नई दिल्ली: केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने बुधवार को अपने जीवन की योजनाओं का खुलासा किया। दिल्ली में आयोजित 'सहकार संवाद' कार्यक्रम में उन्होंने कहा, "मैंने तय किया है कि रिटायरमेंट के बाद अपना शेष जीवन वेदों, उपनिषदों के अध्ययन और प्राकृतिक खेती को समर्पित करूंगा।" उन्होंने प्राकृतिक खेती को 'वैज्ञानिक प्रयोग' बताते हुए इसके स्वास्थ्य लाभों पर चर्चा की।

प्राकृतिक खेती पर जोरदार पैरवी
- रासायनिक खादों पर चेतावनी: “केमिकल युक्त गेहूं से कैंसर, बीपी और शुगर का खतरा”
- निजी अनुभव साझा किया: “मेरे खेत में प्राकृतिक खेती से उत्पादन डेढ़ गुना बढ़ा”
- जल संरक्षण: “इस पद्धति में एक बूंद पानी भी बर्बाद नहीं होता”
- सरकारी योजनाएं: गोबर के उपयोग और प्राकृतिक उत्पादों के निर्यात के लिए समितियां गठित
सहकारिता मंत्री के रूप में संतुष्टि
शाह ने कहा, “गृह मंत्रालय से ज्यादा खुशी सहकारिता मंत्री बनकर हुई। यह पीएम मोदी के ‘सहकार से समृद्धि’ के विजन को साकार करने का मंच है।” उन्होंने बताया कि 25 छोटे व्यवसाय मॉडल्स की पहचान कर पीएसीएस को सशक्त बनाया जा रहा है।
गुजरात के परिवर्तन का उदाहरण
बनासकांठा और कच्छ के उदाहरण देते हुए शाह ने कहा, “जहां मेरे जन्म के समय सप्ताह में एक बार नहाने को पानी मिलता था, आज वहां परिवार दूध उत्पादन से सालाना 1 करोड़ रुपये कमा रहे हैं।”
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(समाचार अपडेट्स के लिए बने रहें…)