(Sacrifice) कुर्बानी के जज्बे के साथ मनाई ईद उल अजहा

(Sacrifice)

रमेश गुप्ता ,अरशद अली

  (Sacrifice) ईदगाह व मस्जिदों में हर्षोल्लास से सुबह विशेष नमाज अदा की गई

 

(Sacrifice) भिलाई। ईद उल अजहा के मौके पर शहर के तमाम ईदगाह व मस्जिदों में रविवार की सुबह विशेष नमाज अदा की गई। (Sacrifice) नमाज का सिलसिला सुबह 7:00 बजे से शुरू हो गया था जो 10:00 बजे तक चलता रहा।लोगों ने मुल्क में अमन व सलामती की दुआएं की वही गले मिलकर एक दूसरे को ईद की मुबारकबाद दी। मुस्लिम समुदाय के लोगों ने ईद उल अजहा के मौके पर अपनी हैसियत के मुताबिक बकरों की कुर्बानी दी।

(Sacrifice) बारिश के मौसम को देखते हुए मस्जिद और ईदगाहों में खास इंतजाम किए गए थे। जामा मस्जिद सेक्टर 6 में सुबह 8:00 बजे हाफिज इकबाल अंजुम हैदर की इमामत में हजारों लोगों ने नमाज पढ़ी। वहीं बारिश को देखते हुए या जिन लोगों को नमाज छूट गई थी उनके लिए मस्जिद में भी अलग से नमाज का इंतजाम किया गया था।

(Sacrifice) नमाज के बाद इमाम ने खुतबा पढ़ा और भिलाई नगर मस्जिद ट्रस्ट की ओर से सालाना रिपोर्ट नमाजियों के सामने पेश की गई। इसके बाद सभी ने हाथ उठाकर दुआएं की जिसमें मुल्क में अमन व सलामती और भाईचारा कायम रखने के लिए खास तौर पर दुआएं की गई। इसी तरह शहर में रूआबांधा, रिसाली, फरीद नगर, अय्यप्पा नगर, हाउसिंग बोर्ड, कैंप एक,कैंप 2,चरोदा,भिलाई 3 जामुल और आसपास के तमाम इलाकों की मस्जिद व ईदगाहों में ईद उल अजहा की खास नमाज अदा की गई। नमाज के बाद लोगों ने गले मिलकर एक दूसरे को मुबारकबाद दी।

जिन घरों में कुर्बानी रखी गई थी वहां लोग ज्यादा व्यस्त रहे। इसके अलावा हज करने गए लोगों से भी उनके परिजनों ने बात कर एक दूसरे को मुबारकबाद दी। ईद उल अजहा पर 3 दिन तक बकरों की कुर्बानी का दौर जारी रहेगा। ईद के मौके पर लोगों ने कब्रिस्तान पहुंचकर अपने परिजनों की कब्र पर भी दुआएं की।

ईद उल अजहा पर कुर्बानी की अहमियत बताई इमाम ने

ईदुज्जुहा के मौके पर मरकजी मस्जिद कैम्प 2 के खतीब व मौलाना इनामुल ने कहा कि अल्लाह को कुर्बानी बहुत पसंद है। कुर्बानी का अर्थ इच्छाओं का दमन करना है हर बुरी आदतो का दमन और त्याग जरूरी है ।अल्लाह के नजदीक तकवा (परेहजगारी ) बहुत पसंद है। हजरत इब्राहीम अलैहिस्सलाम को अल्लाह ने अलग मौके पर कुर्बानी देने कहा। शुरू मे बीवी ओर औलाद को वीरान जंगल जहां आबादी नही खाने पीने का कोई इंतजाम नही में छोड़ा।

उन्होंने इस मौके पर अपनी बीवी हजरत हाजरा अलैहिस्सलाम ओर बेटे ईस्माइल अलैहिस्सलाम को छोड दिया। भूखे प्यासे रहने पर हजरत ईस्माइल ने रेगिस्तान भरे जंगल पर अपने एडियों को रगड़ा, जिससे अल्लाह ने अपनी कुदरत से पानी की धार फूट पड़ी जिसे हजरते हाजरा ने अरबी ओर तिरबानी मिश्नित जबान मे कहा आबे जमजम यानि (पानी थम जा रुक जा )। यह वही अभिनंदन है जिसे हर हाजी अपने हज के बाद अपने साथ लेकर आता है।

