Atiq terror : अतीक के आंतक से मुक्त इलाहाबाद के लोग तीन दशक बाद करेंगे बेखौफ मतदान

Atiq terror :

Atiq terror : अतीक के आंतक से मुक्त इलाहाबाद के लोग तीन दशक बाद करेंगे बेखौफ मतदान

 

Atiq terror : प्रयागराज !  लोकसभा चुनाव के छठे चरण में इलाहाबाद और फूलपुर संसदीय सीट के लिए मतदाता लगभग तीन दशक बाद बेखौफ होकर 25 मई को अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे।

पिछले तीन दशकाें से प्रयागराज में माफिया डॉन अतीक अहमद का दबदबा था जिसकी पिछले साल हत्या कर दी गयी थी। माफिया से नेता बना अतीक सियासत में अपने दखल से हारी हुई बाजी को जीत में बदलने का माद्दा रखता था। 15 अप्रैल 2023 की रात प्रयागराज के काल्विन अस्पताल में पुलिस अभिरक्षा में अतीक और उसके भाई खालिद अजीम उर्फ अशरफ को तीन युवकों ने गोलियों से भूनकर मौत के घाट उतार दिया। पहली बार ऐसा होगा जब फूलपुर और इलाहाबाद में छठवें चरण में 25 मई को होने वाले लोकसभा चुनाव में माफिया अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ का चुनाव में मतदाताओं पर कोई खौफ नहीं होगा।

Atiq terror :  राजनीति में लंबे समय से पार्टी के नेताओं को चुनाव जीताने में माफियाओं और डकैतों की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। उनके अपने प्रभाव वाले क्षेत्रों में मतदाता उनके अनुसार ही अपना मतदान करता था। उत्तर प्रदेश से अतीक अहमद , मुख्तार अंसारी, खान मुबारक, मुन्ना बजरंगी, संजीव जीवा माहेश्वरी जैसे माफियाओं का खत्मा के साथ ही जंगलों से ददुआ, ठोकिया और गौरी यादव जैसे डकैतो का खत्मा होने के बाद भले ही उत्तर प्रदेश की राजनीति में यहपहला चुनाव हो जिसमें डकैतो और माफियाओं का दखल निचले पायदान पर पहुंच गया, बावजूद इसके प्रदेश की जेलों में बंद कई ऐसे माफिया और बाहुबली अपने करीबियों को जिताने की हर संभव प्रयास करेंगे और उनके रसूख को कुछ राजनीतिक दल भी भुनाना चाहेंगे।

Atiq terror : अतीक मुस्लिम समुदाय की गद्दी बिरादरी का नेता रहा। उसका प्रभाव इलाहाबाद और फूलपुर के आसपास रहने वालों के साथ ही पूर्वांचल में अल्पसंख्यक वोटों पर पकड़ मजबूत थी। माफियागिरी के दम पर पांच बार विधायक और एक बार सांसद रहा अतीक 1989 में शहर पश्चिमी से निर्दलीय के रूप में पहली बार विधायक बना। वर्ष 1996 तक वह निर्दलीय ही लड़ा और जीतता रहा। इसके बाद समाजवादी पार्टी (सपा) का दामन थामा और 1996 में चौथी बार विधायक बना। पांचवी बार अपना दल से 2002 में शहर पश्चिमी से ही चुनाव जीता। इसके बाद सपा के टिकट पर 2004 में फूलपुर लोकसभा सीट पर विजय हासिल किया। अतीक के आतंक के अंत के साथ ही उसके प्रभाव वाले क्षेत्रों में मतदाताओं के रुख पर सभी राजनीतिक दलों की नजर है।

वर्ष 2024 में 18वीं लोकसभा चुनाव में अतीक और उसके भाई अशरफ का कोई दखल नहीं रहेगा। जबकि इससे पहले वह सभी चुनाव में घूम-घूमकर किसी न किसी प्रत्याशी के नाम का प्रचार करता था। अतीक की तरफ से जारी फरमान और उसके समर्थन से उम्मीदवार चुनाव जीतने में कामयाब हुए हैं। उसका छोटा भाई अशरफ 2005 में बहुजन समाज पार्टी (बसपा) विधायक राजू पाल की हत्या के बाद हुए उपचुनाव में शहर पश्चिमी विधानसभा सीट से ही विधायक चुना गया था।

चकिया क्षेत्र के लोगों का मिलाजुला कथन सामने आती है। उनका कहना है कि अतीक की सजा ने सत्तारूढ़ दल को लोकसभा चुनाव में प्रचार का एक मुद्दा दिया है। भाजपा शासन में प्रदेश में कानून व्यवस्था में सुधार हुआ है, माफियाओं को उनके अपराधों के लिए दंडित किया गया है। भाजपा इसे चुनाव में एक बड़ी उपलब्धि के रूप में उजागर कर रही है कि अपराधी को उनकी सही जगह दिखायी गयी है।

