अक्षय तृतीया की जोरदार मांग निकली
राजकुमार मल
भाटापारा। पहली बार ब्रांडेड सत्तू को लोकल से कड़ा मुकाबला करना पड़ रहा है। कीमत ज्यादा होने के बावजूद लोकल सत्तू में अक्षय तृतीया की जोरदार मांग निकली हुई है।
छत्तीसगढ़ के पारंपरिक व्यंजनों का बाजार अब जोर पकडऩे लगा है। खुश इसलिए भी क्योंकि इन व्यंजनों को सभी वर्गों का प्रतिसाद मिल रहा है। खास तौर पर ठेठरी, खुरमी, पीडिय़ा, गुझिया और अईरसा को। जोरदार मांग हैरत में डाल रही है। ताजा डिमांड सत्तू में हैं, जो ब्रांडेड को पछाड़कर लोकल सत्तू में सबसे आगे हैं।
महंगा फिर भी लोकल
सत्तू लोकल 200 रुपए किलो। ब्रांडेड 180 रुपए किलो। इसके बाद भी उपभोक्ता मांग लोकल सत्तू में सबसे ज्यादा है। इसके पीछे स्थानीय उत्पादन के प्रति बढ़ता भरोसा को माना जा रहा है। इसके साथ विक्रेता संस्थानें भी विश्वसनीयता बनाए रखी हुईं हैं। यही वजह है कि ब्रांडेड प्रोडक्ट को लोकल प्रोडक्ट से कड़ा मुकाबला करना पड़ रहा है।
बढ़ रही पारंपरिक व्यंजनों में मांग
अईरसा,ठेठरी,खुरमी, पीडिय़ा, गुझिया। यह छत्तीसगढ़ के पारंपरिक व्यंजन हैं। ग्रामीण के अलावा शहरी उपभोक्ताओं को भी इनका स्वाद पसंद आने लगा है। इसे देखते हुए शादी ब्याह के बाद विदाई के दौरान दिए जाने वाले जोरन की भी उपलब्धता करवाई जा रही है। नया था जोरन का प्रवेश बाजार में, हाथों-हाथ उठाई जा रही है सुविधा।
पूरा ध्यान छत्तीसगढ़ी व्यंजन पर
उच्च कीमत वाली मिठाइयों की भीड़ में आसान नहीं था छत्तीसगढ़ी व्यंजनों का पहुंचाया जाना लेकिन नवीकरण की सोच रखने वाले देवांगन खजूरवाला के संचालक मयंक देवांगन को 6 साल की मेहनत के बाद अपने प्रयास में तब सफलता मिली, जब अईरसा, और ठेठरी, खुरमी को उपभोक्ताओं ने हाथों-हाथ लिया। अब पूरा ध्यान, छत्तीसगढ़ी त्यौहार और पर्व में सेवन किए जाने वाले व्यंजनों पर ही है।