Bhilai Breaking : भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा इस्पात उत्पादक …इस्पात मंत्री

Bhilai Breaking :

रमेश गुप्ता

Bhilai Breaking सेल-भिलाई स्टील प्लांट की दल्ली माइंस में 149 करोड़ रुपये की बेनिफेसिएशन प्लांट (सिलिका रिडक्शन प्लांट) का इस्पात मंत्री ने वर्चुअल उद्घाटन किया

Bhilai Breaking भिलाई .. केंद्रीय इस्पात और नागरिक उड्डयन मंत्री, ज्योतिरादित्य एम. सिंधिया ने 23 जून को स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड (SAIL) के भिलाई स्टील प्लांट की दल्ली माइंस में एक नए बेनिफेसिएशन प्लांट (सिलिका रिडक्शन प्लांट) का वर्चुअल उद्घाटन किया। यह बेनिफेसिएशन प्लांट अधिक सिलिका गैंग वाले 1 मिमी से कम आकार के लौह अयस्क से सिलिका की मात्रा कम करने के लिए स्थापित किया गया है।

यह अत्याधुनिक बेनिफेसिएशन प्लांट उपकरणों से सुसज्जित है और इसका उद्देश्य भिलाई इस्पात संयंत्र को आपूर्ति किए जाने वाले लौह अयस्क की गुणवत्ता को बढ़ाना है, जिससे ब्लास्ट फर्नेस से हॉट मेटल के वार्षिक उत्पादन में वृद्धि होगी, और साथ में कोक की खपत और कार्बन उत्सर्जन में कमी आएगी।

इस अवसर पर  सिंधिया ने अपनी तरह की इस पहली तकनीकी पहल पर सेल के प्रयासों की सराहना करते हुए, पिछले नौ वर्षों में इस्पात द्वारा उद्योग उठाए गए बड़े कदमों का उल्लेख किया। इस अवधि के दौरान देश में इस्पात उत्पादन और प्रति व्यक्ति इस्पात खपत में अभूतपूर्व वृद्धि देखी गई है और भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा इस्पात उत्पादक बन गया है।

मंत्री के नेतृत्व में, इस्पात मंत्रालय का ध्यान घरेलू इस्पात उद्योग में डी-कार्बोनाइजेशन को बढ़ावा देने और इस्पात उद्योग के सहयोग से हरित इस्पात उत्पादन के लिए दीर्घकालिक रोडमैप तैयार करने पर केंद्रित है। सेल खुद कार्बन न्यूट्रिलिटी के राष्ट्रीय लक्ष्य के साथ जुड़ा हुआ है, दल्ली-राजहरा खदान में बेनिफेसिएशन प्लांट (सिलिका रिडक्शन प्लांट) इस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। इसके अलावा, यह प्लांट निम्न श्रेणी के लौह अयस्क को बेनिफेसिएशन के जरिये उपयोगी बनाकर इस्तेमाल करने के सेल के प्रयास का एक हिस्सा है।

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सेल-भिलाई स्टील प्लांट के दल्ली और राजहरा समूह की 60 साल पुरानी खदानों में लौह अयस्क भंडार की गुणवत्ता तेजी से कम हो गई है और एक अध्ययन के जरिये तथ्य सामने आया है कि ब्लास्ट फर्नेस में अनुकूलतम उपयोग वाले वांछित ग्रेड के लिए 1 मिमी से कम आकार के लौह अयस्क को परिष्कृत करने की आवश्यकता है।

दल्ली में मौजूदा क्रशिंग, स्क्रीनिंग और वॉशिंग (सीएसडब्ल्यू) वेट प्लांट के साथ यह लगभग 149 करोड़ रुपये से अधिक के निवेश से बना सिलिका रिडक्शन प्लांट लगाया गया है। यह परियोजना विभिन्न राज्य सरकारी एजेंसियों, स्थानीय प्रशासन और निर्वाचित प्रतिनिधियों की मदद से पूरी की गई है।

इस अवसर पर मौजूद सेल अध्यक्ष अमरेंदु प्रकाश ने कहा कि सिलिका कटौती के लिए यह बेनिफेसिएशन प्लांट (सिलिका रिडक्शन प्लांट) सेल के टिकाऊ इस्पात उत्पादन की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, जो भारतीय इस्पात उद्योग को डीकार्बोनाइज करने की इस्पात मंत्रालय की पहल के साथ सक्रिय रूप से जुड़ रहा है।

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