Shriramlala असीम विशेषताओं से परिपूर्ण है श्रीरामलला का बाल विग्रह
Shriramlala अयोध्या ! श्रीरामजन्मभूमि पर नव्य,दिव्य,भव्य मंदिर में सोमवार को श्रीरामलला के जिस मनोहारी बाल विग्रह की प्राण प्रतिष्ठा की गयी है, कृष्ण शिला से बनी औलोकिक प्रतिमा विशेषताओं का अथाह सागर खुद में समेटे हुये है।
Shriramlala श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के सूत्रों के मुताबिक मैसूर के शिल्पकार अरुण योगीराज द्वारा निर्मित यह विग्रह एक कृष्ण शिला से निर्मित है जिसकी ऊंचाई 51 इंच है। पुरातत्वविदों का दावा है कि मनोहारी प्रतिमा पर चंदन,हल्दी और धूप गंध का प्रतिकूल असर सदियों तक होने वाला नहीं है।
Shriramlala प्रतिमा का निर्माण दस टन वजनी और छह फिट चौड़ी व चार फिट मोटी कृष्ण शिला को तराश कर किया गया है। इस शिला का कई स्तर से वैज्ञानिक परीक्षण करने के उपरांत विग्रह के निर्माण की अनुमति दी गयी है। तीर्थ क्षेत्र के आग्रह पर नेशनल राॅक इंस्टीट्यूट के एक वैज्ञानिकों के दल ने इसकी रासायनिक संरचना का परीक्षण कर मूर्ति बनाये जाने की बात तय की। विशेषज्ञो ने माना कि प्रतिमा पर किसी भी मौसम और वातावरण का असर होने वाला नहीं है। यही वजह है कि दक्षिण भारतीय शिल्पकारों के लिये कृष्ण शिला पहली पसंद बनी हुयी है।
भगवान श्री राम के बाल विग्रह में भगवान विष्णु के दशावतार के दर्शन होते हैं। सबसे ऊपर भगवान विष्णु इसके बाद, मत्स्य, कूर्म, वराह, नरसिंह, वामन, परशुराम, राम, कृष्ण, बुद्ध और कल्कि भगवान उकेरे गये है। प्रतिमा में एक तरफ हनुमान जी और दूसरी तरफ गरुड़ महाराज के भी दर्शन होते हैं।
Shriramlala इस मूर्ति का वजन लगभग 200 किलोग्राम है और प्रतिमा के क्षितिज पर सूर्य देव की छवि को उकेरा गया है। इसके साथ रामलला की प्रतिमा में सनातन धर्म के प्रमुख चिन्ह, स्वास्तिक, ॐ, भगवान विष्णु का चक्र और गदा को भी बनाया गया है।