Sarapali Latest News : सगरी बनाकर की शिव-पार्वती की पूजा , करू भात खाकर तोड़ा उपवास
Sarapali Latest News : सरायपाली :- नगर के साथ ही ग्रामीण क्षेत्रो में कमरछठ की पूजा हिन्दू त्योहारों में एक प्रमुख व काफी कठिन ब्रत वाला त्योहार माना जाता है । इस दिन उन पूजा में उन कठिन सामग्रियों से पूजा की जाती है जो बहुत ही मुश्किलों से मिला करती है । बिना जुताई किये हुवे सामग्रियों जाइए चावल जिसे पशहरी चावल कहते हैं मिर्ची आदि का उपयोग होता है ।
Related News
तो वही इस दिन भैंस के दूध से बने दूध , दही व घी का ही उपयोग किया जाता है । कमरछठ (हलषष्ठी ) के त्योहार को संतान की लंबी उम्र के लिए माताओं द्वारा निर्जला उपवास रखकर मनाया जाता है । कमर छठ की तैयारी करने सुबह से ही बाजार में खासी भीड़ रहती है । इस दिन इस पूजा में लगने वाले सामग्रियों की कीमत लगभग दोगुना ही जाती है ।
छह तरह की भाजियां, पसहर चावल, काशी के फूल, महुआ के पत्ते, धान की लाई सहित पूजा की कई छोटी-बड़ी पूजन की सामाग्री भगवान शिव को अर्पित कर संतान के दीर्घायु जीवन की कामना माताओं द्वारा की जाती है ।
कमरछठ की पूजा के लिए अलग अलग मोहल्लों व गलियों में 15 -20 महिलाएं एकत्र होकर सामूहिक रूप से पूजा करती हैं । पूजा स्थल पर प्रतीकस्वरूप दो सगरी (तालाब) के साथ मिट्टी की नाव बनाई जाती है व फूल-पत्तों से सगरी को सजाकर वहां महादेव व पार्वती की पूजा की जाती है ।
Sarapali Latest News : दिनभर निर्जला रहकर शाम को सूर्य डूबने के बाद व्रत खोल कर करू भात जिसे कड़वा भात भी कहा जाता है महुवा के पत्ते में रखकर खाया जाता है । बिहार में जिस तरह छठ मईया की पूजा होती है उसी तरह छत्तीसगढ़ में कमरछठ का महत्व है व इसी तर्ज पर पूजा भी की जाती है ।