Biodrainage technology जल जमाव खत्म करते हैं यह पेड़ ,आई बायोड्रेनेज तकनीक

Biodrainage technology

राजकुमार मल

Biodrainage technology  प्राकृतिक तरीके से जल जमाव की निकासी

Biodrainage technology  भाटापारा-जल जमाव वाले क्षेत्रों के लिए राहत। पेड़ों की ऐसी 9 प्रजातियों की पहचान में सफलता मिली है, जिनकी मदद से सतह पर जमा पानी की निकासी प्राकृतिक तरीके से की जा सकेगी।

Biodrainage technology बायोड्रेनेज सिस्टम। यह उस तकनीक का नाम है, जिसे जल जमाव वाले क्षेत्रों के लिए विशेष रूप से तैयार किया गया है। नई तकनीक से भारी वर्षा के बाद जल जमाव से फसल को होने वाले नुकसान से बचाया जा सकेगा, वहीं इन पेड़ों से गिरने वाली पत्तियों से जैविक खाद भी बनाई जा सकेगी। दिलचस्प यह कि कुछ प्रजातियों की पत्तियों में कीटनाशक के गुण भी मिले हैं।

 

यह है बायोड्रेनेज सिस्टम

Biodrainage technology पेड़ों की जिन प्रजातियों की पहचान की गई है, उनमे सतह का जल अवशोषित करने की क्षमता गजब की है । प्रभावित क्षेत्र के करीब लगाने पर यह प्रजातियां महज तीन बरस में तैयार हो जातीं हैं। परीक्षण में कुछ प्रजातियां तो 25 प्रतिशत तक पानी अवशोषित करने में सक्षम पाई गई हैं। रोपण के लिए दो पौधों के बीच मानक दूरी का ध्यान रखना होगा।

ऐसे क्षेत्र के लिए वरदान

Biodrainage technology भारी बारिश के बाद खेतों में जमा पानी की निकासी हमेशा से परेशान करती आई है। गहराई वाली भूमि में यह समस्या हर बरस आती रहती है। लिहाजा ऐसे क्षेत्र की करीब की खाली भूमि या फिर मेड़ो में इन प्रजातियों के पौधों का रोपण किया जा सकता है। दिलचस्प यह कि जिन प्रजातियों की पहचान हुई है, उन्हें मिट्टी की किसी भी किस्म और प्रतिकूल मौसम में भी खुद को तैयार करने में सक्षम पाया गया है।

प्रजाति और क्षमता

जिन 9 प्रजातियों के पेड़ों को जल अवशोषित करने में सक्षम माना गया है, उनमें नीलगिरी, अर्जुन,कदम्ब, करंज, कांटा बांस, देसी बबूल, जामुन, केजुरिना और विलायती बबूल मुख्य हैं। इसमें नीलगिरी 25.06 प्रतिशत क्षमता के साथ शीर्ष पर है। 22.03 प्रतिशत क्षमता के बबूल 21.05 प्रतिशत क्षमता के साथ तीसरे क्रम पर है। शेष की भी क्षमता इनके ही आसपास है।

यह अतिरिक्त लाभ

बायोड्रेनेज तकनीक में जिन पेड़ों को उपयुक्त माना गया है, उनकी लकड़ियां ईंधन के काम में लाई जा सकती हैं। इनकी पत्तियां जैविक खाद के लिए सही मिली हैं। कुछ प्रजाति के पेड़ों की पत्तियों में तो प्राकृतिक कीटनाशक के तत्व के होने की जानकारी सामने आई है, यानी जल जमाव से होने वाली परेशानी तो दूर की ही जा सकेगी साथ ही जैविक खाद भी बिना खर्च के तैयार किया जा सकेगा।

अधिकतम आय प्रदान करती है

यह तकनीक खाद्य, चारा, ईधन- लकड़ी के उत्पादन के माध्यम से किसानों को अधिकतम आय प्रदान करती है तथा कार्बन अनुक्रमण और कार्बन क्रेडिट में भी मदद करता है l
अजीत विलियम्स, वैज्ञानिक (वानिकी), बैरिस्टर ठाकुर छेदीलाल कृषि महाविद्यालय एवं अनुसंधान केंद्र, बिलासपुर (छ.ग.)

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

MENU