Bhatapara Breaking  भूख और प्यास मिटाता है केले का हरा तना…

Bhatapara Breaking

राजकुमार मल

 

Bhatapara Breaking  सूखे दिनों के लिए है सर्वोत्तम पशु आहार

 

 

 

Bhatapara Breaking भाटापारा- केले के पेड़ का ताजा तना। सब्जी अवशेष। कर सकते हैं हरा चारा के विकल्प के रूप में उपयोग। ग्रीष्मकालीन उड़द और मूंग की फसल भी इस मौसम में पशुओं को दी जा सकती है।

हरियाली गायब। तेज धूप। ऐसे प्रतिकूल मौसम में मवेशी दूर तक जा रहे हैं पानी और भोजन की तलाश में। शहरी क्षेत्र में भी ऐसे ही दृश्य अब आम हो चले हैं। ऐसे समय में कृषि वैज्ञानिकों ने ऐसी खाद्य सामग्रियों की जानकारी दी है, जो आहार के साथ पानी की भी कमी दूर करती है।

Bhatapara Breaking  सर्वॊत्तम है केले का तना

 

सूखे दिनों के लिए केले का हरा तना एक मात्र ऐसा पशु आहार है, जिसमें पानी की मात्रा अच्छी- खासी होती है। यानी भूख और प्यास दोनों कमी दूर की जा सकती है मवेशियों की। गन्ना अवशेष। सीजन है जूस का। खूब निकलते हैं जूस सेंटरों में। यह भी श्रेष्ठ पशु आहार माना गया है। आम की गुठलियों के भीतर मिलने वाला बीज। प्रोटीन और ऊर्जा की मात्रा से भरपूर आम का बीज भी पशु आहार के रूप में दिया जा सकता है।

Bhatapara Breaking  फल और सब्जी अवशेष

 

सीजन है फलों का। सब्जियां भी खूब आ रहीं हैं। इनके अवशेष में हालांकि स्वाद नहीं होता लेकिन इनमें गुड़ का मिश्रण किए जाने के बाद मवेशी बड़े चाव से खाते हैं। इन्हें पूरक मवेशी आहार माना गया है। इसके अलावा मूंगफली का भूंसा भी आहार के रूप में दिया जा सकता है। बताते चलें कि इसमें प्रोटीन की मात्रा, बरसीम के बराबर और चावल के भूंसे से ज्यादा होना पाया गया है।

करना होगा हरा चारा का संरक्षण

 

मानसून और बाद के कुछ महिनों की अवधि में हरा चारा खूब होता है। ग्रीष्मकालीन जरूरतों को ध्यान में रखते हुए इनका संरक्षण अब बेहद जरूरी हो चला है। अनुसंधान में कम से कम 2000 से ज्यादा ऐसे भोज्य पदार्थ की जानकारी मिली है, जिन्हें उपचारित करके पशु चारा के रूप में उपयोग किया जा सकता है। इनमें ऐसे वन उत्पादन भी शामिल हैं, जिनका उपयोग पशु आहार के रूप में किया जा सकता है।

जागरूकता और संरक्षण जरूरी

 

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मूंग, उड़द के अलावा सब्जी फसलों में कई ऐसी प्रजातियां हैं, जिनका उपयोग ग्रीष्मकाल में हरा चारा के रूप में किया जा सकता है। जरूरत केवल जागरूकता और संरक्षण की है।

-डॉ एस आर पटेल, रिटायर्ड साइंटिस्ट, एग्रोनॉमी, इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय, रायपुर

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