BJP cheating बेरोजगारो को ठगने वाली भाजपा का रोजगार के नाम पर आंदोलन हास्यासपद : यादव
BJP cheating चारामा। छत्तीसगढ़ राज्य गौ सेवा आयोग के सदस्य एवं कांग्रेस के प्रदेश प्रतिनिधि नरेंद्र यादव ने कहा कि मोदी के राज में पूरे देश में 8 साल में सिर्फ 7 लाख लोगो को नौकरी मिला वहीं दूसरी ओर भूपेश सरकार ने अकेले छत्तीसगढ़ में 3 साल में 5 लाख लोगो को रोजगार दिया।
BJP cheating हर साल दो करोड़ लोगो को रोजगार देने का वायदा करने वाले प्रधानमंत्री मोदी राज में देश में नौकरियां दिवास्वप्न बन गयी है।
BJP cheating छत्तीसगढ़ में 2003 के चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने वादा किया था कि उनकी सरकार आने पर हर बेरोजगार को ₹500 मासिक भत्ता मिलेगा लेकिन 15 साल तक सरकार में रहने के बाद भी रमन सिंह ने बेरोजगारों को फूटी कौड़ी नहीं दिया।
BJP cheating रमन राज में बेरोजगारी दर 22% थी जो आज भूपेश सरकार में 0.33% है इससे स्पष्ट है की रमन सरकार के 15 साल मैं बेरोजगारों के साथ केवल छल हुआ और सभी विभाग में सरकारी नौकरी बंद थी लेकिन भूपेश सरकार के आने के बाद सभी विभाग में सरकारी नौकरी मे नियुक्ति हो रही है !
BJP cheating बस्तर और सरगुजा संभाग में कनिष्ठ कर्मचारी चयन बोर्ड बनाकर भूपेश सरकार ने तृतीय एवं चतुर्थ श्रेणी के सभी रिक्त पदों पर बेरोजगारों की नियुक्तियां की है जिसके कारण आज छत्तीसगढ़ में बेरोजगारी दर देश में सबसे कम है छत्तीसगढ़ में रोजगार के नाम पर आंदोलन और बयानबाजी करने वाली भाजपा की मोदी सरकार ने साढ़े आठ साल में सिर्फ 7 लाख युवाओं को ही रोजगार दिया और आने वाले तीन साल में मात्र 10 लाख रोजगार का लक्ष्य केन्द्र सरकार ने रखा है।
BJP cheating इसके विपरीत कांग्रेस की भूपेश बघेल सरकार ने छत्तीसगढ़ में पिछले पौने चार साल में 5 लाख युवाओं का रोजगार दिया और आने वाले पांच साल में 15 लाख युवाओ को रोजगार देने का लक्ष्य निर्धारित कर छत्तीसगढ़ रोजगार मिशन का गठन किया है। जबकि मोदी सरकार वायदे के अनुसार अभी तक 17 करोड़ लोगो को रोजगार मिलना था।
यादव ने कहा कि मोदी सरकार की प्राथमिकता में रोजगार है ही नहीं। केंद्र सरकार ने संसद के चालू सत्र में बताया कि 8 साल में उसने सिर्फ 7.22 लाख लोगों को नौकरी दी है यानी हर साल औसतन एक लाख से भी कम लोगों को नौकरी मिली इससे चिंताजनक आंकड़ा है कि 8 सालों में 22.5 करोड़ लोगों ने सरकारी नौकरियों के लिए आवेदन किया था !
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सोचे 22 करोड़ लोगों में से सिर्फ 7.22 लाख लोगों को नौकरी मिली सिर्फ 0.33 फीसदी यानी आवेदन देने वाले 1000 लोगों में से सिर्फ 3 लोगों को नौकरी मिली सोचे बाकी लोग कहां गए होंगे? क्या उनको निजी क्षेत्र में नौकरी मिली होगी या मनरेगा में काम कर रहे होंगे या उन्होंने पकौड़ा लगाने जैसा कोई स्वरोजगार शुरू किया होगा ?
चुनाव प्रचार में हर साल दो करोड़ नौकरियों का वादा था लेकिन वास्तव में हर साल 1 लाख लोगों को भी नौकरी नहीं मिली जब सरकारी नौकरी की यह स्थिति है तो निजी सेक्टर में इससे बेहतर उम्मीद नहीं की जा सकती नोटबंदी से लेकर जल्दबाजी में जीएसटी लागू करने और उसके बाद आई कोरोना महामारी ने अर्थव्यवस्था को जो नुकसान पहुंचाया उससे नौकरी का पूरा परिदृश्य बदल गया देश में ऐतिहासिक बेरोजगारी की स्थिति है !