Celebrated Mother’s Day : खो सी गई है मां की ममता, बच्चे भूल गए हैं संस्कार, प्रजापिता ब्रह्माकुमारी विश्वविद्यालय ने मनाया मातृ दिवस
उमेश कुमार डहरिया
Celebrated Mother’s Day : मां शब्द से ही सारी सृष्टि समाई हुई है परंतु आज के बदलते दौर में मां की ममता कहीं खो सी गई है और कहीं बच्चे अपने संस्कार भूल गए हैं। अंतरराष्ट्रीय मातृ दिवस के प्रजापिता ब्रम्हाकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय सेवाकेंद्र टीपी नगर में महिला दिवस का कार्यक्रम मनाया गया। कार्यक्रम विद्यालय के सद्भावना भवन में हुआ। जिसमें प्रमुख रुप से अधिवक्ता मधु
Celebrated Mother’s Day : पांडे, महिला रोग विशेषज्ञ डॉ रजनी पांडे, नेत्र विशेषज्ञ डॉक्टर रेनू श्रीवास्तव, सचिव साइन लैंग्वेज इंटरप्रेटर पद्मिनी साहू, इनरव्हील क्लब के अध्यक्ष सिमरन अरोरा, प्रसिद्ध कवि अंजना सिंह ठाकुर, भगवती देवी अग्रवाल, रश्मि ओहरी, सेवा केंद्र संचालिका ब्रा.कु रुकमणी ब्रा.कु विद्या उपस्थित रही। मंचस्थ अतिथियों के द्वारा दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम
आरंभ किया गया। अपने विचार व्यक्त करते हैं डॉ. रजनी ने कहा वैचारिक प्रदूषण बढ़ रहा है मीडिया का ज्यादा उपयोग संस्कारों को बिगाड़ने का कारण बनता जा रहा है बच्चे स्वयं से कुछ नहीं सीखते वे माता-पिता को देखते हैं तब सीखते हैं चाहे अच्छा हो या बुरा माता-पिता को सोए उदाहरण स्वरुप बनाना होगा अधिवक्ता मधु पांडे ने कहा नारी की सुंदरता
वस्त्रों में नहीं अपितु उसके विचारों में होती है जो आनंद नम्रता में झुकने में है वह और किसी में नहीं है नारी का जो गुण है यदि आप उसे छोड़ देंगे तो फिर कोई मतलब नहीं साथ ही उन्होंने कहा कि अच्छे विचार रखे अच्छे कार्य करिए। सिमरन अरोरा ने बताया कि भगवान एक इस समय पर सब जगह उपस्थित नहीं हो सकते इसलिए उन्होंने मां की रचना की कि
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हम किसी को यह आभास ना हो कि प्रभु हमारे समक्ष नहीं है उन्होंने बताया कि गुरुवाणी में भी कहा जाता है तुम मां पिता हम बालक तेरे आप हो तो हम हैं आप नहीं तो हम नहीं। सेवा केंद्र संचालिका बीके रुकमणी दीदी ने कहा कि सबसे बड़ी मां ब्रम्हा और उससे भी ऊपर है परमपिता वह भी हमारी मां है और तीसरी प्रैक्टिकल जीवन की मां है जगदंबा
जिसका नाम परमात्मा शिव ने सरस्वती दीया तो यह तीन हमारी मां और समय भी हमारी मां है यह चार मां हमारे जीवन को परिवर्तन की दिशा दे रही है परमात्मा शिव ने ब्रम्हा के तन में आकर जो हमें ज्ञान दिया और नए संस्कारों को रचा उसको कैसे जीवन में प्रैक्टिकल आए उसके लिए जगदंबा को रखा जगदंबा मां को देखकर अनेकों ने संस्कार परिवर्तन कर
देव स्वरूप बनाया। कवियत्री अंजना सिंह ठाकुर ने अपनी कविताओं के माध्यम से समा बांधा। साथ ही शिक्षिका रश्मि ओहरी समाजसेविका भगवती देवी अग्रवाल और डॉ. रेनू श्रीवास्तव ने भी अपने विचार व्यक्त किए। संस्था की ओर से मंच का संचालन शेखर राम सिंह ने किया। कार्यक्रम के अंत में समाजसेविका रश्मि शर्मा ने सबका आभार व्यक्त करते
सभी को महिला दिवस की बधाई दी। बीके बहनों के द्वारा मंचस्थ अतिथियों को ईश्वर स्लोगन फोटो उपहार स्वरूप भेंट किया।इस अवसर पर पूर्व एल्डरमैन एस मूर्ति, डॉ. केसी देबनाथ डॉ. सब्बरवाल व संस्था से जुड़े भाई बहनों की उपस्थिति रही