Communist Party of India : भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी, अखिल भारतीय आदिवासी महासभा बैनर तले धरना प्रदर्शन किया गया।
सुकमा
दो सूत्रीय मांगों को ले करधरना प्रदर्शन किया
मुख्यमंत्री के नाम सौंपे गए ज्ञापन में कहा
एर्राबोर-ब समिति के फड़ों
में संग्राहकों को ठेकेदार और वन विभाग द्वारा
अधिक पत्ता खरीदी कर विभाग द्वारा तेन्दूपत्ता
संग्रहण कम दर्ज किया गया,
जिससे शासन को
रॉयल्टी का नुकसान हो रहा है
हक की लड़ाई के बीच अवरोध पैदा कर रही है सरकार कुंजाम
तेंदूपत्ता संग्राहकों का करोड़ों रुपए गबन
करने वाले ठेकेदारों पर राजनैतिक संरक्षण
का आरोप लगाते हुए पूर्व विधायक मनीष
कुंजाम ने कहा कि अगर ऐसा नहीं होता तो
ठेकेदार अब तक सलाखों के पीछे होता।
कुंजाम ने सभा को संबोधित करते हुए कहा शासन को रायल्टी व संग्राहकों
को वित्तीय नुकसान
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कि सिलगेर से जल्द ही पदयात्रा होगी और
आज की संख्या से
100 गुना ज्यादा

संख्या में लोग शामलि
होंगे। सुकमा जिला
मुख्यालय में शुक्रवार
को एक बार फिर से
आदिवासी महासभा
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के बैनर तले धरना प्रदर्शन किया गया।
मुख्यमंत्री के नाम सौंपे गए ज्ञापन में कहा
गया कि विगत कई दिनों से क्षेत्र की जनता व

भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी, अखिल भारतीय
आदिवासी महासभा द्वारा किकिरपाल टीन
खदान, पुसपल्ली संगमरमर खदान,

मुरतोण्डा गिट्टी खदान, मूलाकिसोली ग्रेनाईट
खदान को फर्जी ग्राम सभा के आधार पर
लीज दिया गया है, जिसका विरोध निरंतर
किया जा रहा है। मुलाकिसोली ग्रेनाईट खदान
पर देने की प्रक्रिया में है। सुकमा जिला
5वीं अनुसूची क्षेत्र के अंतर्गत आता है।
ग्राम
सभा की सहमति के बिना गौण खनिज का
लीज देना असंवैधानिक है। चारों खदानों का
•लीज तत्काल निरस्त करना आवश्यक है।

ज्ञापन में कहा गया कि कोन्टा ब्लॉक में आदिवासी
तेन्दूपता संग्राहक पता तोड़े चार महीने बीत गया है।
आज तक अधिकांश फड़ों में संग्राहकों को मजदूरी
का भुगतान नहीं किया गया है। इस मजदूरी से कृषि
कार्य, बच्चों की पढ़ाई में खर्च करते हैं।
समय से
मजदूरी भुगतान नहीं होने के कारण संग्राहक काफी
परेशान है।
इस क्षेत्र के संग्राहक शासन-प्रशासन को
कई बार लिखित आवेदन पेश कर अवगत कर चुके
है, लेकिन मजदूरी भुगतान नहीं किया जा रहा है।

खास कर एर्राबोर-अ और एर्राबोर-ब समिति के फड़ों
में संग्राहकों को ठेकेदार और वन विभाग द्वारा
अधिक पत्ता खरीदी कर विभाग द्वारा तेन्दूपत्ता
संग्रहण कम दर्ज किया गया, जिससे शासन को
रॉयल्टी का नुकसान हो रहा है और तेन्दूपत्ता
संग्राहकों को भी बोनस के रूप में मिलने वाला रकम
नहीं मिल पायेगा।
वास्तविकता से अलग हैं आंकड़े
मुख्यमंत्री के नाम सौंपे गए ज्ञापन में कहा गया कि
रिकार्ड में कम खरीदी बताकर संग्राहकों को गुमराह
किया जा रहा है। सुकमा वन मंडल के कोन्टा इलाके
में कई समितियों के फड़ों में शेष
दो सूत्रीय मांगों
को लेकर शासन, प्रशासन कड़ा प्रहार