Bhatapara Politics :  टूटा भरोसा, कैसे जीतेंगी पार्टियां…?

Bhatapara Politics :

राजकुमार मल

 

Bhatapara Politics : पुराने चेहरों से नाराजगी, नए से सवाल

 

आम जनमानस का भरोसा जीतना बेहद कठिन, क्योंकि तेजी से बदल रहा मूड

 

 

Bhatapara Politics : बलौदा बाजार-भाटापारा- पुराने चेहरे फिर से दिखाई दिए, तो पूछा जाएगा कि जरूरी मुद्दों से दूरी क्यों बनाई थी ? सरोकारों पर मौन क्यों थे ? नए चेहरे को आम जनमानस का भरोसा जीतना बेहद कठिन होगा क्योंकि मूड तेजी से बदल रहा है।

जिले की तीन विधानसभा सीटें, तीन पार्टियों के पास हैं। विस चुनाव की करीब आती तिथियां तीनों की धड़कनें बढ़ा रहीं हैं क्योंकि वर्तमान माननीयों ने जैसी जमीन तैयार की है, उस पर पैर जमाए रखना बेहद कठिन हो चला है। ऐसे में पहली कोशिश नाराजगी दूर करने के लिए करनी होगी, ताकि राह आसान हो सके।

शकुंतला के लिए यह कठिन

 

महानदी के तट पर बसा कसडोल विधानसभा क्षेत्र। तरबूज की खेती के लिए विदेशों में भी पहचान रखता है यह क्षेत्र। बड़े भरोसे के साथ क्षेत्र की कमान सौंपी थी शकुंतला साहू के हाथ लेकिन आम समस्याएं खत्म करना तो दूर, कम करने में भी असफल रहा नेतृत्व। सड़क हो, बिजली हो या कहें शिक्षा का क्षेत्र। तीनों में लगभग निराशा ही हाथ आती रही। मुद्दा, पुरजोर तरीके से सदन में सवाल रखे जाने थे उसमें भी कसडोल को पीछे ही देखा गया। राजकमल सिंघानिया और गोपी साहू छीन सकते हैं दावेदारी। यकीन मानिए विपक्ष के गौरीशंकर अग्रवाल, जीत पर संशय पैदा कर सकते हैं, तो भाजपा के ही यशवंत वर्मा भी भारी पड़ सकते हैं।

डांवाडोल प्रमोद शर्मा

 

बलौदा बाजार विधानसभा क्षेत्र। जिला मुख्यालय है। इसलिए कांग्रेस और भाजपा के लिए प्रतिष्ठा पूर्ण सीट मानी जाती है लेकिन मतदाताओं का मूड इस दफा बदला-बदला सा नजर आ रहा है। विधान सभा में उपस्थिती जरूर दिखाई देती है लेकिन हर मुद्दे को जिस ढंग से उठाया गया, वह मूड बदलने के लिए काफी बताया जा रहा है। पाला बदलने की चर्चा से भी वर्तमान विधायक की विश्वसनीयता में कमी का आना महसूस हुआ जा रहा है।

जस की तस बनी हुईं हैं पुरानी समस्याएं। विकास की ढेरों योजनाओं में बलौदा बाजार जिस तरह पिछड़ रहा है, उसमें भी नए चेहरे को अवसर देने की मानसिकता बन रही है। पूर्व विधायक जनक राम वर्मा और शैलेश नितिन त्रिवेदी में से कोई भी हुआ, तो जीत की राह बेहद कठिन होगी। विपक्ष से लक्ष्मी वर्मा, टेंसू लाल धुरंधर या लक्ष्मी बघेल जैसे नाम जीत की राह कठिन कर सकते हैं।

आसान नहीं भाटापारा

 

Bhupesh Sarkar : भाटापारा किसानो के हित में समर्पित है मंडी अध्यक्ष सुशील शर्मा

चैतराम साहू ,सतीश अग्रवाल, सुनील माहेश्वरी, बसंत भृगु और अमित शर्मा,। कांग्रेस से यह नाम लिए जा रहे हैं। हर एक चेहरा कड़ी टक्कर देने की क्षमता रखता है। जीत के लिए ईमानदार कोशिश का किया जाना पहली और अंतिम शर्त होगी। विपक्ष से फिलहाल केवल एक नाम फिर से आ रहा है वर्तमान विधायक शिवरतन शर्मा का। सेकंड लाइन तैयार नहीं की।

इसलिए यह फिर से मैदान में हो सकते हैं लेकिन लगभग अपराजेय माना जा चुका यह चेहरा इस बार जीत से कहीं दूर ना हो जाए ? ऐसा इसलिए कहा जा रहा है कि जन सरोकार से दूरी बरकरार है, तो स्थाई हो चुकी समस्याओं को दूर करने में दिलचस्पी नहीं लिए जाने से भारी नाराजगी मतदाताओं में बन रही है। जीत की राह बेहद कठिन होगी।

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