Breaking सियासत की पिच पर भी खिलाड़ियों ने दिखाए कमाल की बल्लेबाजी

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Breaking सियासत की पिच पर भी खिलाड़ियों ने किया है कमाल


Breaking नयी दिल्ली !  खेल के मैदान पर बेहतरीन प्रदर्शन करने वाले खिलाड़ी सियासत की पिच पर भी अपना जबरदस्त परफाॅर्मेंस दिखाते रहे हैं और इस बार के लोकसभा चुनाव में भी अपने जलवे दिखाने में वे पीछे नहीं है।


खेल के मैदान से सियासत की पिच पर उतरे खिलाड़ी इस बार 18वीं लोकसभा चुनाव में उम्मीदवार के रूप में जोर-आजमाइश में लगे हैं। इनमें सबसे अधिक चर्चित एवं अनुभवी नाम कीर्ति आजाद का है जो अलग‘अलग राजनीतिक दलों के गलियारों से गुजरते और अपना सिक्का जमाते हुए इस बार 2024 के लोकसभा चुनाव में पश्चिम बंगाल की दुर्गापुर लोकसभा सीट से तृणमूल कांग्रेस के ध्वजवाहक हैं।

फिल्म सेलिब्रटीज और खिलाड़ियों को तरजीह देने वाली तृणमूल कांग्रेस ने बेहरामपुर संसदीय सीट से क्रिकेटर युसूफ पठान को अपना उम्मीदवार बनाया है। वहीं भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने भालाफेंक खिलाड़ी देवेंद्र झाझरिया को राजस्थान की चुरू सीट से टिकट दी है।


Breaking लोकसभा के चुनावी इतिहास में जीत की तिकड़ी बनाने वाले पूर्व क्रिकेटरों में कीर्ति आजाद और नवजोत सिंह सिद्धू के नाम प्रमुख हैं। सात टेस्ट मैच और 25 एकदिवसीय मैच खेल चुके तथा 1983 विश्व कप क्रिकेट में विजेता भारतीय टीम के सदस्य रहे श्री आजाद को एक तरह से राजनीति विरासत में मिली है। उनके पिता भागवत झा आजाद बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री थे।


श्री आजाद भाजपा उम्मीदवार के रूप में 1999, 2009 और 2014 के आम चुनाव में बिहार की दरभंगा सीट से सांसद निर्वाचित हुए थे। दिल्ली एंड डिस्ट्रिक्ट क्रिकेट एसोसिएशन में कथित अनियमितताओं और भ्रष्टाचार के मुद्दे को लेकर केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली के खिलाफ मुखर होने का खामियाजा उन्हें भुगतना पड़ा। वर्ष 2015 में भाजपा ने श्री आजाद को पार्टी विरोधी गतिविधियों के कारण पार्टी से निष्कासित कर दिया।


फरवरी 2019 में श्री आजाद कांग्रेस में शामिल हो गये , हालांकि इस साल के लोकसभा चुनाव में महागठबंधन शामिल दलों के साथ सीटों की साझेदारी के तहत उन्हें दरभंगा से टिकट नहीं मिल सका। यह सीट राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के हिस्से में चली गयी। बहरहाल कांग्रेस ने उनको झारखंड के धनबाद लोकसभा सीट से उम्मीदवार बनाया , लेकिन यहां से वह चुनाव हार गये और उनकी लगातार जीत का सिलसिला यहीं थम गया। हार के बावजूद  आजाज का जलवा कम नहीं हुआ है और 2024 के आसन्न लोकसभा चुनाव में तृणमूल कांग्रेस ने उन्हें दुर्गापुर संसदीय सीट से उम्मीदवार बनाया है।


