राजकुमार मल
Bhatapara पानी संकट ने बढ़ाई मांग
Bhatapara भाटापारा– सही था पूर्वानुमान प्लास्टिक ड्रम, बाल्टी और डिब्बे की बिक्री बढ़ने का। कीमत भले ही ज्यादा ली जा रही हो लेकिन उपभोक्ता मांग बनी हुई है। गर्मी के साथ खरीदी का क्रम, जिस तरह बना हुआ है, उससे लगती बारिश तक ऐसी ही स्थिति बने रहने का अनुमान लगाया जा रहा है।
केमिकल का खाली ड्रम। वार्निश- पेंट की खाली बाल्टियां और खाद्य तेल के डिब्बे जिस तेजी से पानी संग्रहण के लिए चलन में आ रहे हैं, उससे बाजार को अब हैरत नहीं होती क्योंकि दैनिक उपयोग के लिए जरूरी चीजों में शामिल हो चुकी इस सामग्रियों ने जैसी अहमियत इस गर्मी में दिखाई हैं, उसने परंपरागत लोहे के बाल्टी बनाने वाली ईकाइयों को परेशान कर दिया है क्योंकि इस बरस इसमें मांग तो दूर, होलसेल काउंटर से आर्डर तक नहीं मिले।
सबसे ज्यादा यह
खाद्य तेल की पैकिंग याने प्लास्टिक का डिब्बा, मांग क्षेत्र में शिखर पर है। 15 लीटर क्षमता वाला यह डिब्बा, शहर एवं ग्रामीण क्षेत्र में समान रूप से मांग में बना हुआ है। 80 से 100 रुपए तक की कीमत में मिल रहे यह डिब्बे आसान परिवहन और मजबूती की वजह से मांग में बने हुए हैं।
दूसरे नंबर पर यह
वार्निश, पेंट के डिब्बे या बाल्टियां मांग दूसरे नंबर पर बनी हुई हैं। पानी भरने के बाद परिवहन आसान नहीं होता। इसलिए खरीदी थोड़ा कमजोर है लेकिन छोटे आकार वाली बाल्टी की मांग बनी हुई है।कीमत की बात करें तो बड़ी बाल्टी 90 से 110 रुपए और छोटी 50 से 70 रुपए में बेची जा रही है।
मांग पूरे साल
केमिकल के 200 लीटर क्षमता वाले प्लास्टिक के बड़े ड्रम। इस बाजार में एकमात्र ऐसी सामग्री है जिसमें पूरे साल मांग रहती है। बढ़ता उपयोग क्षेत्र भी कीमत में वृद्धि को वजह बना चुका है। बीते बरस 700 से 750 रुपए में मिलने वाला यह ड्रम इस साल एक झटके में 200 रुपए तेज हो चुका है। इसकी खरीदी 900 से 950 रुपए में की जा रही है।
अब नहीं यह
New delhi latest news : सिख मार्शल आर्ट ‘गतके’ का राष्ट्रीय खेलों में शामिल होना एक बड़ी उपलब्धि
आसान परिवहन। कीमत का कम होना और उम्र ज्यादा होना। यह मजबूत वजह थी प्लास्टिक के फैलाव की। लिहाजा लोहे की बाल्टी, ड्रम और अन्य सामग्री अब नहीं बनाई जा रही। इकाइयां संचालन में तो हैं लेकिन प्लास्टिक के मिलते-जुलते सामान लाए जाने लगे हैं। यादों में रह गए हैं लोहे की बाल्टी और ड्रम।