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जनपद में नए अध्यक्ष व उपाध्यक्ष चुनने 4 को बैठक
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12 जनपद सदस्यों ने नाखुश होकर दिया था अविश्वास प्रस्ताव
भानुप्रतापपुर। जनपद पंचायत के कांग्रेस समर्थित अध्यक्ष ब्रिजबती मरकाम एवं उपाध्यक्ष सुनाराम तेता के कामकाज को लेकर नाखुश 12 जनपद सदस्यो ने गतदिवस उन्हें हटाने के लिए कलेक्टर एवं जिला पंचायत सीईओ से गुहार लगाई थी।
जनपद इस मामले को लेकर सस्पेंस अब भी बरकरार है। क्षेत्र में यह चर्चा हैं कि कांग्रेस ने अपने लोंगो को मना लिया हैं, और उनके अध्यक्ष व उपाध्यक्ष बने रहेंगे।
वहीं जनपद सदस्यों का कहना हैं कि हमारी किसी से कोई बात नहीं हुई हैं, अविश्वास प्रस्ताव लाने में सभी जनपद सदस्य हैं कोई पार्टी का हस्तक्षेप नहीं हैं।
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अध्यक्ष व उपाध्यक्ष द्वारा हमारी उपेक्षा की जाती हैं इसलिए उन्हें पद से हटा कर दूसरे को अध्यक्ष व उपाध्यक्ष बनाना हैं। इस हेतु 4 जुलाई को जनपद सभागार में बैठक आयोजित की गयी हैं।
बता दे कि भानुप्रतापपुर में कुल जनपद सदस्यों की संख्या 14 है, जिनमे 08 कांग्रेस, 05 भाजपा एवं 01 आमआदमी पार्टी से है।
जनपद सदस्यों का चुनाव 2020 में हुआ था, मात्र ढाई वर्षों के कार्यकाल में
अध्यक्ष व उपाध्यक्ष को लेकर आपसी मदभेद की स्थिति बनी रही।
बागी जनपद सदस्य जीवन राम सलाम, अंजली ठाकुर, कुमिन ठाकुर, निर्मला कावड़े,राम बाई गोटा,
प्रभा दुग्गा, कमलेश निषाद, मनीषा ठाकुर, प्रतिभा यदु,इंद्रा आरदे,
थमश्री वेद, एवं झाडू राम मंडावी ने अध्यक्ष एवं उपाध्यक्ष पर आरोप लगाते हुए कहा गया कि प्रति माह समीक्षा बैठक नही कराई जाती।
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हम सभी जनपद सदस्यों के हमेशा उपेक्षा किया जाता है।
बिना प्रस्ताव के अपने मनमर्जी से अध्यक्ष, उपाध्यक्ष के द्वारा कार्य कराये जाते है। हमारे जनपद क्षेत्रों में कोई विकास कार्य नहीं होता, और न ही हमारे क्षेत्र के लोंगो की समस्या सुनी जाती हैं।
इस लिए हम सभी सदस्यों ने मिलकर फैसला लिया है कि वर्तमान अध्यक्ष व उपाध्यक्ष को हटाकर नए सिरे से चुनाव कराये जाये।
साथियों का विश्वास नही जीत पाए अध्यक्ष, उपाध्यक्ष
ढाई साल के कार्यकाल में अध्यक्ष एवं उपाध्यक्ष अपने साथी जनपद सदस्यों का विश्वास नही जीत पाए है। उनके जनपद क्षेत्र में आमजनो की समस्या जस की तस बनी हुई हैं,
जब जनपद सदस्यों की उपेक्षा हो रही हैं तो आमजन के साथ सामंजस्य कैसे बना पाएंगे। विगत दिनों जनपद अध्यक्ष के क्षेत्र से पानी की समस्या लेकर कुछ ग्रामीणों ने एसडीएम कार्यालय में आवेदन दिया था।
इसी से समझा जा सकता हैं कि जब अध्यक्ष के क्षेत्र में ही मुलभुत सुविधाओं का आभाव हैं तो बाकि के क्षेत्र में क्या हाल होगा।
अध्यक्ष व उपाध्यक्ष से मिलना व सम्पर्क साधना हुआ मुश्किल
अध्यक्ष व उपाध्यक्ष मनोनीत होने के बाद आमजनों की यह शिकायत रही कि न तो समय पर उनसे मुलाकात हो पाती है और न ही वे फोन उठाना उचित समझते हैं।
जबकि जनप्रतिनिधियों का कार्य क्षेत्र के विकास के साथ जनता की समस्याओं का निराकरण
और उनसे सतत सम्पर्क में रहना भी हैं। इस कार्य में अध्यक्ष व उपाध्यक्ष दोनों ही फेल होते नजर आ रहे हैं।
बाकि जनपद सदस्यों द्वारा इन सब बातों के चलते अविश्वास प्रस्ताव लाने की तैयारी हैं, और जनहित में कार्य करने वालों को अध्यक्ष व उपाध्यक्ष का पद दिया जायेगा।