Bhanupratappur : सांई मंदिर सत्संग हाल शिवमहापुराण के पांचवे दिवस
Bhanupratappur : भानुप्रतापपुर। नगर के श्री राम जानकी मंदिर से दोपहर को भगवान भोले नाथ की भव्य बारात निकाली गई। आतिशबाजी के साथ बारात नगर के मुख्य चौक होते हुए राजा हिमालय के भवन के समान श्री सांई मंदिर सत्संग हाल पहुची। बारात में देव, दानव, भूत प्रेत जीव जंतु वही भारी संख्या में नगर सहित अंचल के भक्तजन भी शामिल रहे। बाबा के विवाह विधि विधान से सम्पन्न हुआ।
शिवमहापुराण कथा के पांचवे दिवस शुक्रवार को पंडित अनिल जी महाराज ने शिव सती एवं शिव पार्वती की कथा विस्तार से बताया भगवान शंकर ने सबसे पहले सती से विवाह किया था। यह विवाह बड़ी कठिन परिस्थितियों में हुआ था क्योंकि सती के पिता दक्ष इस विवाह के पक्ष में नहीं थे। हालांकि उन्होंने अपने पिता ब्रह्मा के कहने पर सती का विवाह भगवान शंकर से कर दिया।
राजा दक्ष द्वारा शंकरजी का अपमान करने के चलते सती माता ने यज्ञ में कूदकर आत्मदाह कर लिया था। इसके बाद शिवजी घोर तपस्या में चले गए। सती ने बाद में हिमवान के यहां पार्वती के रूप में जन्म लिया। उस दौरान तारकासुर का आतंक था। उसका वध शिवजी का पुत्र ही कर सकता था ऐसा उसे वरदान था लेकिन शिवजी तो तपस्या में लीन थे। ऐसे में देवताओं ने शिवजी का विवाह पार्वतीजी से योजना बनाई।
देवताओं के अनुरोध और माता पार्वती की तपस्या से प्रसन्न होकर बाद में शिवजी ने पार्वतीजी से विवाह किया। इस विवाह में तो सारे जीव जंतु यहां तक कि भूत-पिशाच और विक्षिप्त लोग भी उनके विवाह में मेहमान बन कर पहुंचे।
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शिव कथा कहती है कि बिना शिव के कोई भी यज्ञ अनुष्ठान सफल नही हो सकता है। आप किसी भी देवी देवताओं का आराधना करें लेकिन अंतिम समय मे शिव के पास ही आना है। उन्होंने कहा कि भागमभाग व्यस्थ समय मे कुछ पल निकालकर बच्चों से भागवत चर्चा भी किया जाना आवश्यक है। संसार में चार हट को प्रमुख माना गया है। जिसमे नारी, बालक, राजा एवं योगी हट का प्रमुख बताया गया। आज काशी विश्वनाथ एवं रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग का रुद्रभिषेक किया गया।