Bhilai Steel Plant : बीएसपी को 10 दिन की मोहलत उसके बाद काम बंद …पढ़िए पूरी खबर

Bhilai Steel Plant :

रमेश गुप्ता

Bhilai Steel Plant भिलाई । भिलाई इस्पात संयंत्र में कार्य करने वाले श्रमिकों के स्वास्थ्य जांच लिए लागू किए गए नए नियम, वाहन चालकों का गेट पास तथा बाहरी ठेकेदारों को काम दिए जाने की वजह से स्थानीय ठेकेदारों को कई परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। नए नियम के तहत जो श्रमिक स्वास्थ्य जांच में फिट होगा उसे ही गेट पास दिया जाएगा।

पुराने श्रमिकों को अनफिट कर दिया जा रहा है। बाहरी श्रमिकों को फिट कर दिया जा रहा है और स्थानीय को अनफिट। ऐसे में एक समय ऐसा आएगा जब भिलाई इस्पात संयंत्र में स्थानीय ठेकेदारों व श्रमिकों के लिए कोई काम ही नहीं होगा। अगर बीएसपी प्रबंधन द्वारा समस्याओं का निराकरण नहीं किया गया तो 10 दिन बाद काम बंद कर दिया जाएगा।

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Bhilai Steel Plant कोई भी ठेकेदार प्लांट के भीतर काम नहीं करेगा। उक्त बातें भिलाई स्टील प्लांट कान्ट्रेक्टर्स वेलफेयर एसोसिएशन के पदाधिकारियों ने रविवार को आयोजित पत्रकार वार्ता में कही। इस दौरान हितेश भाई पटेल, एसोसिएशन के अध्यक्ष त्रिलोकी सिंह, महासचिव मधुसुदन शर्मा, कार्यकारी अध्यक्ष नवीन कुमार, आर मधुसुदन नायर, उपाध्यक्ष वीएस त्रिपाठी, कार्यकारी महासचिव राजेश कुमार सिन्हा, सह सचिव इन्द्रजीत सिंह, , निरंजन सिंह, कोषाध्यक्ष मनीष कुमार शर्मा , सलाहकार अवधेश कुमार मौजूद थे।

एसोसिएशन के हितेश भाई पटेल ने कहा कि जो श्रमिक स्वास्थ्य जांच के बाद फिट घोषित किए जाएंगे उन्हें ही बीएसपी द्वारा गेट पास जारी किया जाएगा। श्रमिकों के स्वास्थ्य जांच लिए भिलाई इस्पात संयंत्र द्वारा बिलासपुर के रेणुका डायग्नोस्टिक को 1 फरवरी 2023 से 31 जनवरी 2026 तक के लिए 5 करोड़ 64 लाख 9 हजार 98 रुपए में ठेका दी गई है। बीएसपी में जो पुराने श्रमिक कार्यरत हैं उन्हें किसी न किसी तरीके से स्वास्थ्य जांच जैसे बीपी, शूगर आदि से अनफिट किया जा रहा है। एक श्रमिक की स्वास्थ्य जांच के लिए 1450 रुपए लिया जाता है।

अनफिट आने वाले श्रमिकों को ईएसआईसी जांच के लिए भेजा जाता है। कहा जाता है कि वहां जाकर इलाज कराए, दवा खाए और आराम करें। एक-दो माह कोई श्रमिक घर में खाली नहीं बैठ सकता। कहीं दूसरी जगह काम पर लग जता है। अनफिट घोषित होने के बाद अगर कोई श्रमिक काम पर नहीं आता है तो ठेकेदारों को आर्थिक परेशानी का सामना करना पड़ता है क्योंकि जमा कराए गए मेडिकल एण्ड सेफ्टी एप्लांसेस वापस नहीं किया जाता। ऐसे में ठेकेदारों को आर्थिक नुकसान हो रहा है।

वर्तमान में बीएसपी में 229 ठेका कम्पनी कार्य कर रहे है। हितेश भाई पटेल का कहना है कि बीएसपी प्रबंधन को स्वयं श्रमिकों के स्वास्थ्य जांच का जिम्मा लेना चाहिए। स्थानीय ठेकेदारों द्वारा ईएसआईसी की सुविधा के लिए कई बार प्रबंधन से कहा गया है। ईएसआईसी की व्यवस्था सेक्टर-9 अस्पताल में करें तो श्रमिक वहां से इसका फायदा उठा सके। यहां डॉक्टरों की अच्छी टीम है लेकिन ईएसआईसी अस्पताल की व्यवस्था नहीं हो पाई।

