Atmanand School : छात्रों का भविष्य अंधकार में, अनदेखी के चलते कई समस्याओं से घिरा चारामा का सबसे बड़ा हाई स्कूल

Atmanand School :

अनूप वर्मा

 

Atmanand School : छात्रों का भविष्य अंधकार में, अनदेखी के चलते कई समस्याओं से घिरा चारामा का सबसे बड़ा हाई स्कूल

Atmanand School :  चारामा !   देश के आजादी के बाद 1959 का सबसे बड़ा हाई स्कूल वर्तमान समय में अपनी पहचान बचाने के लिए संघर्ष कर रहा हैं।कई आईएएस और आईपीएस सहित बड़ी बड़ी नौकरी के लिए तैयार किए गए छात्र छात्राओं का यह स्कूल किस नाम से संचालित हैं,यह भी स्पष्ट नहीं हो पा रहा।और इसी अनदेखी के चलते स्कूल कई समस्याओं से घिरा हुआ हैं और छात्रों का भविष्य अंधकार में जाता दिख रहा हैं।

Atmanand School :  सरकार जहा एक और नए नए हाईस्कूल और हायर सेकंडरी स्कूल खोल रही हैं।उनमें पर्याप्त शिक्षको की भर्ती कर स्कूल संचालित की जा रहीं हैं। लेकिन बालक हाई स्कूल चारामा जो की वर्तमान में स्वामी आत्मा नंद स्कूल के नाम से पहचाना जा रहा हैं।जबकि आत्मानंद स्कूल अलग होना चाहिए।क्योंकि संस्था के पास शासन प्रशासन की और से ऐसा कोई भी आदेश नहीं की बालक हाईस्कूल आत्मा नंद स्कूल में मर्ज हैं,क्योंकि आज भी हिंदी माध्यम की संस्था की कार्यविधि पूर्णतः अलग संचालित हैं।

 

इसलिए इसे आत्मानंद स्कूल नहीं कहा जा सकता,और अगर मर्ज हैं तो इसे आत्मानंद से अलग क्यों रखा गया हैं। लेकिन जिस तरह से शासन ने बालक स्कूल की उपेक्षा कर रही हैं।इससे ऐसा लगता हैं की सरकार जल्द इस स्कूल को बंद कर देगी। इन्हीं दो प्रश्नों के बीच बालक हाई स्कूल के छात्राओं सहित शिक्षक भी दुविधाओं में कार्य कर रहे हैं ,एक समय में जहां इस संस्था में एक शिक्षा सत्र में 1000 से अधिक छात्र-छात्राएं अध्यनरत थे, आत्मानंद और बालक हाई स्कूल के बीच खड़ी दीवार के चलते आज इस संस्था में लगभग ढाई सौ बच्चे की अध्ययन कर रहे हैं।

जहां पूरे विकासखंड के सभी हाई स्कूलों में शिक्षकों की संख्या पर्याप्त और पूर्ण है, वहां यह स्कूल आधे से भी कम शिक्षकों के सहारे संचालित है। जिनमें कई विषयों की शिक्षकों की भर्ती तक नहीं हो पा रही है। सत्संग में एक प्राचार्य सहित 15 व्याख्याता के पद मौजूद है,संस्था बीते 3 वर्षों से प्रभारी प्राचार्य के भरोसे संचालित है और वर्तमान में सिर्फ आठ व्याख्याता शिक्षकों के सहयोग से विषयों की पढ़ाई हो रही है।

लगभग 15 वर्षों से इस संस्था में कृषि विषय के शिक्षक की भर्ती नहीं हो पाई थी, वर्तमान में कृषि विषय में एक शिक्षिका का पद पूर्ण हुआ है लेकिन बीते 1 वर्ष से वह शिक्षिका भी बिना किसी कारण के संस्था से अनुपस्थित है। संस्था में कक्षा ग्यारहवीं से कृषि गणित विज्ञान कला और कॉमर्स सभी विषय संचालित है लेकिन मूल विषयों के एक भी शिक्षक पदस्थ नहीं है ऐसे में संस्था भगवान भरोसे ही संचालित है और शिक्षकों की इसी कमी के चलते संस्था में बच्चों की संख्या भी पर्याप्त नहीं रही ,ऐसा नहीं की छात्र-छात्राएं यहां इस संस्था में पढ़ना नहीं चाहते ,चारामा नगर के अधिकतर छात्र-छात्राएं शिक्षकों की कमी से जूझते इस संस्था के चलते चारामा से 1 किलोमीटर दूर कर्रा और गिरहोला हाई स्कूल, 2 किलोमीटर दूर चार भाटा हाई स्कूल में पढ़ने को मजबूर हैं।

