रामनारायण गौतम
56 भोग लगाकर गोवर्धन जी की पूजा अर्चना की गई
Srimad Bhagwat Katha इंद्र के घमंड को दूर करने के लिए भगवान ने ब्रज मंडल में इंद्र की पूजा बंद कर गोवर्धन की पूजा शुरू करा दी
Srimad Bhagwat Katha सक्ती ! नगर में जायसवाल परिवार द्वारा आयोजित श्रीमद्भागवत कथा के छठवें दिन व्यास पीठ से देवी चित्रलेखा जी ने भगवान कृष्ण की बाल लीला एवं गोवर्धन पूजा के कथा का भक्तगणों को श्रवण कराते हुए कहा भगवान श्रीकृष्ण की बचपन की लीला माखन चोर लीला है. भगवान श्रीकृष्ण प्रतिदिन अपने साथियों के साथ गोपियों के घरों में माखन चुराने जाते थे भगवान श्री कृष्ण की अद्भुत लीलाएं मानव जीवन के लिए प्रेरणादायक हैं।
बाल कृष्ण सभी गोपियों का मन मोह लिया करते थे। नटखट स्वभाव के चलते यशोदा मां के पास उनकी हर रोज शिकायत करने गोपियां आती थी यशोदा कृष्ण से पूछती है गोपियों के घरों का माखन चुरा के क्यों खाया करते हो तो वह तुरंत मुंह खोलकर मां को दिखा दिया करते थे कि मैने माखन नहीं खाया !
देवी चित्रलेखा कहा ने कहा यशोदा में अहंकार था तो कृष्ण नहीं बंधे, लेकिन प्रेम से श्रीकृष्ण भक्तों के बंधन में बंध जाते हैं। जब मनुष्य मन, वचन, काया से निस्वार्थ स्मरण प्रभु कृपा करते हैं भगवान उन पर कृपा करते हुए साक्षात दर्शन भी देते हैं गोवर्धन पूजा प्रसंग पर गोवर्धन लीला की झांकी सजाई गई और गिरिराज को 56 भोग लगाकर गोवर्धन जी की पूजा अर्चना की गई देवी चित्रलेखा ने कहा इंद्र के घमंड को दूर करने के लिए भगवान ने ब्रज मंडल में इंद्र की पूजा बंद कर गोवर्धन की पूजा शुरू करा दी।
इससे गुस्साए इंद्र ने ब्रज मंडल पर भारी बरसात कराई। प्रलय से बृजवासियों को बचाने के लिए भगवान ने कनिष्ठा उंगली पर गोवर्धन पर्वत को उठा कर अपने भक्तों की रक्षा की जो मनुष्य भगवान को सच्चे दिल से करता है भगवान की रक्षा करने के लिए किसी ने किसी रूप में प्रकट होते हैं इसीलिए हर मानव को भगवान का नाम लेते रहना चाहिए और भागवत कथा श्रवण करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है !