Bhatapara भारत का गौरव “जारूल”

Bhatapara

राजकुमार मल

 

Bhatapara  रोकता है मिट्टी का कटाव, सुधारता है बिगड़े जंगल

 

 

Bhatapara  भाटापारा– जारूल की जड़ प्रणाली घनी और चौड़ी होती है। इसलिए इसे मिट्टी कटाव के नियंत्रण के लिए मजबूत माना गया है। कम रख-रखाव वाला यह वृक्ष बिगड़े वन को भी सुधारने में सक्षम है। इसके अलावा इसमें लगने वाले सुंदर फूलों की वजह से इसे एवेन्यू-ट्री के रूप में भी पहचान मिल चुकी है।

पौधरोपण की बन रही वृहद कार्ययोजना में इस बार “जारूल” के पौधे भी नजर आएंगे। वन विभाग की रोपणियों में इसके पौधे तैयार हो रहे हैं तो, निजी क्षेत्र की नर्सरियां भी मांग की आहट को देखकर बड़ी मात्रा में न केवल पौधे तैयार कर रहीं हैं बल्कि महाराष्ट्र की नर्सरियों को ऑर्डर दे चुकी है। महानीम और गोल्डन शॉवर-ट्री के बाद जारूल तीसरी ऐसी प्रजाति होगी, जिसे रोडसाइड लगाने की वृहद कार्ययोजना पर काम चालू हो चुका है।

इसलिए प्राइड ऑफ इंडिया

 

“जारूल” विश्व के सबसे शानदार फूलों वाले पेड़ों में से एक है। गर्मियों के मौसम में खिलने वाले इसके फूलों की आकृति शानदार होती है। तेजी से बढ़वार लेने वाला इसका वृक्ष कई औषधिय गुणों का खजाना अपने आप में समेटे हुए हैं। इन्हीं गुणों की वजह से “प्राइड ऑफ इंडिया” का खिताब से नवाजा जा चुका है।

अब एवेन्यू- ट्री और ट्री-फार्मिंग में

 

शानदार चमकीले फूल वाला यह वृक्ष बड़ी संख्या में मधुमक्खियों, तितलियों और पक्षियों को अपनी और आकर्षित करता है। साल में दो बार फूल देने वाला जारूल का पेड़ अब एवेन्यू-ट्री के रूप में पहचान बना चुका है तो, ट्री- फार्मिंग में भी इसने अपनी पहुंच दिखा दी है। इसके पहले यह काम महानीम और गोल्डन शॉवर ट्री कर चुके हैं।

मिले यह औषधिय गुण

 

जारूल की जड़ में मिले तत्व इसे पेट में ऐंठन, दस्त से राहत दिलाने में सक्षम बनाते हैं। छाल और पत्तियों के सेवन से कब्ज जैसी आम बीमारी में राहत मिलती है। इसके अलावा मूत्र विकार से बचने के लिए पत्तियों से बना काढ़ा को सही माना गया है। रक्तचाप का स्तर सामान्य बनाए रखता है तो, कोलेस्ट्रोल और ट्राइग्लिसराइड के स्तर को भी कम करता है।

महाराष्ट्र का राजकीय वृक्ष

 

मिट्टी कटाव, बिगड़े वनों को फिर से हरा-भरा करने में सक्षम जारूल में जैसे औषधिय गुण मिले हैं, उसने इसे महाराष्ट्र के लिए बेहद खास बनाया है और भी कई महत्वपूर्ण गुणों के खुलासे के बाद महाराष्ट्र राज्य में इसे राजकीय वृक्ष का दर्जा मिला हुआ है।

 

भारत का गौरव

 

सुंदर वृक्षों में से एक होने के साथ-साथ यह वृक्ष मूल्यवान और आयुर्वेदिक चिकित्सा में भी प्रसिद्ध है। इसका उपयोग मधुमेह, रक्तचाप और टाइप-टू-डायबिटीज जैसी बीमारी में भी किया जा सकता है। पत्तियों से चाय बनाई जा सकती है। इसे शरीर को डिटॉक्सीफाई करने में और लीवर की रक्षा करने में भी सहायक माना गया है।

 

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– अजीत विलियम्स, साइंटिस्ट, (फॉरेस्ट्री), बीटीसी कॉलेज ऑफ एग्री एंड रिसर्च स्टेशन, बिलासपुर

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