम पर कर्नाटक में जीतती है तो यह बहुत बड़ी बात होगी। इसके अलावा लोकसभा चुनाव में भी कर्नाटक में कांग्रेस का प्रदर्शन सुधर सकता है।

पिछले चुनाव में कांग्रेस सिर्फ एक सीट जीत पाई थी और राज्य की 28 में से 25 सीटों पर भाजपा जीती थी। खडग़े के अध्यक्ष बनने से अगर वहां कांग्रेस का प्रदर्शन सुधरता है तो भाजपा को नुकसान होगा यह कांग्रेस के लिए दोहरे फायदे की बात होगी।

कांग्रेस को हमेशा दक्षिण भारत से मदद मिलती रही है। जब भी कांग्रेस कमजोर हुई है तो दक्षिण भारत से उसकी वापसी हुई है- खास कर कर्नाटक से। इंदिरा गांधी भी 1977 में जब हारी थीं तब वे कर्नाटक के चिकमंगलूर से चुनाव लडऩे गई थीं।

सोनिया गांधी भी बेल्लारी से जाकर चुनाव जीत चुकी हैं। अब भी कांग्रेस के 52 में से आधे ज्यादा सांसद दक्षिण भारत के ही हैं। केरल और तमिलनाडु में कांग्रेस को पिछली बार बड़ी जीत मिली थी। इस बार फिर कांग्रेस उम्मीद कर रही है कि दक्षिण भारत के राज्यों में उसका प्रदर्शन बेहतर होगा। दक्षिण भारत का राष्ट्रीय अध्यक्ष होने से कांग्रेस की उम्मीद पूरी हो सकती है।

खडग़े से दूसरा फायदा उनके दलित होने और सबसे वरिष्ठ होने की वजह से है। हालांकि कांग्रेस ने पहली बार पंजाब में दलित मुख्यमंत्री बना कर भी एक मैसेज दिया था लेकिन वहा वह फेल हो गई थी। इसके बावजूद पार्टी ने दलित राष्ट्रीय अध्यक्ष बना कर बड़ा संदेश दिया है।

इसका असर पूरे देश में हो सकता है। इसके अलावा खडग़े की वरिष्ठता के कारण पार्टी के समान विचारधारा वाली पार्टियों के साथ तालमेल की बात में भी आसानी होगी। खडग़े आसानी से सभी के साथ अच्छे संबंध बना लेते हैं।

ऊपर से पिछले आठ साल से दोनों सदनों के नेता के तौर पर उन्होंने सभी विपक्षी नेताओं के साथ बेहतर तालमेल करके सरकार को घेरने का काम किया है। सो, सभी विपक्षी नेताओं के साथ उनके संवाद है और अच्छा संबंध है। सब उनका आदर करते हैं। इसलिए वे विपक्षी एकता के मामले में भी वे कांग्रेस के काम आने वाले हैं।

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