दुर्ग जिले के सेक्टर-9 में बड़े-बड़े डॉक्टर है फिर भी श्रमिकों के स्वास्थ्य जांच का ठेका देना पड़ा। बीएसपी के पास कई सारे भवन है जो आज भी खाली पड़े हुए है। इन भवनों में से कोई एक भवन को ईएसआईसी अस्पताल को सौंप देना चाहिए ताकि श्रमिक वहां अपना स्वास्थ्य जांच करा सके। जब ईएसआई अस्पताल नहीं था तो सरकारी अस्पतालों में श्रमिकों का स्वास्थ्य जांच किया जाता है लेकिन इसे भी बंद कर दिया गया है।

इसके पहले सरकारी अस्पतालों में स्वास्थ्य जांच करा कर सैकड़ों श्रमिक बीएसपी के लोहा गलाने में अपना पसीना बहाते थे लेकिन अब क्या मजबूरी हो गई कि स्वास्थ्य जांच का ठेका बाहरी संस्था को देना पड़ गया। रेणुका डायग्नोस्टिक के पास ज्यादा मैन पावर भी नहीं है कि अधिक से अधिक मरीजों की स्वास्थ्य जांच कर सके।

वहीं पैरामेडिकल स्टाफ द्वारा श्रमिकों का स्वास्थ्य जांच किया जा रहा है। ठेका मिलने के अगले दिन से ही काम शुरू करना होता है। इसलिए अधिक से अधिक श्रमिकों का स्वास्थ्य जांच करवाना पड़ता है। अगर श्रमिकों के अभाव में ठेकेदार द्वारा काम शुरू नहीं किया गया तो बीएसपी प्रबंधन द्वारा प्रति दिन के हिसाब से पेनाल्टी लगाया जाता है। एसोसिएशन ने पूर्व की भांति श्रमिकों की स्वास्थ्य जांच की मांग की है। वहीं सीआईएसएफ भी गेटपास के नाम पर मनमानी कर रहा है। वाहन चलाने के लिए एक गाड़ी के नाम से 3 गेट पास की मांग की गई थी क्योंकि एक चालक तीन शिर्फ में काम नहीं कर सकता।

बाहरी ठेकेदारों का नहीं होता है वेरिफिकेशन

उन्होंने ने कहा कि वर्तमान में भिलाई इस्पात संयंत्र में बाहरी ठेकेदारों को काम दिया जा रहा है। ऐसे ठेकेदार बाहर से अपना श्रमिक लाकर बीएसपी में काम करवा रहे हैं। ऐसे बाहरी मजदूर स्वास्थ्य जांच में फिट निकलते हैं। इससे स्पष्ट होता है कि स्थानीय मजदूरों को काम न देकर उन्हें बेरोजगार करने का खेल खेला जा रहा है। अगर ऐसा ही चलता रहा तो आने वाले दिनों में न तो स्थानीय ठेकेदार को काम मिलेगा और न ही स्थानीय श्रमिकों को। बेरोजगारी का सामना करना पड़ेगा। छोटे-छोटे टेंडरों को समाप्त कर दिया गया है। जो भी बड़ा टेंडर है अपने चेहते को दिया जाता है।

स्थानीय ठेकेदार बेरोजगार हो रहे हैं और आपस में प्रतिस्पर्धा बढ़ रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि कोई भी ईडी जब भिलाई आता है तो ठेका कार्य बाहरी चेहरे ठेकेदारों को दे दिया जाता है और यह प्रथा कई दिनों से चल रहा है। इसलिए स्थानीय ठेकेदारों को भी काम मिलना कम हो गया है। इसके अलावा बाहरी ठेकेदारों का वेरिफिकेशन नहीं कराया जा रहा है अगर इनका वेरिफिकेशन कराया जाएगा तो अनगिनत सच्चाई सामने आएगी !

श्रमिकों की तरह बीएसपी कर्मचारियों की हो स्वास्थ्य जांच तो 80 फीसदी को होना पड़ेगा बाहर

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एसोसिएशन ने कहा कि बीएसपी कार्य करने वाले श्रमिकों के लिए स्वास्थ्य जांच के नाम पर परेशान करने का काम किया जा रहा है। प्रबंधन द्वारा जिस तरह के आदेश श्रमिकों के लिए जारी किए गए है अगर उसी तरह भिलाई इस्पात संयंत्र में अगर नियमित कर्मचारी-अधिकारियों की स्वास्थ्य जांच की जाए तो करीब 80 फीसदी लोगों को बाहर होना पड़ेगा।

बीएसपी के नियमित कर्मचारी बीपी, शूगर से कई बीमारियों से ग्रहित है। उनके लिए भी श्रमिकों के जैसे स्वास्थ्य जांच के नियम होना चाहिए। बीएसपी कर्मियों को भी स्वास्थ्य जांच के बाद गेट पास मिलना चाहिए।

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