यह सभी छात्र-छात्राएं गरीब वर्ग से आते हैं जिन्होंने हिंदी माध्यमिक की पढ़ाई शुरू से की। बाकी छात्र-छात्राएं तो प्राइवेट और आत्मानंद स्कूल में पढ़ रहे। दिक्कतें हिंदी माध्यम के उन गरीब बच्चों को हो रही है, जो प्राइवेट संस्था में नहीं पड़ सकते या अंग्रेजी माध्यम में नहीं पढ़ पाने के कारण आत्मानंद में उनका सिलेक्शन नहीं हो पाया। वर्तमान में संस्था में भौतिकी विषय,अर्थशास्त्र विषय, इतिहास विषय के एक-एक पद और मूल विषय गणित और कृषि विषय के दो – दो पद रिक्त हैं। जबकि इन विषयों के छात्र वर्तमान समय में भी अध्ययन बताएं अब यह छात्र-छात्राएं किन शिक्षकों के भरोसे 12वीं जैसे बोर्ड परीक्षा में सफल हो पाएंगे या शासन प्रशासन ही जाने।

वही सबसे बड़ी समस्या कृषि विषय की है क्योंकि बीते 15 वर्षों से कृषि विषय में किसी भी शिक्षक की भर्ती नहीं हुई वर्ष 2021 के दिसंबर माह में किसी विषय हेतु एक शिक्षिका की भर्ती हुई लेकिन शिक्षिका के द्वारा लगातार अपनी बीमारी मेडिकल मातृत्व का सहारा लेकर पूरा शिक्षा शास्त्र बिताया गया।

वर्तमान में अक्टूबर 2022 से एक साल बीत जाने के बाद भी शिक्षिका संस्था से अनुपस्थित हैं। ऐसे में इस वर्ष कृषि विषय लिए छात्र-छात्राओं की शिक्षा कैसे पूर्ण होगी या समस्या पर है। जबकि संस्था में सबसे ज्यादा कक्षा ग्यारहवीं में 58 में से 36 छात्र और कक्षा 12वीं में 85 में से 51 छात्र कृषि विषय के ही हैं। और पुर विकासखंड में सिर्फ तीन ही जगह कृषि विषय संचालित होने के चलते सबसे अधिक कृषि पढ़ने वाले छात्र-छात्राएं इसी संस्था में प्रवेश लेते हैं।

यहां तक की इस संस्था में इस वर्ष बालकों के साथ-साथ तीन छात्राओं ने भी कृषि विषय में रुचि दिखाते हुए बालक हाई स्कूल में प्रवेश लिया ।ऐसी भी जानकारी मिली है कि कन्या शाला हाई स्कूल चारामा की कई छात्राएं कृषि विषय लेना चाहती थी ,लेकिन कन्या हाई स्कूल की संख्या दर में कमी न जाए इसलिए वहां की छात्रों को समय पर स्थानांतरण वहां की शिक्षकों के द्वारा नहीं दिया गया और उन्हें कृषि विषय लेने से वंचित भी किया गया।

वहीं वर्तमान समय में तारस गांव हाई स्कूल और लिलेझर हाई स्कूल में कृषि विभाग कृषि विषय संचालित है आवरी हाई स्कूल में कृषि विषय खोलने की स्वीकृति प्रदान की गई थी ,लेकिन शिक्षकों की नियुक्ति नहीं होने से वहां कृषि का कोई भी छात्र प्रवेश नहीं हुआ वर्तमान में वहा कृषि विषय बंद हो चुका है। और दोनों ही संस्थाओं तारस गांव और लिलेजर में भी कृषि विषय खुलने के बाद पर्याप्त शिक्षकों की नियुक्ति नहीं हो पाई है।

