रमेश गुप्ता
भिलाई
भिलाई इस्पात संयंत्र के नगर सेवाएं विभाग के प्रवर्तन अनुभाग की टीम द्वारा 02 अप्रैल को न्यू सिविक सेंटर स्थित प्लॉट शॉप नं 182 के लीजधारक के विरूद्ध कार्यवाही की गई।
उल्लेखनीय है कि लीजधारक द्वारा लीज की अवधि 29 सितम्बर 2012 को समाप्त हो जाने के पष्चात बिना लीज नवीनीकरण कराए अवैध रूप से शॉप का संचालन किया जा रहा था और 77 लाख 52 हजार रूपए के बकाया बिल का भुगतान भी 2014 से नहीं किया गया था। इस पर प्रवर्तन अनुभाग की टीम ने 02 अप्रैल को शॉप नं 182 के लीजधारक पर कड़ी कार्यवाही करते हुए उक्त दुकान को पुलिस बल थाना कोतवाली (महिला पुलिस बल सहित) की सहायता से एवं कार्यपालक मजिस्ट्रेट ढ़ाल सिंह बिसेन की उपस्थिति में सील किया।
संपदा न्यायालय के प्रकरण क्रमांक 56/2016 के तहत उक्त प्लॉट.शॉप नं 182, न्यू सिविक सेंटर भिलाई, जिला दुर्ग और दिनेश कुमार सिंघल के विरूध्द डिक्री आदेश पारित कर अवैध कब्जाधारियों पर बेदखली की कार्यवाही कर कब्जाधारियों को परिसर से बेदखल किया गया और विद्युत अभियांत्रिकी विभाग के कार्मिकों द्वारा प्लॉट/शॉप का विद्युत विच्छेद भी किया गया।
विदित हो कि न्यू सिविक सेंटर स्थित शॉप नं 182 को संचालक जसराज कोचर को 30 वर्ष के लिए लीज पर आबंटित किया गया था। जसराज कोचर ने दिनेश कुमार सिंघल के नाम से मुख्तारनामा (पावर ऑफ अटॉर्नी) निष्पादित किया था। लीज की अवधि 29 सितम्बर 2012 को समाप्त हो गई थी। लीजधारक द्वारा आगामी 30 वर्ष की अवधि के लिए लीज का नवीनीकरण न करवाने के कारण 2015 में दुकान का आवंटन बीएसपी द्वारा रद्द कर दिया गया था। इस बीच 2015 में जसराज कोचर की मृत्यु हो गई। दुकान के कब्जेदार एवं मुख्तारनामा धारक ने मृत्यु की घटना को बीएसपी व दुर्ग एवं उच्च न्यायालय से छिपाए रखा। दुकान से अनाधिकृत कब्जाधारियों को बेदखल करने के लिए 2016 में बीएसपी प्रबंधन द्वारा सम्पदा न्यायालय में मामला भी दायर किया गया था। जिसमें संपदा न्यायालय ने 2017 में बीएसपी के पक्ष में आदेश पारित किया, व जसराज कोचर और दिनेश कुमार सिंघल को दुकान के अनाधिकृत कब्जेदार घोषित कर उनके विरूद्ध बेदखली का आदेश पारित किया।
संपदा न्यायालय के आदेश को दिनेश सिंघल ने दुर्ग न्यायालय में चुनौती दी थी। जिसे दुर्ग न्यायालय ने 2019 के आदेश के तहत संपदा न्यायालय के आदेश को बरकरार रखा। इसके बाद दिनेश सिंघल ने छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के समक्ष दुर्ग न्यायालय के आदेश को चुनौती देते हुए याचिका दायर की थी। माननीय उच्च न्यायालय ने फरवरी 2025 को पारित आदेश के तहत याचिका को खारिज कर दिया, जिसके चलते संपदा न्यायालय का आदेश ही प्रभावी हो गया।
उक्त बेदखली कार्यवाही में प्रवर्तन अनुभाग व जन स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी व कर्मचारी, निजी सुरक्षा गार्ड्स (महिला सुरक्षा गार्ड सहित) के साथ शॉप अनुभाग के कर्मचारी सहित उपयोगी संसाधनों ट्रेक्टर-ट्राली एवं अन्य वाहन के साथ लगभग 300 लोगांे की टीम शामिल थी।