:राजकुमार मल:
भाटापारा- संकट में है टमाटर, गोभी और भाजी की फसल। खतरे में आ चुका है पत्ता और फूलगोभी। दोबारा बोनी के लिए किसानों को कम से कम एक पखवाड़े की प्रतीक्षा करनी होगी।
नजर में हैं सब्जी बाड़ियां और सब्जी फसलें। रुक-रुक कर हो रही बारिश से बाड़ियों में जल- जमाव की शिकायतों का आना चालू हो चला है, तो सड़न और गलन की समस्या अब बढ़ते क्रम पर हैं। इसके असर से खुदरा बाजार में सब्जियां महंगी होने लगीं हैं।

संकट में टमाटर और गोभी
टमाटर, फूल और पत्ता गोभी। यह तीनों सड़न और गलन की स्थिति में आ चुके हैं लेकिन सबसे ज्यादा मार भाजी फसलों पर पड़ता देखा जा रहा है क्योंकि तेजी से खराब हो रहीं हैं लगातार बारिश और जल- जमाव से। बैगन, करेला, भिंडी, कुम्हड़ा, कोचई, तुरई और लौकी सहित दूसरी सब्जियां भी कमोबेश ऐसी ही प्रतिकूल परिस्थितियों के घेरे में है।

जल निकास प्रणाली चुस्त करें
बारिश और सब्जी बाड़ियों पर नजर रख रहे सब्जी वैज्ञानिकों ने सब्जी उत्पादक किसानों से कहा है कि दोबारा बोनी के लिए कम से कम एक पखवाड़े की प्रतीक्षा करनी होगी। इसके पूर्व जल-जमाव वाले क्षेत्र की न केवल सुधार करना होगा बल्कि दोबारा प्रतिकूल स्थितियों से बचाव के लिए दो से पांच सेंटीमीटर ऊंची मेड़ बनानी होगी। अतिरिक्त जल निकासी की प्रणाली को मजबूत रखें।
महंगी होने लगी सब्जियां
फूलगोभी 90 से 100 रुपए किलो, ढेंस 100 से 150 रुपए किलो, करेला 50 से 60 रुपए किलो, भिंडी 40 से 50 रुपए किलो, कुम्हड़ा, कोचई, तुरई और लौकी भी पीछे नहीं है तेजी के मामले में। लेकिन टमाटर की कीमत का क्षेत्रवार तय होना हैरत में डाल रहा है। इसलिए बीच शहर में 40 और आउटर में 50 रुपए किलो जैसी कीमत बोली जा रही है। इसलिए उपभोक्ता क्रय शक्ति के हिसाब से खरीदी कर रहा है।

चुस्त रखें जल निकास प्रणाली
सब्जी की खेती कर रहे किसानों को सबसे पहले जल- जमाव वाले क्षेत्र की पहचान करते हुए जल निकास प्रणाली मजबूत करनी होगी। दोबारा बोनी के लिए नर्सरी तैयार रखें। मौसम साफ होने के बाद ही रोपण करना सही होगा। – डॉ अमित दीक्षित, डीन, उद्यानिकी एवं वानिकी महाविद्यालय एवं अनुसंधान केंद्र, सांकरा, दुर्ग