American administration भारत में हैं असीम संभावनाएं

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American administration  प्रभात सिन्हा

American administration अमेरिकी प्रशासन ने चीन के साथ उच्च गुणवत्ता वाले सेमीकंडक्टरचिप्स के आयात, निर्यात, वितरण सहित बौद्धिक संपदा के आदान-प्रदान पर भी प्रतिबंध लगा दिया है।

American administration  इस कदम को अभी हाल के दिनों में अमेरिका और चीन के बीच बढ़ते तनातनी का अमेरिकी प्रतिक्रिया समझा जा सकता है। वैसे तो, चीन अभी चिप का बड़ा उत्पादक नहीं बन पाया है, लेकिन दुनिया भर में निर्मिंत 35-40 प्रतिशत चिप को चीन ले जाकर ही असेम्बल किया जाता है। जाहिर है प्रतिबंध का उद्देश्य 5जी, रक्षा, आििर्टफसियल इंटेलिजेंस, रोबोटिक्स इत्यादि क्षेत्रों में चीन के प्रभाव को कम करना है।

American administration  प्रतिबंध के कारण जहां चीन बढिय़ा गुणवत्ता वाले सेमीकंडक्टर के निर्माण से वंचित रहेगा वहीं हमारे देश भारत सहित कई देशों को इसका सीधा लाभ मिलेगा। विशेषज्ञ वर्तमान समय के सेमीकंडक्टरचिप की तुलना 1970 के दशक के परमाणु तकनीक से कर रहे हैं। हालांकि तब भारत के परमाणु क्षेत्र में बढ़ते प्रयासों पर लगे अमेरिकी प्रतिबंधों में चीन भागीदार बना था, लेकिन बदलते भू-राजनीतिक परिस्थितियों में आज प्रतिबंध चीन पर लगा है और भारत प्रमुख देशों के संगठन जी-20 का अध्यक्ष बनकर नियम तय करने वाली भूमिका में आ चुका है।

सेमीकंडक्टर चिप्स आधुनिक सूचना प्रौद्योगिकी युग के संवाहक है और एयरोस्पेस, ऑटोमोबाइल, संचार, स्वच्छ ऊर्जा, सूचना प्रौद्योगिकी एवम चिकित्सा उपकरणों सहित अर्थव्यवस्था के लगभग सभी क्षेत्रों के लिए आवश्यक बन चुके हैं। व्यक्तिगत, आर्थिक और व्यावसायिक गतिविधियों के बड़े हिस्से को डिजिटल रूप से सक्षम बनाने के क्रम में चिप-संचालित कंप्यूटर और स्मार्टफोन की उपयोगिता बढ़ती जा रही है। सेमीकंडक्टर सिलिकॉन या जर्मेनियम जैसे शुद्ध तत्वों अथवा गैलियम, आर्सेनाइड या कैडमियमसेलेनाइड जैसे यौगिक से बने होते हैं और सभी आधुनिक इलेक्ट्रॉनिक्स, सूचना और संचार प्रौद्योगिकी उत्पादों के संचालक के रूप में उपयोग में लाये जाते हैं।

American administration वर्तमान में चिप की मांग आपूर्ति से कई गुना ज्यादा बढ़ गई है, और चिप की वैश्विक स्तर पर काफी कमी हो गई है, जिसके कारण कई देशों की सरकारों ने सेमीकंडक्टर क्षेत्र में अरबों डॉलर के प्रोत्साहन, निवेश इत्यादि की घोषणा की है। जुलाई के अंत में अमेरिकी सीनेट ने 52 अरब डॉलर की उद्योग सब्सिडी के लिए एक विधेयक पारित किया। रॉयटर्स के खबर के मुताबिक, फ्रांस में, 5.7 अरब डॉलर के चिप व्यवसाय को पर्याप्त सरकारी समर्थन प्राप्त होने की उम्मीद है।

प्रसिद्ध चिप निर्माता कंपनी इंटेल की अगले दशक में पूरे यूरोप में 80 अरब यूरो से अधिक निवेश की योजना है। भारत सरकार ने भी चिप के घरेलु निर्माण को प्रोत्साहित करने के लिए 10 अरब डॉलर के प्रोत्साहन की घोषणा की है। भारत सरकार ने, इंडिया सेमीकंडक्टर मिशन की स्थापना की है, जो डिजिटल इंडिया के अंतर्गत एक स्वतंत्र प्रभाग है और जिसका उद्देश्य इलेक्ट्रॉनिक्स के क्षेत्र में भारत को एक वैश्विक केंद्र के रूप में स्थापित करना है। भारत में सेमीकंडक्टर का वर्तमान बाजार 24 अरब डॉलर का है, जो विशेषज्ञों के अनुसार वर्ष 2026 तक 80 अरब डॉलर के पार पहुंच जाएगा।
वर्तमान में सेमीकंडक्टर की आवश्यक आपूर्ति शत-प्रतिशत आयात से हो रही है।

American administration गौरतलब है कि सेमीकंडक्टर क्षेत्र में कई चुनौतियां भी हैं। जैसे यह एक बहुत ही जटिल और गूढ़ प्रौद्योगिकी क्षेत्र है, जिसमें अत्यधिक पूंजी निवेश, उच्च जोखिम, निवेश वापसी की लंबी अवधि और प्रौद्योगिकी में तेज बदलाव शामिल हैं। चिप निर्माण इकाइयों को कई अन्य संसाधनों जैसे लाखों लीटर स्वच्छ पानी, अत्यंत स्थिर बिजली आपूर्ति, बड़ा भूभाग और अत्यधिक कुशल कार्यबल की आवश्यकता नियमित तौर पर होती है। इलेक्ट्रॉनिकी और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने वर्ष 2021 में डिज़ाइन लिंक्डइंसेंटिव योजना की शुरु आत की, जिसके अंतर्गत सेमीकंडक्टर डिजाइन में शामिल देश की न्यूनतम 20 घरेलू कंपनियों का पोषण कर अगले 5 वर्षो में 1500 करोड़ रु पये से अधिक का कारोबार हासिल करने की सुविधा प्रदान की जाएगी।

सेमीकंडक्टर की घरेलू आवश्यकता के साथ वैश्विक मांग में भी तेज वृद्धि हो रही है, जिसे भारत पूरा कर सकता है। इसके लिए वर्तमान क्षमता को बढ़ाकर एक बेहतर पारिस्थितिकी तंत्र बनाना होगा। बहरहाल भारत को बदलते वैश्विक परिदृश्य में सेमीकंडक्टर से संबंधित चार बिंदुओं पर विशेष ध्यान देना होगा। पहला, सेमीकंडक्टर निर्माण के लिए आवश्यक आधारभूत संरचना तैयार करना। दूसरा; मानव संसाधन को सेमीकंडक्टर क्षेत्र में दक्ष बनाना।

तीसरा; बदलते भूमंडलीय समीकरण में विकसित देशों के साथ मिलकर देश में आधुनिक चिप निर्माण का शुरु आत करना और चौथा: जी20 के अध्यक्ष के तौर पर सेमीकंडक्टर व्यवसाय को मानव सभ्यता के हित में नियमित और नियंत्रित कर इसका गलत इस्तेमाल रोकना।

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