अब यहां यही प्रश्न उठता है कि छत्तीसगढ़ जिसे धान का कटोरा कहा जाता है, जहां धान पर्याप्त मात्रा में धान लगाया जाता है और पूरा प्रदेश कृषि पर ही आश्रित है, ऐसे में सरकार द्वारा कृषि विषय को बढ़ावा क्यों नहीं दिया जा रहा है ,जबकि वर्तमान स्थिति में कृषि क्षेत्र को उत्साहित प्रोत्साहित करने की सख्त आवश्यकता है, ऐसे में अगर छात्र-छात्राएं स्वयं होकर कृषि विषय में रुचि ले रहे हैं ,तो शासन प्रशासन इस और ध्यान क्यों नहीं दे रही है। जबकि कृषि विषय सभी हाई स्कूल हायर सेकेंडरी स्कूलों में अनिवार्य रूप से खोल दिए जाना चाहिए, क्योंकि प्रत्येक स्कूलों में 80% छात्राएं कृषक परिवार से आते हैं।

 

ऐसे में बालक हाई स्कूल चारामा में अन्य विषयों की शिक्षक इतने वर्षों से लगातार कृषि विषय की पढ़ाई छात्राओं को करवा रहे हैं, लेकिन कठिन विषय गणित भौतिक अर्थशास्त्र इन विषयों की शिक्षक नहीं होने से छात्र-छात्राओं का भविष्य भी अंधेरे में जाता हुआ दिखाई दे रहा है। ऐसी भी जानकारी मिल रही है कि जब से स्वामी आत्मानंद स्कूल इस संस्था में संचालित है तब से शिक्षक और छात्राएं इस बात को लेकर असमंजस में है, कि कहीं संस्था बंद तो नहीं हो जाएगी। ऐसे में कोई भी शिक्षक इस संस्था में नियुक्ति नहीं लेना चाहता है या पदोन्नति होकर आना नहीं चाहता ,जो शिक्षक सेवा निवृत हो चुके हैं उनके बदले में कोई भी नए शिक्षक की नियुक्ति बीते एक वर्ष से नहीं हुई है।

शिक्षकों की इसी कमी की चलते छात्र छात्राएं इस संस्था को छोड़कर अन्यत्र संस्थानों में प्रवेश ले रहे है, ऐसे में प्रश्न यही उठता है, क्या शासन प्रशासन इस संस्था को संचालित करना चाहती है या नहीं ।अगर संचालित करना चाहती है तो पर्याप्त सुविधाओं के साथ संस्था में शिक्षकों की नियुक्ति की जाए और उन्हें अलग से ही बालक हाई स्कूल नाम से संचालित किया जाए या तो इस आस्था को पूर्ण रुप से स्वामी आत्मानंद स्कूल में मर्ज कर दिया जाए ,ताकि आने वाले समय में शिक्षको या छात्र इस असमंजस से दूर हट सके ,और शिक्षक नियमित रुप से किसी अन्य संस्था में अपनी नियमित सेवा दे सकें और छात्र छात्राएं भी अन्य स्कूलों में प्रवेश लेकर अपना भविष्य कर सकते।

1959 का सबसे बड़ा हाई स्कूल वर्तमान समय में अपनी पहचान बचाने के लिए संघर्ष कर रहा हैं।कई आईएएस और आईपीएस सहित बड़ी बड़ी नौकरी के लिए तैयार किए गए छात्र छात्राओं का यह स्कूल किस नाम से संचालित हैं,यह भी स्पष्ट नहीं हो पा रहा।और इसी अनदेखी के चलते स्कूल कई समस्याओं से घिरा हुआ हैं और छात्रों का भविष्य अंधकार में जाता दिख रहा हैं।

सरकार जहा एक और नए नए हाईस्कूल और हायर सेकंडरी स्कूल खोल रही हैं।उनमें पर्याप्त शिक्षको की भर्ती कर स्कूल संचालित की जा रहीं हैं। लेकिन बालक हाई स्कूल चारामा जो की वर्तमान में स्वामी आत्मा नंद स्कूल के नाम से पहचाना जा रहा हैं।जबकि आत्मानंद स्कूल अलग होना चाहिए।क्योंकि संस्था के पास शासन प्रशासन की और से ऐसा कोई भी आदेश नहीं की बालक हाईस्कूल आत्मा नंद स्कूल में मर्ज हैं,क्योंकि आज भी हिंदी माध्यम की संस्था की कार्यविधि पूर्णतः अलग संचालित हैं।

