खनिज संपदा का भारी दोहन कर रहे, विभाग मौन
सक्ती-डूमरपारा। डूमरपारा और छीता पड़रिया के घने जंगलों में बिना बाउंड्रीवाल, बिना सुरक्षा मानकों और बिना किसी स्पष्ट वैधानिक प्रक्रिया के बालाजी मेटल्स एवं मिनरल्स द्वारा खनन कार्य खुलेआम जारी है।
नागरिकों और पर्यावरण प्रेमियों का आरोप है कि बालाजी मेटल्स एवं मिनरल्स सभी विभागीय नियमों को धज्जियों में उड़ाते हुए राजनीतिक और प्रशासनिक संरक्षण में खनिज संपदा का भारी दोहन कर रही है। खनिज विभाग, वन विभाग, आरटीओ, पर्यावरण और श्रम विभाग की भूमिका संदिग्ध है, क्योंकि किसी भी विभाग ने अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं की है।
यह खदान न तो किसी प्रकार की बाउंड्री से घिरी है, न ही कोई सुरक्षा व्यवस्था वहां दिखती है। इससे न केवल कामगारों की जान को खतरा है, बल्कि आसपास के वन्यजीवों और पारिस्थितिकी तंत्र पर भी गंभीर प्रभाव पड़ रहा है। सवाल उठता है कि जब इतने विभाग इस क्षेत्र से जुड़े हुए हैं, तब इतने बड़े स्तर पर हो रही अव्यवस्था पर सब चुप क्यों हैं?
क्षेत्र के लोगों का कहना है कि विभागीय अधिकारी जानबूझकर आंखें मूंदे बैठे हैं और संभवत: खनन माफियाओं के साथ मिलीभगत में लिप्त हैं।
ग्रामीणों, समाजसेवियों और पर्यावरण कार्यकर्ताओं की मांग है कि इस पूरे प्रकरण की उच्चस्तरीय जांच की जाए। दोषी कंपनी के साथ-साथ संबंधित अधिकारियों पर भी कठोर कार्रवाई हो।