एक ही फसल लेने की अपेक्षा नगद फसलों पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए
दिलीप गुप्ता
सरायपाली :- क्षेत्र के किसानों को लगातार एक ही फसल लेने के बजाय उनजे नगद व कम पानी लगने वाले फसलों पर अधिक ध्यान केंद्रित करना चाहिए । इससे किसानों को नगद राशि भी तत्काल मिलेगी तो वही खेतो की उर्वरा शक्ति को भी नुकसान नही पहुंचेगा । नगद फसलों से किसानों को सरकार के ऊपर आश्रित भी नही रहना पड़ेगा । हमारे देश के प्रधानमंत्री , विख्यात कृषि विशेषज्ञों , कृषि वैज्ञानिकों व कृषि से जुड़े अधिकारियों ने भी यह सुझाव देश के सभी किसानों को दिया है कि लगातार बढ़ते जल संकट व भूजल के लगातार घटते स्तर से आने वाले समय मे पेयजल व सिंचाई के लिए पानी की समस्याओ में वृद्धि होगी इसलिए अभी से इस पर तत्काल संज्ञान लेते हुवे फसल चक्र परिवर्तन को आत्मसात किये जाने की आवश्यकता है ।
संगम सेवा समिति के सरंक्षक व उन्नतशील किसान प्रखर अग्रवाल ने किसान भाईयों को उक्त सुझाव देते हुवे कहा कि छत्तीसगढ़ में भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनते ही सरकार ने जन हितैषी योजनाओं का पिटारा जनता के सामने खोल कर रख दिया है सरकार छ्त्तीसगढ़ की आम जनता एवं किसानों की आय में वृद्धि के लिए प्रतिबद्ध है उसी कड़ी में कय़ास लगाए जा रहे है कि रबी के मौसम में धान के फ़सल पर रोक लगाई जा रही है अगर एसा होता है तो कई मायनों में किसानों को अन्य फसल सब्ज़ी फ़ुल लगाने के वैकल्पिक मार्ग खुलेंगे वही दूसरी ओर कही ना कही आगामी खऱीफ़ की फसल में धान के समर्थन मूल्य में वृद्धि की संभावना भी बनी रहेगी , वही स्थानीय किसानों द्वारा अगर सब्ज़ी या अन्य फ़सलों की खेती रबी के मौसम में की जाती है तो स्थानीय मार्केट में सब्ज़ीयो के दाम से भी आम जनता को राहत मिल सकेगी ,वही अलग अलग मौसम में अलग अलग फसल लेने से ज़मीन की उर्वरकता भी बढ़ेगी जिससे जो की पर्यावरण एवं किसान दोनों के लिए हितकारी होगा, वही दूसरी ओर प्राय: हर गांव में जल स्तर गिरता जा रहा है जिससे गर्मी के मौसम में पीने के लिए पानी भी मुश्किल से मिल रहा, धान की फसल में अधिक पानी की अवस्यकता होती है और धान की फसल ना लेने से जल स्तर भी बढ़ेगा अत: किसान भइयो को सतर्क एवं जागरूक होकर ध्यान रखना है कि किसान हितैषी फ़ैसले का राजनीतिक ध्रुवीकरण ना होने पाए ।