Chhattisgarh सब्जी के लिए आत्मनिर्भर होने की राह पर छत्तीसगढ़

Chhattisgarh

राजकुमार मल

 

Chhattisgarh महंगा है लेकिन अच्छा है… सब्जी बाड़ियों में रिसर्च क्वालिटी के बीज को मिल रही प्राथमिकता

 

 

Chhattisgarh भाटापारा-पूरा ध्यान अब सब्जी की ऐसी प्रजातियों पर है,जिनकी मांग बाहर के राज्यों से पूरी की जाती है। बोई जा रहीं हैं ऐसी सब्जियां, जिनमें कीट रोधी क्षमता होती है और भरपूर उत्पादन देती है। यही वजह है कि अपना प्रदेश सब्जी के लिए आत्मनिर्भर होने की राह पर है।

मौसम आधारित सब्जी की खेती का चलन तो बना हुआ है लेकिन आश्चर्यजनक परिवर्तन यह देखा जा रहा है कि प्रदेश के सब्जी उत्पादक किसान पहली बार रिसर्च क्वालिटी के सब्जी बीज की बोनी को प्राथमिकता दे रहे हैं। सब्जी वैज्ञानिक हैरत में हैं, इस बदलाव को देखकर, तो खुश भी हैं कि रिसर्च क्वालिटी के बीज की स्वीकार्यता को प्रदेश के किसान पहले क्रम पर रखने लगे हैं।

Chhattisgarh मेहनत सफल हो रही

 

महात्मा गांधी वानिकी एवं उद्यानिकी विश्वविद्यालय सांकरा के डीन डॉ.अमित दीक्षित कहते हैं कि प्रदेश का सब्जी उत्पादक किसान जैसी जागरूकता रिसर्च क्वालिटी के सब्जी बीज को लेकर दिखा रहा है, उससे हमारी मेहनत सफल होती नजर आ रही है। रिसर्च में पहला ध्यान स्थानीय जरूरतें तो नजर में थीं ही, यह भी देखा गया कि ऐसे बीज तैयार किये जाएं, जिनमें कीट प्रतिरोधी क्षमता हो। भरपूर उत्पादन के लक्ष्य को लेकर किया गया अनुसंधान अब सफल हो रहा है क्योंकि प्रदेश की किसान बोनी में इसे प्राथमिकता दे रहे हैं।

Chhattisgarh खुश हैं संजय

 

संजय अग्रवाल। भाटापारा विकासखंड के ग्राम धुर्राबांधा में कर रहे हैं सब्जी की खेती। मौसम में बदलाव की वजह से परेशान जरूर हैं लेकिन हौसला बना हुआ है। टमाटर की खेती को प्राथमिकता पर रखने वाले संजय का कहना था कि हमेशा से उन्होंने कीट प्रतिरोधी और भरपूर उत्पादन देने वाले सब्जी बीज को प्राथमिकता में रखा। बेहद कठिन था यह काम लेकिन रिसर्च क्वालिटी के बीज से यह कठिनाई दूर हुई। टमाटर के बाद अब संजय मूली और ऐसी सब्जियों की खेती को पहले क्रम पर रख रहे हैं, जो समय से पहले तैयार होती हैं, जिसका फायदा भरपूर मांग की वजह से होता है।

Chhattisgarh हैरत में बीज दुकानें

 

सब्जी बीज बेचने वाली संस्थानें, यह देखकर हैरत में हैं कि किसान पहले की तरह भाव नहीं पूछते। पहला सवाल यह होता है, कितना उत्पादन होगा ? यह पूछने के बाद अंत में पूछते हैं कि किस तरह के कीट की आशंका है और कौन सा कीटनाशक डाला जाना सही होगा ? इस बदलाव में एक नया परिवर्तन यह भी देखा जा रहा है, कि सब्जी की खेती करने वाले किसान, रिसर्च क्वालिटी के बीज की मांग सबसे पहले कर रहे हैं। दुकानों की नजर में इसे सबसे बड़ा बदलाव माना जा रहा है।

Chhattisgarh स्वीकार है यह भाव

 

 

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Chhattisgarh सब्जी फसलों में टमाटर की तरह, इसका बीज भी शीर्ष पर बना हुआ है। 10 ग्राम का पैक किसान 20 रुपए में ले रहे हैं। धनिया पत्ती 300 रुपए किलो और मिर्च में 10 ग्राम के पैक की कीमत 20 रुपए बोली जा रही है। फूल गोभी 2000 से 2500 रुपए किलो पर है, तो पत्ता गोभी का बीज 3000 रुपए किलो पर उपलब्ध है। बरबट्टी का बीज 300 से 400 रुपए किलो पर मिल रहा है। मूली के बीज 400 रुपए किलो और करेला बीज 10 ग्राम का पैक 20 रुपए चिल्हर में खरीदी कर रहे हैं किसान। शिखर पर हैं भाजी की फसलें। ऐसे में लाल भाजी के बीज 150 रुपए किलो, मेथी बीज 80 रुपए, पालक बीज 60 रुपए किलो, चौलाई बीज 240 रुपए किलो, चेंच भाजी बीज 2 किलो का पैक 380 रुपए में किसान ले रहे हैं। भाजी के रूप में उपयोग किया जा रहा प्याज, मांग के दबाव में है। इसका बीज 300 से 400 रुपए किलो पर है।

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