New Delhi Breaking : बाढ़ की प्रारंभिक चेतावनी प्रणालियों में 14 राज्य सबसे आगे: रिपोर्ट

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New Delhi Breakingबाढ़ की प्रारंभिक चेतावनी प्रणालियों में 14 राज्य सबसे आगे: रिपोर्ट

New Delhi Breaking नयी दिल्ली !   देश के 14 राज्यों की प्राकृतिक आपदाओं का सामना करने की स्थिति बेहतर है, क्योंकि इन राज्यों में प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली मौजूद होने के साथ-साथ यह जनता के लिए सुलभ और प्रभावी है। इसमें असम, ओडिशा, सिक्किम, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, झारखंड और केरल जैसे राज्य सबसे आगे हैं।

काउंसिल ऑन एनर्जी, इनवायरनमेंट एंड वॉटर (सीईईडब्ल्यू) के गुरुवार को जारी एक नए अध्ययन ‘स्ट्रेंथनिंग इंडियाज डिजास्टर प्रीपेयर्डनेस विद टेक्नोलॉजी: अ केस फॉर इफेक्टिव अर्ली वॉर्निंग सिस्टम्स’ में यह बात सामने आई है। अध्ययन ने कहा गया है कि जिस तरह से हाल के समय में बाढ़ और चक्रवात जैसी प्राकृतिक आपदाएं बढ़ी हैं, उसमें इन आपदाओं का सामना करने की क्षमता यानी लचीलापन विकसित करने में प्रारंभिक चेतावनी प्रणालियां अति-महत्वपूर्ण अंग हैं। ये प्रारंभिक चेतावनियां विभिन्न आपदाओं के जोखिम को घटाने के उपायों का भी हिस्सा हैं, जो भारत की जी20 अध्यक्षता में चर्चा के लिए एक प्रमुख विषय है।

अध्ययन ने बाढ़ और चक्रवातों को सहने की क्षमता का आकलन किया है। इस आकलन में चेतावनी प्रणाली की उपलब्धता (पूर्व चेतावनी स्टेशनों की मौजूदगी), सुगमता (फोन इत्यादि के माध्यम से लोगों की सूचनाओं तक पहुंच) और प्रभावशीलता (शासन व वित्तीय ढांचे की मौजूदगी) को शामिल किया गया है। सीईईडब्ल्यू के विश्लेषण के अनुसार, जलवायु परिवर्तन में तेजी आने के साथ राज्यों को उपलब्ध बाढ़ संबंधी प्रारंभिक चेतावनी प्रणालियों को तेजी से बढ़ाने की जरूरत है। 72 प्रतिशत भारतीय जिलों में भीषण बाढ़ का जोखिम मौजूद है, जिनमें से 25 प्रतिशत जिलों में बाढ़ के पूर्वानुमान स्टेशन मौजूद हैं। इसके अलावा, 24 राज्यों में बाढ़ संबंधी प्रारंभिक चेतावनी प्रणालियों के लिए एक संस्थागत व्यवस्था मौजूद है, जबकि छह राज्यों – झारखंड, तमिलनाडु, असम, केरल, हिमाचल प्रदेश और गोवा – ने इसके लिए विशेष रूप से आवंटित धन का उचित मात्रा में उपयोग किया है।

सीईईडब्ल्यू के वरिष्ठ प्रोग्राम लीड डॉ. विश्वास चितले ने कहा, “भारत में आई हालिया बाढ़ और बिपरजॉय चक्रवात ने प्रारंभिक चेतावनी प्रणालियों में निवेश की उपयोगिता को एक बार फिर से स्पष्ट कर दिया है। भारत आधुनिक तकनीक को अपनाते हुए अपनी प्रारंभिक चेतावनी के दायरे को तेजी से बढ़ा रहा है।

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जैसा कि हम जलवायु संबंधी चरम घटनाओं के रुझानों में एक बदलाव देख रहे हैं, सूखा झेलने वाले इलाके अब बाढ़ का सामना कर रहे हैं, ऐसे में जरूरत है कि सभी राज्य अपने यहां जनजीवन और आजीविका की सुरक्षा के लिए प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली को मजबूत बनाएं। राज्यों को एक समावेशी, प्रभावी, विभिन्न आपदाओं के लिए प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली बनाने में अत्याधुनिक तकनीक का लाभ उठाना चाहिए। इसे सुदूर इलाकों तक पहुंचाने के लिए विभिन्न समुदायों की भागीदारी लानी चाहिए। आपदाओं का सामना करने की तैयारियों को मजबूत बनाने के लिए अनुकूलन वित्त को बढ़ाना भी समय की जरूरत है।”

इस अध्ययन के अनुसार, भारत ने चक्रवातों के लिए प्रारंभिक चेतावनी प्रणालियों को बनाने में अपनी नेतृत्व क्षमता को दिखाया है। देश में चक्रवातों के दायरे में आने वाली 100 फीसदी आबादी के लिए चक्रवातों के लिए प्रारंभिक चेतावनी उपलब्ध है। इसमें आंध्र प्रदेश, ओडिशा, गोवा, कर्नाटक, केरल और पश्चिम बंगाल जैसे तटीय राज्य सबसे आगे हैं। जैसे महासागरों के गर्म होने के साथ चक्रवातों की दर बढ़ी है, इन चक्रवाती तूफानों के रास्ते में पड़ने वाले सभी अंतर्देशीय राज्यों को अपनी क्षमता को मजबूत बनाना होगा।

सीईईडब्ल्यू की प्रोग्राम एसाेसियेट श्रेया वधावन ने कहा, “आपदाओं का सामना करने की तैयारियों में प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली सबसे आसान उपाय है। केंद्र और राज्य सरकारों को क्षेत्रीय स्तर पर बाढ़ की रियल-टाइम निगरानी के लिए माइक्रोसेंसर्स लगाने में निवेश करना चाहिए। इन चेतावनी प्रणालियों को बेहतर बनाने के लिए निजी क्षेत्र के साथ साझेदारी करनी चाहिए। जी20 अध्यक्षता का लाभ लेते हुए, भारत को सभी के लिए प्रारंभिक चेतावनियों की उपलब्धता के एजेंडे को प्रोत्साहित करना चाहिए, और आपदाओं के जोखिम को घटाने के लिए प्रभाव-आधारित जन-केंद्रित प्रणालियों का समर्थन करना चाहिए।”
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सीईईडब्ल्यू के 2021 के एक अध्ययन के अनुसार, भारत के 27 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में जल-मौसम संबंधी भीषण आपदाओं और उनके प्रभावों के जोखिम मौजूद हैं। 2021 में देश को भीषण बाढ़ों और चक्रवातों से 62,000 करोड़ रुपये (7.6 अरब डॉलर) का नुकसान उठाना पड़ा था। वर्तमान में, भारत की चक्रवात के लिए प्रारंभिक चेतावनी प्रणालियां बाढ़ की तुलना में ज्यादा मजबूत है। चूंकि सभी राज्य जलवायु संबंधी चरम घटनाओं की दर और तीव्रता में बढ़ोतरी का सामना कर रहे हैं, इसलिए सभी राज्यों के लिए प्रभावी प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली को बनाना आवश्यक है।

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