हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार, कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को भगवान विष्णु चार महीने बाद कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को देवउठनी एकादशी पड़ती है।
तुलसी विवाह का दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की विशेष कृपा पाने का दिन भी होता है.
तुलसी विवाह के दिन पति-पत्नी पवित्र नदी में स्नान करें. यदि पवित्र नदी में स्नान न करें तो घर पर ही पवित्र नदी के जल मिले पानी से नहाएं.
तुलसी विवाह के दिन माता तुलसी और भगवान शालिग्राम जी का विवाह रचाएं. इससे वैवाहिक जीवन में मिठास घुलेगी. साथ ही पति-पत्नी का रिश्ता मजबूत होता है.
पानी में तुलसी के पत्ते डालें. फिर इस जल को पूरे घर में छिड़कें. इससे घर की नकारात्मकता दूर होगी. घर में कलह दूर होगी.
एकादशी तिथि 03 नवंबर को शाम 07 बजकर 30 मिनट से शुरू होगी, जो कि 04 नवंबर को शाम 06 बजकर 08 मिनट पर समाप्त होगी।
देवउठनी एकादशी व्रत तोड़ने का शुभ समय 05 नवंबर को सुबह 06 बजकर 36 मिनट से सुबह 08 बजकर 47 मिनट तक है। पारण तिथि के दिन द्वादशी समाप्त होने का समय - 05:06 पी एम तक है।
-एकादशी के दिन व्रत के दौरान अन्न का सेवन नहीं किया जाता।
एकादशी का व्रत खोलने के बाद ब्राहम्णों को दान-दक्षिणा दें।