चारामा। छग शासन के विधि एव विधायी विभाग के अंतर्गत व्यवहार न्यायधीश प्रवेश परीक्षा 2013 के लिए 49 पद विज्ञापित किये गये थे। विज्ञापित पदो पर व्यवहार न्यायाधीश के 49 पदो के लिए छग लोक सेवा आयोग के विभिन्न परीक्षा के चरणों को पुर्ण करने के बाद परीक्षो परिणामो की घोषणा 11 दिसम्बर को की गई। जिसमे 24वे स्थान पर चारामा विकासखण्ड के ग्राम बारगरी के निवासी सुमीत नायक ने अपना स्थान प्राप्त कर विकासखण्ड का नाम रौशन किया। परिणामो की घोषणा के बाद से ही लगातार सुमीत को बधाई देने वाले उनके घर पहुँच रहे है। उनके घर में खुशी का माहौल है। उन्होने अपनी इस सफलता का श्रेय अपनी माता प्रेरणाश्रोत श्रीमती सरोज नायक सहित पुरे परिवार के सदस्यो को दिया। सुमीत ने यह मुकाम बडी दृढता और संघर्ष कर प्राप्त की। बचपन में ही पिता की मृत्यु के बाद परिवार की जिम्मेदारी उठाते हुए अपनी पढाई पुर्ण कर मेहनत और लगन एवं विभिन्न परिस्थितियो को पार कर अपने दुसरे ही प्रयास में वे सिविल जज का पद प्राप्त किया। इसके पुर्व वर्ष 2022 मे वे इसी परीक्षा में अपने पहले ही प्रया समे वे मुख्य परीक्षा उत्तीर्ण कर साक्षात्कार तक पहुँचे, लेकिन मात्र 2.50 नम्बरो की कमी की वजह से वे सफल नहीं हो पाये। लेकिन हार नही मानी और अगले ही वर्ष फिर प्रयास कर वे आज सिविल जज है। ग्राम बारगरी के सुमीत पिता श्रवण कुमार नायक की पढाई उनके ही ग्राम बारगरी से शुरू हुई। माध्यमिक शिक्षा ग्राम गिरहोला मे पूर्ण कर चारामा में हाईस्कुल से हिन्दी माध्यम में ही कक्षा 12वी उत्तीर्ण की। समान्य परिवेश में सुमीत ने पढाई की। कक्षा 09वी में उनके पिता का साया उनके उपर से हट गया।
वे अपने घर के सबसे बडे पुत्र थे, इसलिए बड़ी बहन और छोटे भाई के साथ स्वयं को पढ़ाते हुए मॉ की सेवा कर परिवार की जिम्मेदारी पुर्ण की। खेती कर सदस्यों का पालन पोषण किया। इतनी सारी जिम्मेदारी सिर्फ खेती पर आश्रित होने के कारण उनकी आर्थिक स्थिति सुदृढ नही थी। परिवार के जिम्मेदारी के चलते कक्षा 12वीं में वे एक विषय में फेल भी हुए और सेपलिमेंटी पेपर देकर बारहवी पास की। 12वी के बाद वे वर्ष 2010 मे मा. 2000 रूप्ये पर निजी काम शुरू किया। फिर काम की तलाश में जनपद पंचायत चारामा मे अस्थाई कम्प्युटर ऑपरेटर का काम किया। जिसमे उन्हे 3000 रूप्ये मासिक वेतन मिला। तब वे स्नातक की पढाई भी कर रहे थे। 