- जुमा की रौनक दिखी शहर की मस्जिदों में
- माहे रमजान की विदाई पर जारी है इबादतों का सिलसिला, ईद की तैयारियां शुरू
रमेश गुप्ता
भिलाई। माहे रमजान आखिरी हिस्से में मुस्लिम समुदाय के लोग रात और दिन इबादत में डूबे हुए हैं। शबे कद्र में बीती रात जहां मस्जिदों और घरों में लोग रातभर खास इबादत करते रहे। वहीं शुक्रवार को माहे रमजान का आखिरी जुमा पड़ने की वजह से अलविदा जुमा की नमाज पढने हजारों की तादाद में नमाजी उमड़े। इस दौरान मुल्क में अमन की दुआएं की गई।
शहर की तमाम मस्जिदों में गुरुवार 27 मार्च की शाम से शुक्रवार 28 मार्च की सुबह तक लैलतुल कद्र (शब-ए-कद्र) की रौनक दिखी। घरों और मस्जिदों में लोगों ने रात भर इबादत के साथ खूब दुआएं की। जामा मस्जिद सेक्टर-6 में तमाम इबादतों के साथ खास तौर पर सलातुत तस्बीह (नमाजे तस्बीह) का भी एहतमाम किया गया। इसी तरह शहर की दीगर मस्जिदों में भी लोगों ने खूब इबादतें की।
इस मौके पर तरावीह पूरी होने पर मस्जिदों में इमाम, मुअज्जिन और अन्य लोगों का इस्तकबाल किया गया। हर मस्जिदों में तरावीह पढ़ाने वाले हाफिजों को नजराना पेश किया गया। मस्जिद शेरे खुद हाउसिंग बोर्ड में इमाम व मुअज्जिन के साथ साल भर में हज व उमराह पर गए खुशकिस्मतों का भी इस्तकबाल किया गया। वहीं बच्चों को तोहफे दिए गए।
सुबह के वक्त सेहरी के दौरान शहर की सभी मस्जिदों में रोजेदारों के लिए खास इंतजाम किए गए थे।
सुबह फजर की नमाज में दुआओं के बाद लोग घरों को लौटे। शुक्रवार की दोपहर माहे रमजान का आखिरी जुमा होने की वजह से अलविदा जुमा पढ़ने के लिए हजारों की तादाद में रोजेदार-नमाजी मस्जिदों में पहुंचे। भरी दोपहरी में नमाज के वक्त हजारों की तादाद में नमाजी इकट्ठा हुए। इस दौरान खूब दुआएं की गई रोजेदारों ने अपने गुनाहों से माफी मांगी और अपने रोजों को कबूल करवाने दुआएं की। वहीं मुल्क में अमन व सलामती के लिए भी दुआओं में हाथ उठे। इमाम सहित तमाम नमाजियों ने दुआओं के लिए हाथ उठा कर गिड़गिड़ाते हुए बारगाह-ए-इलाही में दुआएं मांगीं।
ईद उल फितर अब करीब होने की वजह से मस्जिदों के सामने खास तौर पर सेवई व मेवों की दुकान में जुमा तुल विदा के दिन भारी भीड़ नजर आई। लोग सेवई और मेवा खरीदने यहां पहुंचते रहे। वही फलों की दुकानें भी मस्जिदों के सामने सजी रही। लैलतुल कद्र के मौके पर घरों में भी औरतों बच्चों ने इबादत की और अपनी गुनाहों से माफी की लिए दुआएं भी की।
सेक्टर-7 मदरसा में पूरी हुई तरावीह की नमाज, किया इस्तकबाल
सेक्टर 7 स्थित मदरसा में माहे रमजान पर तरावीह की नमाज रखी गई थी। जिसमें हाफिज नदीम रजा अजहरी ने पूरे महीने तरावीह की नमाज पढ़ाई। शबे कद्र पर बीती रात हुए एक आयोजन में हाजी सैयद अनवर अली ने हाफिज अजहरी का इस्तकबाल किया और नजराना पेश किया। इसी तरह वसीम हक को भी नजराना दिया गया। मदरसे में सैयद अशरफ अली, सैयद जमशेद अली, मुजीब, अब्दुल अज़ीज़, जुल्फिकार अली, जावेद खान, समीर अली, अहमद, आसिफ हुसैन, अल्ताफ और सैयद नवाज अली सहित बच्चे भी शामिल हुए। इस दौरान बच्चों को तोहफे दिए गए और इस्तकबाल भी किया गया।
आज हुए थे अंग्रेजों की बेड़ी से आजाद, शबे कद्र थी आजादी की रात
शबे कद्र और अलविदा जुमा के साथ इस बार एक अनूठा इत्तेफाक यह भी जुड़ गया कि हिजरी सन के हिसाब से ठीक इसी रात में 15 अगस्त 1947 को हमारे मुल्क को आजादी मिली थी। आर्किटेक्ट हाजी एमएच सिद्दीकी बताते हैं कि चांद की तारीख के हिसाब से 27 रमजान 1366 हिजरी था। उस रात देश आजादी की खुशी से सराबोर था और शबे कद्र की रात जागकर इबादत कर रहे लोग मुल्क की खुशहाली की दुआएं कर रहे थे। तब भी जुमा (शुक्रवार) का दिन था और इस बार भी जुमा है।
जारी है ‘एतकाफ’ की इबादत, कर रहे दुआएं
शहर की तमाम मस्जिदों में खास इबादत ‘एतकाफ’ के लिए लोग बैठे हैं। शव्वाल महीने का चांद देखने के साथ लोग ‘एतकाफ’ पूरा कर मस्जिदों से अपने घरों को लौटेंगे। इस साल अशरफी मस्जिद खुर्सीपार भिलाई में 5, मदनी मस्जिद जोन 1/2 खुर्सीपार में 4, मरकजी मस्जिद पावर हाउस कैंप-2 में 2, मस्जिद नूर सुपेला में 8, फौजी नगर आयशा मस्जिद में 2, कोहका में 3, मदनी मस्जिद फरीद नगर में 3, निजामी चौक में 3, एकता नगर भिलाई 3 पेट्रोल पंप के पीछे वाली मस्जिद में 1, चरोदा मस्जिद 2, हुडको मस्जिद में 1 और रूआबांधा में 2 लोग ‘एतकाफ’ पर बैठे हैं।
आज चांद दिखा तो ईद कल, नहीं तो 31 को
माहे रमजान का आखिरी अशरा (10 दिन) चंद दिन में खत्म हो जाएगा। इसके साथ ही अब ईदुल फितर मनाने चांद के दीदार की तैयारियां शुरू हो गई हैं। माहे रमजान में 29 वां चांद दिखाई देने की संभावना रहती है। ऐसे में मस्जिद कमेटियों की तरफ से 29 मार्च की शाम चांद देखने की तैयारियां की गई हैं। वहीं अपील भी की गई है कि चांद दिखने पर मस्जिदों में जरूर खबर करें। अगर 29 मार्च की शाम शव्वाल का चांद नजर आता है तो ईदुल फितर 30 मार्च को मनाई जाएगी। नहीं तो 31 मार्च को ईदुल फितर होगी।