Atiq terror : अतीक-अशरफ हत्याकांड पर उसके पैतृक क्षेत्र चकिया में लोग बोलने से अभी भी बचते हैं। लेकिन उनकी तल्खियों ने नाराजगी का इजहार किया। उनका मानना है कि अतीक के गढ़ में यह घटनाक्रम चुनाव को प्रभावित करेगा। चकिया निवासी सरवर अली ने बताया कि कई मौके होते हैं जहां संबंधों को तरजीह दी जाती है। उनके चेहरे पर तल्खी जरूर दिखी। हालांकि उन्हाेने यह भी कहा कि कानून व्यवस्था सरकार की जिम्मेदारी है और हर सरकार को इस पर खरा उतरना ही चाहिए।

उसी क्षेत्र के रहने वाले नफीस अहमद ने बताया कि विकास के नाम पर सिर्फ ठगे गए। वोट उसी को करेंगे जिसमें कूबत दिखती है कि वह लोगों की दिक्कतों को समझे। अतीक की हत्या पर सवाल पूछने पर चेहरे पर तल्खी लिए बोले सजा देने का हक सिर्फ और सिर्फ कानून को है। कानून तोड़ने की आजादी किसी को नहीं होनी चाहिए। नूर खान एवं उनकी पत्नी हुमा ने संविधान को सबसे ऊपर बताया और कहा कि देश एवं समाज संविधान के हिसाब से ही चलना चाहिए।

अधिकांश लोगों का मानना है कि अतीक जैसा भी था लेकिन वह गरीबों का हितैषी था। उसके लिए मुस्लिम ही नहीं उस क्षेत्र में रहने वाले किसी भी बिरादरी की वह मदद करने से नहीं हिचकता था। गरीब परिवार के बेटियों की शादी में पैसा से लेकर सामान तक सब कुछ देता था। उसने जो कुछ किया था उसका दण्ड कानून देता, लेकिन पुलिस की अभिरक्षा में दोनों भाइयों के हाथ बंधे होने पर उनकी हत्या हो जाना कानून व्यवस्था को कलंकित करता है।

Atiq terror : प्रयागराज की विधानसभा सीटों सबसे ज्यादा फूलपुर और फाफामऊ में अतीक का प्रभाव रहा। यहां मुस्लिम आबादी 54 प्रतिशत के करीब है। यही कारण है कि अतीक जब सपा से बाहर होकर चुनाव लड़ा, पार्टी को नुकसान हुआ. इसके अलावा सोरांव, शहर उत्तरी पर भी अतीक का अच्छा खासा प्रभाव रहा है। अतीक का असर राजा भैया के गढ़ प्रतापगढ़ में भी रहा है।

वर्ष 2007 में बसपा विधायक राजू पाल की हत्या के मामले में गवाह वकील उमेश पाल के अपहरण मामले में आजीवन कारावास की सजा सुनाई और उसकी हत्या के बाद उत्तर प्रदेश में पूरी भाजपा और राज्य सरकार की प्रचार टीम योगी आदित्यनाथ सरकार को विकास का श्रेय देने के लिए हरकत में आ गई।

मरियम खान का कहना कि वह योगी को बहुत पसंद करती है। उनके लिए हीरो शाहरूख सलमान नहीं बल्कि योगी हैं। उन्होंने कहा कि भाजपा की सरकार आएगी तभी हम शैतानों से मुक्त होंगे नहीं तो फिर सभी घरों में शैतानों से भर जाएगा। राहुल गांधी के एक लाख रूपए सालाना दिए जाने पर कहा कि उसमें से कुछ पैसो से बच्चों को शराब पिलाएंगी और कुछ को असलहे खरीद कर देंगी क्या, उन्हें भाजपा सरकार मंजूर है। हमें उनकी भीख नहीं चाहिए, हम कमा खा सकते हैं।अभी तक भू माफियाओं का डर रहता था कि 10 लाख 20 लाख पहुंचा दो नहीं तो जान से मार दिए जाओगे। कम से कम अब इस बात से राहत मिल चुकी है। अब 500 रूपए मांगने की क्षमता नहीं है।

क्षेत्र के कुछ लोगों का यह भी कहना है कि योगी आदित्यनाथ सरकार ने आखिरकार वह कर दिखाया जो यूपी में 43 साल में कोई नहीं कर सका। सपा के शासनकाल में वही अतीक अहमद खुलेआम घूमता था “लेकिन योगी आदित्यनाथ सरकार ने माफिया को उसकी जगह दिखा दी है।

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गौरतलब है कि प्रयागराज में इलाहाबाद और फूलपुर सीट शामिल है। जिले में कुल मतदाताओं की संख्या 44 लाख 28 हजार 406 है, जिसमें से 24 लाख 26 हजार 374 पुरुष और 20 लाख एक हजार 520 महिला हैं और 512 थर्ड जेंडर मतदाता हैं। इलाहाबाद लोकसभा सीट पर कुल 16 लाख 93 हजार 447 मतदाता हैं और फूलपुर लोकसभा सीट पर मतदाताओं की संख्या 19 लाख 75 हजार 219 है। प्रयागराज की हंडिया और प्रतापपुर विधानसभा भदोही लोकसभा सीट के अंतर्गत आती है, जिनकी संख्या सात लाख 59 हजार 740 है।

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