Breaking क्रिकेट के अलावा टेलीविजन कार्यक्रमों के जरिए भी खासी लोकप्रियता बटोरने वाले श्री सिद्धू ने लोकसभा चुनाव में जीत की तिकड़ी लगाने के साथ ही विधानसभा चुनाव में भी जीत का सिक्का जमाया है। वर्ष 2007 में वह पंजाब की अमृतसर सीट से भाजपा की ओर से चुनाव लड़े और जीत हासिल की। बाद में 2007 में एक मामले में तीन साल की सजा होने के बाद उन्होंने सांसद पद से इस्तीफा दे दिया और निचली अदालत के फैसले काे शीर्ष अदालत में चुनौती दी, जहां से उन्हें चुनाव लड़ने की इजाजत दे दी गयी। फरवरी 2007 में ही अमृतसर सीट के लिए उपचुनाव हुआ और श्री सिद्धू ने यहां अपना कब्जा बरकरार रखा। वर्ष 2009 के आम चुनाव में भी उन्होंने जीत हासिल की।


बदलते राजनीतिक घटनाक्रमों के बीच श्री सिद्धू को आम आदमी पार्टी (आप) में शामिल होने से रोकने के लिए अप्रैल 2016 में राज्यसभा सदस्य मनोनीत किया गया, लेकिन कुछ महीने बाद 18 जुलाई को उन्हाेंने राज्यसभा सदस्य के पद से इस्तीफा दे दिया। जनवरी 2017 में वह कांग्रेस में शामिल हो गये और अमृतसर पूर्व निर्वाचन क्षेत्र से विधायक बने।


चुनावी परिदृश्य में देश की राजधानी दिल्ली चुनाव के दौरान समूची दुनिया का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करती रही है। वर्ष 2019 के चुनाव में भाजपा ने यहां की पूर्वी दिल्ली लोकसभा सीट से पूर्व क्रिकेटर अर्जुन पुरस्कार और पद्मश्री से सम्मानित गौतम गंभीर को चुनाव का बल्ला थमाया था और उन्होंने यहां से जीत हासिल की थी।


रणजी ट्राफी में उत्तर प्रदेश का प्रतिनिधित्व करने वाले मोहसिन रजा को भी सत्ता का स्वाद चखने का मिला। श्री रजा 2014 में भाजपा में शामिल हुए और दूसरे ही साल पार्टी के प्रवक्ता बनाये गये। वर्ष 2017 में राज्य में योगी आदित्यनाथ की अगुआई में भाजपा की सरकार बनी और वह मंत्री बने। उन्हें विज्ञान, प्रौद्योगिकी,सूचना प्रौद्यागिकी और मुस्लिम वक्फ मंत्रालय दिया गया।


पश्चिम बंगाल में क्रिकेट का ग्लैमर फिल्मों और टेलीविजन के ग्लैमर पर हावी रहा। यहां के मशहूर क्रिकेटर लक्ष्मी रतन शुक्ला ने अपने राजनीतिक कैरियर की शुरुआत तृणमूल कांग्रेस से की। श्री शुक्ला ने 2016 में राज्य के हावड़ा उत्तर निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव लड़ा और भाजपा की उम्मीदवार रूपा गांगुली को पराजित किया। वह सुश्री ममता बनर्जी सरकार के दूसरे कार्यकाल में खेल एवं युवा मामलों के मंत्री रहे।


क्रिकेट जगत की हस्तियों में चुनाव जीतने वालों में चेतन चौहान और मोहम्मद अजहरुद्दीन भी शामिल हैं। श्री चौहान ने दो बार 1991 और 1998 में अमरोहा लोकसभा सीट से भाजपा उम्मीदवार के रूप में चुनाव जीता। सैंतालीस टेस्ट मैचों में कप्तानी कर चुके श्री अजहरुद्दीन ने 2009 में उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद से कांग्रेस की ओर से चुनाव जीता । क्रिकेटर मोहम्मद कैफ चुनावी पारी के लिए 2009 में कांग्रेस की टीम की ओर से फूलपुर की पिच पर उतरे थे , लेकिन यहां वह क्लीन बोल्ड हो गए।


