New delhi breaking एक्स्ट्रीम वेदर यानी भयानक मौसम की वजह से जानलेवा खतरे आ रहे सामने
New delhi breaking नई दिल्ली। भारत और उसके आसपास के 16 देशों पर बड़ी मुसीबत आने वाली है, क्योंकि जलवायु परिवर्तन से हिंदूकुश और हिमालय के पहाड़ का वाटर सिस्टम बिगड़ सकता है। यानी इन पहाड़ों से निकलने वाली नदियों का स्रोत और बहाव बिगड़ेगा। इससे इन 16 देशों की अर्थव्यवस्था और ऊर्जा प्रणाली पर बुरा असर पड़ सकता है।
यह स्टडी चीन के थिंक टैंक चाइना वाटर ने करवाई है। उसके अनुसार हिंदूकुश और हिमालय से बहने वाली 10 प्रमुख नदियों की वजह से 190 करोड़ लोगों को पानी मिलता है। खेती-बाड़ी होती है, लेकिन जलवायु परिवर्तन की वजह से ग्लेशियर पिघल रहे हैं। एक्स्ट्रीम वेदर यानी भयानक मौसम की वजह से जानलेवा खतरे सामने आ रहे हैं।
Amritsar latest news : गैंगस्टर जनरैल सिंह पर ताबड़तोड़ फायरिंग, घटनास्थल पर ही मौत
वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी है कि इन नदियों में लगातार पानी कम होता जा रहा है। अगर इंसानों ने कार्बन उत्सर्जन कम नहीं किया तो पीने के लिए पानी भी नहीं मिलेगा। इन 16 देशों को जल और उससे मिलने वाली ऊर्जा को बचाए रखने के लिए बड़े पैमाने पर ढांचागत विकास करना होगा। इन नदियों में गंगा और ब्रह्मपुत्र नदियां भी शामिल हैं। जिन 10 नदियों की बात हो रही हैं, उसमें प्रमुख हैं- भारत की गंगा, ब्रह्मपुत्र, चीन की यांग्त्जे और यलो रिवर जो मेकॉन्ग और सालवीन नदियों के साथ सीमाएं बांटती हैं। ये नदियां भारत, नेपाल और दक्षिणपूर्व एशिया के 16 देशों की तीन-चौथाई हाइड्रोपावर को सपोर्ट करती हैं। इसके अलावा 44त्न कोयला आधारित पावर प्रोजेक्ट्स की मदद करती हैं।
पूरे जापान को बिजली सप्लाई करने के लिए 300 गीगावॉट से थोड़ा ज्यादा की जरुरत पड़ती है, लेकिन इन नदियों से पानी का बहाव कम हुआ या खत्म हुआ तो इन 16 देशों में 865 गीगावॉट बिजली सप्लाई रुक जाएगी। क्योंकि ये नदियां जिन इलाकों में हैं, वो अधिक या अत्यधिक स्तर की पानी की कमी बर्दाश्त कर रही हैं। चीन के यांग्त्जे नदी का बेसिन पूरे देश की आबादी के एक तिहाई हिस्से को सपोर्ट करता है। साथ ही चीन की ऊर्जा सप्लाई का 15 फीसदी हिस्सा इसी नदी से जेनरेट होता है। पिछले साल इस नदी से भयानक सूखे का सामना किया था। जिसकी वजह से चीन में बिजली सप्लाई बाधित हुई थी।