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दूसरी बार अल्लाह ने इब्राहिम अलैहिस्सलाम को जिन्हें बुढापे की उम्र मे एक बेटा अता किया। अल्लाह ने इब्राहिम अलैहिस्सलाम से ख्वाब मे कहा अपनी सबसे प्यारी चीज मेरी राह में कुर्बान करो। पहले उन्होंने ने जानवरों को अल्लाह की राह मे कुर्बान किया फिर भी ख्वाब जारी रहा तो समझ गए कि बेटे से ज्यादा मुझे इस वक्त कोई प्यारा नही। उन्होंने अपने ख्वाब के बारे में बताते हुए बेटे इस्माईल से कहा। बेटे ने कहा आप मुझे साबित कदम पाऐंगे।

जब उन्होंने बेटे को कुर्बान करने लेटाया तो बेटे ने कहा आप आंखो मे पट्टी बांध ले कही बेटे की मोहब्बत खालिक यानि परवरदिगार के मुकाबले पर आपको इस काम से रोक न दे। अल्लाह को यह अदा पंसद आई ओर बेटे की जगह फरिश्ते के जरिए जन्नत से एक दुंबा रखा गया। इस सुन्नत (तरीके) को हमेशा के लिए पंसद करार दिया। तब से अब कयामत हर साहिबे हैसियत को कुर्बानी वाजिब हो गई है।

अल्लाह कुरान मे फरमाता है,ऐ लोगों ना तुम्हारा खून ,गोश्त ओर चमड़ा मुझ तक नही पहुंचता लेकिन तुम्हारी तकवा,परहेज़गारी और फरमाबरदारी महबूब है। मौलाना शकील मर्कज नूर ने कहा आखिरी नबी हजरत मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहिस्सलाम ने दुनिया मे लोगो को गरीब ,मुफलिस, यतीम, बेवा,भूखे ,असहाय लोगो को उनका हक दिलाने ,एक अल्लाह की इबादत के साथ प्रेम शांति के साथ रहने ओर हिंसा समाप्त करने लोगों मे आपसी भाईचारा को पैदा करने अनथक मेहनत करके इंसाफपसंद माहौल व समाज बनाया। मौलाना सैय्यद फैसल ने कहा आज हम सबको अपने घमंड को दूर करके ईदुल अज्हा के दिन जानवर की क़ुरबानी के साथ,

अपनी नफ़्स-परस्ती, दुनिया-परस्ती, माद्दा-परस्ती यानी शैतान परस्ती को क़ुरबान करने का मुक़म्मल अज़म करके साफ सुथरा समाज बनाने हम सभी की जिम्मेदारी है। इस मौके पर डा सैय्यद ईस्माइल ,हाफिज आमान,हाफिज कासिम बस्तवी, इब्राहिम कुरैशी, डा शम्स परवेज ,फिरोज खान, सैय्यद असलम, नासिर कुरैशी, सैय्यद इकबाल, मोहसिन कुरैशी, सरफराज कुरैशी, युनूस कुरैशी, बासित अली,सेक्टर 9 कैंसर रोग विशेषज्ञ डा रियासत अली ,अब्दुल वहाब,नईम पाशा,हमीद,सलाम ,सईद,मोहम्मद असलम ,इमामुद्दीन पटेल ,युसूफ सिद्दीकी, हाफिजअहमद ,निजामुद्दीन ,अकरम ,सईद,अशरफ,इनाम,सोहेल,बाबा,आमिर सिदीकी ,एस के जहरूल हक ,जमील,अमीन सयानी ,शफीक और तमाम लोगों ने मस्जिदों में पहुंचे और मुस्लिम भाइयों को मिलकर ईद उल अजहा की दिली मुबारकबाद दी।

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