2013 में बीकॉम से स्नातक पुर्ण होते ही वे ऑपरेटर की नौकरी छोड महज 4000 के मासिक वेतन पर विद्युत विभाग में काम किया। स्वयं को पढाया और बहन भाई को भी पढाया। और अपना स्नाकोत्तर एमकॉम से तृतीय श्रेणी में पूर्ण किया। जिसके चलते जहाँ भी वे फार्म भरते उन्हे वहाँ जगह नहीं मिल पा रही थी। बडी ठोकर खाने के बाद उन्होने वर्ष 2016 में विद्युत विभाग से भी नौकरी छोडकर पिता की बात के सपने को याद करते हुए दृढ संकल्प लेते हुए न्यायाधीस बनने का फैसला लिया और फिर 2016 से 2020 तक लोक सेवा केंद्र चारामा में काम करते हुए 2017 में काकेर महाविघालय से एलएलबी कानून के विषय पर पढाई शुरू की और 2020 में प्रथम श्रेणी के साथ पुरे महाविघालय में शीर्ष स्थान प्राप्त किया, हलाकि तभी से वे सिविल जज की तैयारी में जुट गए थे, हलाकि आर्थिक तंगी क़े चलते वे कोई कोचिंग तो नहीं जा सके, इसलिए घर पर ही रहकर तैयारी शुरू की। वही 2021 में शासकीय जे योगानन्दम छग महाविधालय रायपुर मे एलएलएम अपराध एव अपकृत्य विषय पर स्नातकोत्तर की शिक्षा हासिल किया,और 2022 में वे प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण हुए।हालांकि 2021 में ही वे अधिवक्ता क़े रूप में नामांकित हो चुके थे, और 2022 से वे कांकेर न्यायालय में वकालत भी कर रहे थे, वर्तमान वे जिलाध्यक्ष अधिवक़ता संघ क़े सदस्य भी हैँ। 2021 में वे विज्ञापित एडीपीओ सहायक जिला अभियोजन अधिकारी गृह विभाग छग शासन द्वारा आयोजित परीक्षा में भाग लेकर मूल परीक्षा उत्तीर्ण कर साक्षात्कार में वर्ष 2022 में शामिल हुए, लेकिन कुछ नम्बर से वे सफल नही हो सके, वही 2022 में वे सिविल जज की 48 पद की भर्ती में प्रारभिक और मुख्य परीक्षा पास कर अपने पहले ही प्रयास में वे
साक्षात्कार तक पहुँचे लेकिन महज 2.50 नम्बर की कमी से वे असफल हुए। और इस बार वे सफल
हुए और अपने पिता के सपने को पूर्ण किया। उन्होने बताया कि जज बनने का सपना लेकर वे अपर्याप्त संसाधन एवं आर्थिक समस्या के चलते उन्होने सिविल जज की पुर्ण पढाई अपने ही घर पर स्वयं से की और समय समय पर विशेष मार्गदर्शन के लिए कुछ विशेषज्ञो से परामर्श भी ली। हिन्दी माध्यम से सम्पूर्ण पढाई करने के बाद भी वे सिविल जज जिसमे हिन्दी एवं अंग्रेजी आवश्यक है। के लिए अपने अंग्रेजी के स्तर को भी बढाया। उन्होने अपनी इस सफलता का श्रेय पिता के सपने और माता के आर्शीवाद के साथ साथ अपने बहन स्मिता नायक, जीजा सागर नायक एवं छोटे भाई नितिश कुमार नायक एवं अपने पुर्वज अराध्य कुल देवी ग्राम के देवी देवता, ईश्वर, परिजनो, ग्राम के सभी सहयोगी,रिश्तेदारो और मित्रो को देते हुए सबको धन्यवाद ज्ञापित किया है और अपने नये कर्तव्य पर देश व समाज हित के लिए काम करने की बात कही।
वही उन्होंने नई पीढ़ी क़े लिए कहा की मन क़े हारे हार हैँ, मन क़े जीते जीत- ये लाइन सुनते हुए सुमित नायक ने कहा की वे अपने आप को पहले दिन से ही जज मानकर तैयारी में बैठे गए थे, और सफलता मिली, इसी तरह सबको निराश ना होकर अपने संकल्प क़े लिए मेहनत करने की बात कही।जो भी परिस्थिति हो, उससे डटकर आगे बढ़ने का सन्देश दिया।