रायुपर। वरिष्ठ रंगकर्मी ज्वाला कश्यप की 3 जुलाई की शाम को निधन हुआ था। उन्होंने अस्पताल में अंतिम सांस ली। उन्होंने सन 1981-82 के दशक में औरत, मशीन, जंगीराम की हवेली, जुलूस जैसे नाटकों में मंचन किया।
उन्होंने 1983 से 90 तक जहाज़ फूट गया है नाटक का देश के विभिन्न स्थानों पर लगभग 1300 से अधिक मंचन प्रदर्शन किया। साथ ही उन्होंने सफ़दर हाश्मी के हत्या के विरोध में रायपुर से दिल्ली तक नुक्कड़ नाटक करते हुए प्रदर्शन किया।
92 से 95 तक नुक्कड़ नाटक मत बांटो इंसान को, में सक्रिय रहे। कालिगुला, कबिरा खड़ा बाज़ार में लोककथा 78, गोदान, आधे अधूरे, आला अफसर आदि नाटकों में अनेक भूमिका में सफल अभिनय प्रस्तुत किया। आकाशवाणी रायपुर के लिये अनेक नाट्य स्क्रिप्ट का लेखन किया। रंगमंच, टीवी तथा फिल्मों में अभिनय सेट तथा प्रॉप्स निर्माण के रायपुर में एक मात्र निर्माणकर्ता थे।
उनके साथ काम करने वाले रंगकर्मियों ने कहा कि ज्वाला कश्यप हमारे बीच के एक ऐसे बड़े कलाकार थे जिन्होंने नुक्कड़ नाटक जहाज फूट गया है, से लेकर अनेक नाटकों में यादगार अभिनय किया। वे सिर्फ कलाकार ही नहीं, बेहद जिंदादिल इंसान थे। ऐसे कलाकार की कमी निश्चित रूप से हम सब ताउम्र महसूस करते रहेंगे। रायपुर के सभी उनके साथी व रंगकर्मियों ने स्व. ज्वाला कश्यप को विनम्र श्रद्धांजलि दी है।
वरिष्ठ रंगकर्मी ज्वाला कश्यप को दी गई श्रद्धांजलि
![पूर्व रंगकर्मी ज्वाला को दी गई श्रद्धांजलि](https://aajkijandhara.com/storage/2024/07/web_06.jpg)