Chhattisgarh model : गांवों में आ रही तेजी से समृद्धि

Chhattisgarh model :

घनश्याम केशरवानी
ओ.पी. डहरिया

Chhattisgarh model  रायपुर। छत्तीसगढ़ के गांवों में इन दिनों खुशी का माहौल है। गांव-गांव धान खरीदी चल रही है। किसानों की जेब में पैसा भी आ रहा है। गांवों में खेती किसानी का तरीका बदलते जा रहा है। सुदूर वनांचल क्षेत्रों में भी किसानों को ट्रैक्टर चलाते और आधुनिक कृषि यंत्रों का उपयोग करते देखा जा सकता है।

Chhattisgarh model  दरअसल इन बदलावों के पीछे मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल की किसान हितैषी नीतियां और कार्यक्रम हैं। उन्होंने सरकार बनते ही किसानों का कर्जा लम्बे समय बकाया सिंचाई कर माफ किया इसके साथ ही ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने की पहल शुरू की। पिछले चार सालों में किसानों-मजदूरों और गरीबों की जेब में एक लाख करोड़ रूपए से अधिक की राशि डाली गई है। इसका असर उद्योग और व्यापार जगत में देखने को मिला। कोरोना संकट काल में जहां देश में आर्थिक मंदी रही, वहीं छत्तीसगढ़ में इसका कोई प्रभाव नहीं पड़ा।

Chhattisgarh model  छत्तीसगढ़ में समावेशी विकास को प्राथमिकता दी गई है, इसके लिए छत्तीसगढ़ में विकास का नया मॉडल अपनाया गया। जहां सभी वर्गों के विकास के लिए न्याय योजनाओं की शुरूआत की गई है। इस मॉडल में ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर मुख्य फोकस है। राज्य में लगभग 31 लाख हेक्टेयर में धान की खेती होती है। समर्थन मूल्य में धान खरीदी के लिए राज्य में ढाई हजार से भी अधिक धान खरीदी केन्द्र बनाये गये हैं।

Chhattisgarh model  धान खरीदी की पूरी व्यवस्था कम्प्यूटरीकृत की गई है। इस व्यवस्था के माध्यम से किसानों को धान खरीदी की राशि ऑनलाइन मिल रही है। किसानों को धान बेचने में सुविधा के लिए एक मोबाईल एप ‘टोकन तुंहर हाथ‘ भी बनाया गया है। इसके माध्यम से धान खरीदी के लिए टोकन जारी किया जाता हेै इससे धान बेचने में किसानों को कठिनाईयों का सामना नहीं करना पड़ रहा है।

सुराजी गांव योजना में बनाए जा रहे गौठान से खुले में पशुओं की चराई पर रोक लगी है। वहीं इससे किसान आसानी से दोहरी फसल ले रहे है। गोधन न्याय योजना में गोबर से वर्मी कम्पोस्ट तैयार किए जा रहे है। इससे किसानों और पशुपालकों की आय में इजाफा हो रहा है। नरवा योजना से भू-जल स्तर को बनाए रखने में मदद मिल रही है। बाड़ी योजना से पोषण स्तर में वृद्धि हो रही है। घुरूवा योजना में स्मार्ट घुरूवा बनाए जा रहे है।

इसके अलावा लगभग 300 रूरल इंडस्ट्रियल पार्क गौठानों में विकसित किए जा रहे है। इससे युवाओं को स्वरोजगार का मौका मिल रहा है।

राज्य में लघू और सीमात किसानों की स्थिति को समझते हुए तथा खेती-किसानी की व्यवस्था को मजबूत बनाने के लिए इनपुट सब्सिडी की व्यवस्था की गई। राजीव गांधी किसान न्याय योजना के अंतर्गत किसानों को 9 हजार रूपए की इनपुट सब्सिडी दी जा रही है। धान के बदले उद्यानिकी, कोदो-कुटकी आदि की फसल लेने वाले किसानों को 10 हजार रूपए की इनपुट सब्सिडी दी जा रही है। इससे किसानों में खेती-किसानी के प्रति उत्साह बढ़ा है। किसानों की संख्या में वृद्धि के साथ ही खेती का रकबा भी बढ़ते जा रहा है।

छत्तीसगढ़ मॉडल से राज्य में कृषि एक लाभकारी व्यवसाय के रूप में बदलते जा रहा है। इस मॉडल में किसानों को इनपुट सब्सिडी के साथ सस्ते दर पर विद्युत और शून्य प्रतिशत ब्याज पर खेती-किसानी के लिए ऋण की व्यवस्था की जा रही है। इसके अलावा इस मॉडल में खेती के सहायक उद्योग-धंधे को भी बढ़ावा दिया जा रहा है। मछली पालन और लाख उत्पादन को खेती का दर्जा दिया गया है। मत्स्य पालन और लाख उत्पादन करने वाले किसानों को कृषि के समान ही दी जाने वाली सुविधाएं मिल रही हैं।

क्लाइमेट चेंज और किसानों की आय बढ़ाने की ओर भी ध्यान दिया जा रहा है। किसानों को सोलर ड्यूल पंप और लघू-सीमांत किसानों को सामुदायिक सौर सिंचाई परियोजनाओं का लाभ दिया जा रहा है। इससे वनांचल क्षेत्र में जहां अभी तक विद्युत नहीं पहुचंी है वहां रहने वाले किसानों को भी सिंचाई सुविधा का लाभ मिल रहा है। सामान्य क्षेत्र में किसानों की आय बढ़ाने के मद्देनजर सोलर ड्यूल पंप अनुदान पर दिये जा रहे हैं।

राज्य में उद्यानिकी फसलों की संभावनाओं को देखते हुए किसानों को उद्यानिकी खेती के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। किसानों को माइक्रोइरीगेशन, ग्रीन हाउस, शेडनेट और मलचिंग के लिए अनुदान दिया जा रहा है। उद्यानिकी फसलों को बढ़ावा देेने के लिए शाकम्भरी बोर्ड का गठन किया गया है। युवाओं को उद्यानिकी के क्षेत्र में रोजगार की संभावनाओं को देखते हुए पाटन में उद्यानिकी विश्वविद्यालय के साथ ही नये उद्यानिकी महाविद्यालय भी प्रारंभ किए जा रहे हैं।

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