(PMO regarding Joshimath)  जोशीमठ को लेकर पीएमओ ने दिये तात्कालिक एवं दीर्घकालिक योजना बनाने के निर्देश 

(PMO regarding Joshimath)

(PMO regarding Joshimath)  जोशीमठ को लेकर पीएमओ ने दिये तात्कालिक एवं दीर्घकालिक योजना बनाने के निर्देश

(PMO regarding Joshimath) नयी दिल्ली !  प्रधानमंत्री कार्यालय ने उत्तराखंड के जोशीमठ में ज़मीन में दरारें पड़ने एवं मकानों के क्षतिग्रस्त होने की घटना को अत्यंत गंभीरता से लेते हुए केन्द्रीय संस्थानों को तकनीकी एवं पुनर्निर्माण में सहायता करने के निर्देश दिये हैं जबकि राज्य सरकार को स्थानीय जनता से सतत संपर्क बनाये रखने एवं उनके लिए तात्कालिक एवं दीर्घकालिक योजना बनाने के निर्देश दिये हैं।

(PMO regarding Joshimath) प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव डॉ. पी. के. मिश्रा ने रविवार को यहां जोशीमठ के घटनाक्रम की एक उच्च स्तरीय बैठक में समीक्षा की। इस बैठक में कैबिनेट सचिव राजीव गौबा, गृह सचिव, केन्द्र सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ-साथ राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के सदस्य, उत्तराखंड के मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक, जोशीमठ के जिलाधिकारी एवं उत्तराखंड के वरिष्ठ अधिकारी और भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान रुड़की, राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन संस्थान, भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण, वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी के विशेषज्ञ भी वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से शामिल हुए।

बैठक में बताया गया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जोशीमठ की स्थिति से चिंतित हैं और उन्होंने मुख्यमंत्री के साथ स्थिति की समीक्षा की है।

(PMO regarding Joshimath) बैठक में उत्तराखंड के मुख्य सचिव ने बताया कि केंद्रीय विशेषज्ञों के सहयोग से राज्य और जिले के अधिकारियों ने जमीनी स्थिति का आकलन किया है। वहां करीब 350 मीटर चौड़ी जमीन की पट्टी प्रभावित हुई है। एनडीआरएफ की एक टीम और एसडीआरएफ की चार टीमें जोशीमठ पहुंच चुकी हैं। जिला प्रशासन प्रभावित परिवारों के साथ भोजन, आश्रय और सुरक्षा की पर्याप्त व्यवस्था के साथ उन्हें सुरक्षित स्थानों पर स्थानांतरित करने के लिए काम कर रहा है। पुलिस अधीक्षक और एसडीआरएफ के कमांडेंट मौके पर तैनात हैं। जोशीमठ के निवासियों को घटनाक्रम से अवगत कराया जा रहा है और उनका सहयोग लिया जा रहा है। लघु-मध्यम-दीर्घकालीन योजनाएं तैयार करने के लिए विशेषज्ञों की सलाह ली जा रही है।

उन्होंने बताया कि इसके अलावा सीमा प्रबंधन सचिव और एनडीएमए के चारों सदस्य सोमवार को उत्तराखंड का दौरा करेंगे। वे हाल ही में जोशीमठ से लौटे तकनीकी दल (एनडीएमए, एनआईडीएम, एनडीआरएफ, जीएसआई, एनआईएच, वाडिया संस्थान, आईआईटी रुड़की) के निष्कर्षों का विस्तृत आकलन करेंगे और राज्य सरकार को स्थिति का समाधान करने के लिए तत्काल, लघु-मध्यम-दीर्घकालिक कार्रवाइयों पर सलाह देंगे।

प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव ने जोर देकर कहा कि प्रभावित क्षेत्र में रहने वाले लोगों की सुरक्षा राज्य के लिए तत्काल प्राथमिकता होनी चाहिए। राज्य सरकार को प्रभावित लोगों के साथ एक स्पष्ट और निरंतर संवाद स्थापित करना चाहिए। व्यवहार्य उपायों के माध्यम से स्थिति को बिगड़ने से रोकने के लिए तत्काल प्रयास किए जाने चाहिए। प्रभावित क्षेत्र की एक अंतर-विषयी जांच की जानी चाहिए। कई केंद्रीय संस्थानों के विशेषज्ञ- राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए), राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन संस्थान (एनआईडीएम), भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (जीएसआई), भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) रुड़की, वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी (डब्ल्यूआईएचजी), राष्ट्रीय जल विज्ञान संस्थान (एनआईएच) और केंद्रीय भवन अनुसंधान संस्थान (सीबीआरआई) को ‘संपूर्ण सरकार’ दृष्टिकोण की भावना से उत्तराखंड राज्य के साथ मिलकर काम करना चाहिए। एक स्पष्ट समयबद्ध पुनर्निर्माण योजना तैयार की जानी चाहिए। निरंतर भूकंपीय निगरानी की जानी चाहिए। इस अवसर का उपयोग करते हुए जोशीमठ के लिए जोखिम के प्रति एक संवेदनशील शहरी विकास योजना भी विकसित की जानी चाहिए।

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