चुनाव के मैदान पर क्रिकेट के अलावा अन्य खेलों के महारथियों का भी कोई सानी नहीं रहा। पूर्व ओलंपिक हॉकी खिलाड़ी असलम शेर खान ने मध्यप्रदेश के बैतूल लोकसभा सीट से चार बार चुनाव लड़ा था , जिसमें दो में जीते और दो चुनाव हारे। श्री खान ने 2004 में भोपाल से राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी और 2009 में सागर से कांग्रेस उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ा था, लेकिन दोनों बार उन्हें शिकस्त मिली।
हॉकी के ही अन्य प्रसिद्ध खिलाड़ी रहे दिलीप तिर्की 2012 में बीजू जनता दल की ओर से राज्यसभा सदस्य निर्वाचित हुए। निशानेबाज पूर्व ओलंपियन एवं पद्मश्री राज्यवर्धन सिंह राठौर राजनीति पर अपना लक्ष्य साधते हुए 2013 में भाजपा में शामिल हो गये। वर्ष 2014 में वह जयपुर ग्रामीण लोकसभा सीट से भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़े और सांसद निर्वाचित हुए। वह केंद्र सरकार में सूचना एवं प्रसारण राज्यमंत्री बनाये गये। नौ नवम्बर 2017 को उन्हें खेल मंत्रालय का दायित्व सौंपा गया और दूसरे साल मई 2018 में सूचना एवं प्रसारण मंत्री का स्वतंत्र प्रभार दिया गया।


डिस्कस थ्रो की नामचीन हस्ती दिल्ली राष्ट्रमंडल खेल में स्वर्ण पदक प्राप्त तथा पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित कृष्णा पुनिया को राजनीति में कांग्रेस का साथ रास आया। उन्होंने 2018 में राजस्थान विधानसभा चुनाव में सादुलपुर(चुरू) से चुनाव लड़ा और विधायक निर्वाचित हुई।
दिलचस्प संयोग यह भी रहा कि 2019 के लोकसभा चुनाव में जयपुर ग्रामीण सीट पर वह दूसरी बार निशाना साधने उतरे और इस बार उनके मुकाबले सुश्री पुनिया थी , लेकिन श्री राठौड़ के सितारे बुलंदी पर थे और वह चुनाव जीत गये। इस बार 2024 के चुनाव में भाजपा ने उन्हें फिर से मौका नहीं दिया।


एथलीट में नाम रोशन करने वाली ज्योतिर्मय सिकदर ने 2004 में पश्चिम बंगाल की कृष्णानगर लोकसभा सीट पर तृणमूल कांग्रेस का ध्वज लिए दौड़ लगायी और जीत हासिल की , लेकिन 2009 में वह पिछड़ गयी और उन्हें हार का सामना करना पड़ा। पूर्व राष्ट्रीय तैराकी चैंपियन नफीसा अली ने भी 2004 में दक्षिण कोलकाता से कांग्रेस और 2009 में लखनऊ से समाजवादी पार्टी की ओर चुनाव लड़ा था, लेकिन उनके भाग्य ने साथ नहीं दिया और वह दोनों ही बार चुनाव हार गयीं।

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खेल के मैदान से राजनीति की सीढ़ियों पर कदम रखने वालों में पूर्व फुटबॉलर बाईचुंग भूटिया का नाम भी उल्लेखनीय है। फुटबॉल में अपने जबरदस्त शॉट को लेकर ‘सिक्किमी स्निपर’ के नाम से लोकप्रिय तथा अर्जुन पुरस्कार और पद्मश्री से सम्मानित श्री भूटिया ने अपने राजनीतिक सफर की शुरुआत तृणमूल कांग्रेस के साथ की थी। वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में वह दार्जिलिंग सीट से तृणमूल कांग्रेस की ओर से मैदान पर उतरे , लेकिन जीत का गोल कर पाने में असफल रहे।

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