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Mahua की शराब नहीं बल्कि मिठाई बनाकर फेमस हुईं महिलाएं
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अंचल में Mahua बहुत अधिक मात्रा में प्राप्त होता है,
राजनांदगांव./छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव जिला सघन वन जय विविधता से परिपूर्ण और समृद्ध है.
यहां लघु वन उपज प्रचुर मात्रा में उपलब्ध हैं. अंचल में Mahua बहुत अधिक मात्रा में प्राप्त होता है, जिसे ध्यान में रखते हुए राजनांदगांव महुआ प्रसंस्करण केंद्र 2019 में शुरू किया गया.
यहां विभिन्न श्रृंखला में Mahuaसे स्वादिष्ट उत्पादन महुआ शरबत, आरटीएस जूस, चटनी, चिक्की, लड्डू और सूखा महुआ बनाते हैं. प्रोटीन फाइबर कार्बोहाइड्रेट आयरन और कैल्शियम से भरपूर Mahua स्वास्थ्य के लिए लाभदायक है.
प्रोसेसिंग यूनिट में जामुन चिप्स भी बनाया जा रहा है, जो प्रोटीन कार्बोहाइड्रेट आयरन विटामिन ए और सी से भरपूर है.
यह डायबिटीज के मरीजों के लिए फायदेमंद है. महिला समूह में 10 महिला काम करके आत्मनिर्भर बन रही हैं.
जय मां फिरन्ति महिला समूह की अध्यक्ष रश्मि यादव व सचिव भारती बताती हैं कि उनके समूह द्वारा बनाए गए प्रोडक्ट की मांग अब दूसरे राज्यों से भी आने लगी है.
इसकी सप्लाई देश के अलग-अलग हिस्सों में की जा रही है
इस तरह हो रहा काम
रश्मि यादव बताती हैं Mahua उत्पादों से संबंधित राजनांदगांव की पहली यूनिट का संचालन हमारे समूह द्वारा किया जा रहा है.
Mahua प्लस प्रसंस्करण केंद्र मध्य भारत की पहली Mahuaउत्पादन से संबंधित यूनिट है, जहां गुणवत्ता युक्त उत्पाद बनाए जा रहे हैं.
जिन गांव में अच्छा Mahua होता है, उन्हें चिह्नित कर ग्रीन नेट लगाकर अच्छे किस्म का Mahua संग्रहित करते हैं.
मानपुर मोहला और बाघ नदी क्षेत्र में Mahua अधिक मात्रा में होता है. पूर्व स्व सहायता समूह ने Mahua प्रसंस्करण केंद्र में कार्य करने उन्हें प्रशिक्षण दिया जाता है. टेस्टिंग के लिए उत्पाद भेजा जाता है.
रश्मि का कहना है कि पिछले तीन वर्षों की अगर औसतन आमदनी देखी जाए तो प्रतिवर्ष 18 से 20 लाख रुपये की आय हो जाती है. इससे कई महिलाओं को रोजगार भी मिल रहा है.
आने वाले समय में इसमें और इजाफा होने की संभावना है.