इसलिए इसे आत्मानंद स्कूल नहीं कहा जा सकता,और अगर मर्ज हैं तो इसे आत्मानंद से अलग क्यों रखा गया हैं। लेकिन जिस तरह से शासन ने बालक स्कूल की उपेक्षा कर रही हैं।इससे ऐसा लगता हैं की सरकार जल्द इस स्कूल को बंद कर देगी।इन्हीं दो प्रश्नों के बीच बालक हाई स्कूल के छात्राओं सहित शिक्षक भी दुविधाओं में कार्य कर रहे हैं ,एक समय में जहां इस संस्था में एक शिक्षा सत्र में 1000 से अधिक छात्र-छात्राएं अध्यनरत थे, आत्मानंद और बालक हाई स्कूल के बीच खड़ी दीवार के चलते आज इस संस्था में लगभग ढाई सौ बच्चे की अध्ययन कर रहे हैं।

जहां पूरे विकासखंड के सभी हाई स्कूलों में शिक्षकों की संख्या पर्याप्त और पूर्ण है, वहां यह स्कूल आधे से भी कम शिक्षकों के सहारे संचालित है। जिनमें कई विषयों की शिक्षकों की भर्ती तक नहीं हो पा रही है। सत्संग में एक प्राचार्य सहित 15 व्याख्याता के पद मौजूद है,संस्था बीते 3 वर्षों से प्रभारी प्राचार्य के भरोसे संचालित है और वर्तमान में सिर्फ आठ व्याख्याता शिक्षकों के सहयोग से विषयों की पढ़ाई हो रही है। लगभग 15 वर्षों से इस संस्था में कृषि विषय के शिक्षक की भर्ती नहीं हो पाई थी, वर्तमान में कृषि विषय में एक शिक्षिका का पद पूर्ण हुआ है लेकिन बीते 1 वर्ष से वह शिक्षिका भी बिना किसी कारण के संस्था से अनुपस्थित है।

संस्था में कक्षा ग्यारहवीं से कृषि गणित विज्ञान कला और कॉमर्स सभी विषय संचालित है लेकिन मूल विषयों के एक भी शिक्षक पदस्थ नहीं है ऐसे में संस्था भगवान भरोसे ही संचालित है और शिक्षकों की इसी कमी के चलते संस्था में बच्चों की संख्या भी पर्याप्त नहीं रही ,ऐसा नहीं की छात्र-छात्राएं यहां इस संस्था में पढ़ना नहीं चाहते ,चारामा नगर के अधिकतर छात्र-छात्राएं शिक्षकों की कमी से जूझते इस संस्था के चलते चारामा से 1 किलोमीटर दूर कर्रा और गिरहोला हाई स्कूल, 2 किलोमीटर दूर चार भाटा हाई स्कूल में पढ़ने को मजबूर हैं। और यह सभी छात्र-छात्राएं गरीब वर्ग से आते हैं जिन्होंने हिंदी माध्यमिक की पढ़ाई शुरू से की। बाकी छात्र-छात्राएं तो प्राइवेट और आत्मानंद स्कूल में पढ़ रहे।

दिक्कतें हिंदी माध्यम के उन गरीब बच्चों को हो रही है, जो प्राइवेट संस्था में नहीं पड़ सकते या अंग्रेजी माध्यम में नहीं पढ़ पाने के कारण आत्मानंद में उनका सिलेक्शन नहीं हो पाया। वर्तमान में संस्था में भौतिकी विषय,अर्थशास्त्र विषय, इतिहास विषय के एक-एक पद और मूल विषय गणित और कृषि विषय के दो – दो पद रिक्त हैं। जबकि इन विषयों के छात्र वर्तमान समय में भी अध्ययन बताएं अब यह छात्र-छात्राएं किन शिक्षकों के भरोसे 12वीं जैसे बोर्ड परीक्षा में सफल हो पाएंगे या शासन प्रशासन ही जाने। वही सबसे बड़ी समस्या कृषि विषय की है क्योंकि बीते 15 वर्षों से कृषि विषय में किसी भी शिक्षक की भर्ती नहीं हुई वर्ष 2021 के दिसंबर माह में किसी विषय हेतु एक शिक्षिका की भर्ती हुई लेकिन शिक्षिका के द्वारा लगातार अपनी बीमारी मेडिकल मातृत्व का सहारा लेकर पूरा शिक्षा शास्त्र बिताया गया।और वर्तमान में अक्टूबर 2022 से एक साल बीत जाने के बाद भी शिक्षिका संस्था से अनुपस्थित हैं। ऐसे में इस वर्ष कृषि विषय लिए छात्र-छात्राओं की शिक्षा कैसे पूर्ण होगी या समस्या पर है।

