राजकुमार मल
Bhatapara : मछली जाल की तो निकल पड़ी… 300 से 600 रुपए किलो

Related News
राजकुमार मलभाटापारा- न प्रांगण की बदहाली दूर की जा सकी, न जाम से निजात मिली। आवक पर 3 दिन की रोक के बाद चौथे दिन खुली कृषि उपज मंडी फिर से अव्यवस्था के साए में नजर आ रही है।
...
Continue reading
सामान्य से दो घंटे ज्यादा चमक रहा है सूर्य
राजकुमार मल
भाटापारा। सूर्य चमक लगभग 12 घंटे। नमी महज 35 प्रतिशत। तापमान 40 डिग्री सेल्सियस से ज्यादा। सूर्य की पराबैंगनी किरणें बेहद त...
Continue reading
:जल संरक्षण के लिए सबसे बेहतर हो सकता है उपयोग:
:राजकुमार मल:
भाटापारा: नहीं दे पाएंगे साथ क्योंकि हमें डस्टबिन मान लिया गया है. बरसों से प्यास बुझाते आ रहे कुंओं की की ...
Continue reading
पालिका प्रशासन से शहर का सवाल
राजकुमार मल
भाटापारा- कैसे करेंगे प्लास्टिक वेस्ट का मैनेजमेंट ? कब बंद करेंगे सिंगल यूज़ प्लास्टिक का विक्रय ? नालियों की सफाई में निकल रहा वेस्ट...
Continue reading
चिंता में आईएमडी, एनजीटी और वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय
राजकुमार मलभाटापारा- कोरबा, रायगढ़, बिलासपुर और रायपुर के बाद हीट आईलैंड की सूची में नया नाम बलौदा बाजार जिले का।...
Continue reading
नेहा अश्वनी शर्मा बनी अध्यक्षा
राजकुमार मलभाटापारालालसोट समाज की महिलाओं की बैठक संपन्न हुई। जिसमें नवीन कार्यकारिणी का गठन किया गया। इस दौरान उपस्थित वरिष्ठ सदस्यों एवं ...
Continue reading
चिन्ता में वानिकी वैज्ञानिक
राजकुमार मल
भाटापारा। घट सकता है तेन्दू और महुआ का उत्पादन। बड़ी वजह यह कि दोनों की आबादी तेजी से घट रही हैं। लिहाजा पुराने वृक्षों का संरक्षण और संव...
Continue reading
कीमत स्थिर होने से मांग दोगुनी के करीब
राजकुमार मल
भाटापारा- निर्माण क्षेत्र की लापरवाही पर लगाम। सब्जी बाडिय़ों की जरूरत और नर्सरियों की मांग। 50 फीसदी बढ़त की ओर है ग...
Continue reading
मिठाई बाजार है तैयार..
राजकुमार मलभाटापारा- गुझिया को जोरदार प्रतिसाद। अब घेवर की लांचिंग की तैयारी। ठीक पीछे आने के लिए आतुर है शक्कर की माला। होली के लिए तैयारी कर रहीं खाद्...
Continue reading
उत्पादन घटने की प्रबल आशंका है धनिया पत्ती और टमाटर में
राजकुमार मलभाटापारा- खतरे की जद में हैं लाल, पालक और मेथी भाजी। उत्पादन घटने की प्रबल आशंका है धनिया पत्ती और टमाटर में...
Continue reading
राजकुमार मलभाटापारारायपुर रेलवे मंडल उपयोगकर्ता परामर्शदात्री समिति (डीआरयूसीसी) की बैठक मंडल रेल प्रबंधक दयानंद की अध्यक्षता में शुक्रवार को मंडल रेल प्रबंधक कार...
Continue reading
मारपीट करने और उकसाने वालों के खिलाफ एफआईआर दर्ज हो: कांग्रेसभाटापारा। भाटापारा नगर पालिका में करोड़ों के वाहन व जेसीबी वाहन के लोकार्पण कार्यक्रम के दौरान प्रोटोकाल का उल्लंघ...
Continue reading
Bhatapara : भाटापारा- तालाब लबालब। जलाशय पूर्ण भराव की ओर, उफन रहे बरसाती नाले। मछुआरों में दोगुनी खुशी इसलिए क्योंकि मछली जाल की कीमत बीते बरस जैसी ही है। इसलिए तीन माह बाद आने वाले सीजन की तैयारी मछुआरों ने चालू कर दी है।
फिलहाल मत्स्याखेट पर प्रतिबंध है। मछली बीज डाले जाने का काम चालू है। कीमत भले ही मछुआरों को अपेक्षाकृत ज्यादा देनी पड़ रही है लेकिन मछली जाल की ठहरी कीमत से बड़ी राहत मिल रही है। बारिश की स्थिति और जल भराव को देखते हुए बेहतर मछली उत्पादन की संभावना से जाल की खरीदी का पहला दौर चालू हो चुका है।
जल भराव पूर्णता की ओर
लघु, मध्यम और वृहद जलाशय में जल भराव पूर्णता की ओर है। तालाबों की सेहत भी लगभग सुधरने लगी है। नदियां उफान पर हैं, तो बरसाती नाले तट से ऊपर बह रहे हैं। मत्स्याखेट पर भले ही बंदिश लगी हुई हो लेकिन सीजन इस बार बेहतर जाएगा। यह सोच जाल बाजार तक मछुआरों को जाने के लिए बढ़ावा दे रही है। दिलचस्प बात यह कि प्लास्टिक और नायलॉन की कीमत में बढ़ोतरी के बाद भी इन दोनों से बनने वाला मछली जाल स्थिर है।
निकली खरीदी इसमें
बाजार और मछुआरों की भाषा में मच्छरदानी कहते हैं ऐसे मछली जाल को जिनसे छोटी मछलियां पकड़ी जाती हैं। जलाशय और तालाब फिलहाल प्रतिबंध के दायरे में हैं इसलिए मछुआरे बरसाती नालों से छोटी मछलियां पकड़ने के लिए ऐसी मच्छरदानी की खरीदी कर रहे हैं, जिनकी कीमत क्रयशक्ति के भीतर ही है। डिमांड को देखते हुए संस्थानें इसके लिए हर सप्ताह ऑर्डर दे रहीं हैं।
300 से 600 रुपए किलो
Jashpur Breaking : मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की पहल पर जिले को मिले सांय – सांय 18 एमबीबीएस चिकित्सक,नियुक्त चिकित्सको को पंद्रह दिन के अंदर करना होगा ज्वाइन

Bhatapara : नायलॉन से बने मछली जाल हमेशा की तरह इस बार भी खूब मांग में है लेकिन पहली बार इसे चीन में बनी जाल से कड़ा मुकाबला करना पड़ रहा है। इसके बाद भी मछुआरों का भरोसा नायलॉन के मछली जाल पर बना हुआ है। कीमत बीते साल जैसी याने 300 से 600 रुपए किलो पर स्थिर है। जलाशय और तालाब के लिए इसकी खरीदी मछुआरों ने चालू कर दी है।