जबकि संस्था में सबसे ज्यादा कक्षा ग्यारहवीं में 58 में से 36 छात्र और कक्षा 12वीं में 85 में से 51 छात्र कृषि विषय के ही हैं। और पुरे विकासखंड में सिर्फ तीन ही जगह कृषि विषय संचालित होने के चलते सबसे अधिक कृषि पढ़ने वाले छात्र-छात्राएं इसी संस्था में प्रवेश लेते हैं। यहां तक की इस संस्था में इस वर्ष बालकों के साथ-साथ तीन छात्राओं ने भी कृषि विषय में रुचि दिखाते हुए बालक हाई स्कूल में प्रवेश लिया ।

वहीं वर्तमान समय में तारस गांव हाई स्कूल और लिलेझर हाई स्कूल में कृषि विभाग कृषि विषय संचालित है आवरी हाई स्कूल में कृषि विषय खोलने की स्वीकृति प्रदान की गई थी ,लेकिन शिक्षकों की नियुक्ति नहीं होने से वहां कृषि का कोई भी छात्र पप्रवेश नहीं हुआ वर्तमान में वहा कृषि विषय बंद हो चुका है। और दोनों ही संस्थाओं तारस गांव और लिलेजर में भी कृषि विषय खुलने के बाद पर्याप्त शिक्षकों की नियुक्ति नहीं हो पाई है।

अब यहां यही प्रश्न उठता है कि छत्तीसगढ़ जिसे धान का कटोरा कहा जाता है, जहां धान पर्याप्त मात्रा में धान लगाया जाता है और पूरा प्रदेश कृषि पर ही आश्रित है, ऐसे में सरकार द्वारा कृषि विषय को बढ़ावा क्यों नहीं दिया जा रहा है ,जबकि वर्तमान स्थिति में कृषि क्षेत्र को उत्साहित प्रोत्साहित करने की सख्त आवश्यकता है, ऐसे में अगर छात्र-छात्राएं स्वयं होकर कृषि विषय में रुचि ले रहे हैं ,तो शासन प्रशासन इस और ध्यान क्यों नहीं दे रही है। जबकि कृषि विषय सभी हाई स्कूल हायर सेकेंडरी स्कूलों में अनिवार्य रूप से खोल दिए जाना चाहिए, क्योंकि प्रत्येक स्कूलों में 80% छात्राएं कृषक परिवार से आते हैं।

ऐसे में बालक हाई स्कूल चारामा में अन्य विषयों की शिक्षक इतने वर्षों से लगातार कृषि विषय की पढ़ाई छात्राओं को करवा रहे हैं, लेकिन कठिन विषय गणित भौतिक अर्थशास्त्र इन विषयों की शिक्षक नहीं होने से छात्र-छात्राओं का भविष्य भी अंधेरे में जाता हुआ दिखाई दे रहा है। ऐसी भी जानकारी मिल रही है कि जब से स्वामी आत्मानंद स्कूल इस संस्था में संचालित है तब से शिक्षक और छात्राएं इस बात को लेकर असमंजस में है, कि कहीं संस्था बंद तो नहीं हो जाएगी।

ऐसे में कोई भी शिक्षक इस संस्था में नियुक्ति नहीं लेना चाहता है या पदोन्नति होकर आना नहीं चाहता ,जो शिक्षक सेवा निवृत हो चुके हैं उनके बदले में कोई भी नए शिक्षक की नियुक्ति बीते एक वर्ष से नहीं हुई है। और शिक्षकों की इसी कमी की चलते छात्र छात्राएं इस संस्था को छोड़कर अन्यत्र संस्थानों में प्रवेश ले रहे है, ऐसे में प्रश्न यही उठता है, क्या शासन प्रशासन इस संस्था को संचालित करना चाहती है या नहीं ।

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अगर संचालित करना चाहती है तो पर्याप्त सुविधाओं के साथ संस्था में शिक्षकों की नियुक्ति की जाए और उन्हें अलग से ही बालक हाई स्कूल नाम से संचालित किया जाए या तो इस आस्था को पूर्ण रुप से स्वामी आत्मानंद स्कूल में मर्ज कर दिया जाए ,ताकि आने वाले समय में शिक्षको या छात्र इस असमंजस से दूर हट सके ,और शिक्षक नियमित रुप से किसी अन्य संस्था में अपनी नियमित सेवा दे सकें और छात्र छात्राएं भी अन्य स्कूलों में प्रवेश लेकर अपना भविष्य कर सकते।

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