Magh Mela in Teerthraj Prayag संगम में छह लाख से अधिक ने लगाई आस्था की डुबकी

Magh Mela in Teerthraj Prayag

Magh Mela in Teerthraj Prayag संगम में छह लाख से अधिक ने लगाई आस्था की डुबकी

Magh Mela in Teerthraj Prayag प्रयागराज !   तीर्थराज प्रयाग में माघ मेला के दूसरे स्नान पर्व पौष पूर्णिमा के मौके पर दोपहर तक छह लाख से अधिक श्रद्धालुओं ने पतित पावनी गंगा, श्यामल यमुना और अन्त: सलिला स्वरूप में प्रवाहित हो रही सरस्वती के संगम में आस्था की डुबकी लगाई।

आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि 12 बजे तक पांच लाख 80 हज़ार श्रद्धालुओं ने संगम में आस्था की डुबकी लगाई। मेला क्षेत्र में भीड़ को देखते हुए मेला प्रशासन की तरफ से लगातार लाउडस्पीकर पर श्रद्धालुओं को अपनों का हाथ पकड़कर चलने की हिदायत दी जा रही है।

Magh Mela in Teerthraj Prayag घना कोहरा और कड़कड़ाती ठंड भी आस्थावानों के कदम को डिगा नहीं सकी। श्रद्धालुओं ने भोर चार बजे से त्रिवेणी में आस्था की डुबकी लगाना शुरू कर दिया। हालांकि सुबह अधिक ठंड और घने कोहरे के कारण बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं का जमघट नहीं रहा लेकिन बाद के समय में आस्था की डुबकी लगाने वाले बच्चे, युवा, बुजुर्ग, महिलाओं की भीड़ बढ़ गई।

कड़ाके की ठंड के बावजूद ब्रह्म मुहूर्त से ही श्रद्धालुओं संगम की त्रिवेणी में स्नान कर दान पुण्य कर रहे हैं। पौष पूर्णिमा के पावन पर्व पर संगम की त्रिवेणी में स्नान और दान का विशेष महत्व है। ऐसी मान्यता है कि पौष पूर्णिमा पितरों की पूर्णिमा है और यह कल्याण पर्व है‌। इस मौके पर आस्था से लोग कल्याण की समस्त कामनाओं को लेकर लोग तीर्थराज प्रयाग आते हैं। इस दिन से ही संगम की रेती पर चलने वाले माघ मेले में कल्पवासी पितरों के मोक्ष और कामनाओं की पूर्ति का संकल्प लेकर कल्पवास की शुरुआत करते हैं। जो कि माघी पूर्णिमा के स्नान पर्व तक चलता है।

माघ मेले में आये कल्पवासी जीवन और मृत्यु के बंधनों से मुक्ति की कामना को लेकर अलौकिक शक्ति और ऊर्जा प्राप्त करने के लिए संगम की रेती में एक माह तक कठिन तप और जप करेंगे। पौष पूर्णिमा पर श्रद्धालु व्रत रखकर, स्नान, दान और पूजा-पाठ करते हैं। जिससे घर में सुख-समृद्धि बढ़ती है और नकारात्मकता खत्म होती है। इस दिन जरूरतमंदों को अन्न और कपड़े दान करते हैं।

Magh Mela in Teerthraj Prayag माघ मेला क्षेत्र में भारतीय संस्कृति का आदर्श वाक्य अनेकता में एकता और एकता में अनेकता परिलक्षित हो रहा है। सभी प्रकार की संकीर्णताओं से ऊपर उठकर श्रद्धालु अस्पृश्यता बोध से दूर निष्कपट मन से प्रेम और भक्ति जीवन का अभिन्न अंग मानकर अपनी दिनचर्या में शामिल कर लिया है। संगम की विस्तीर्ण रेती पर बने शिविरों में संत-महात्मा और कल्पवासी भौतिक सुख का त्याग कर आध्यात्मिक सुख के लिए भगवान की भक्ति में लीन हैं।

संगम किनारे श्रद्धालु आस्था की डोर से बंधे बिना किसी आमंत्रण और निमंत्रण पर हर साल एक निर्धारित तिथि पर पहुंच कर ठिठुरन भरी सर्दी में सुबह-शाम संगम स्नान करते हैं। रेती पर बने शिविर में संत-महात्मा और कल्पवासी संयम, अहिंसा, श्रद्धा और कायाशोधन का कल्पवास करते हैं।

डीआईजी माघ मेला डा राजीव नारायण मिश्र ने बताया कि मेला क्षेत्र में दूर दराज से आने वाले श्रद्धालुओं की सुरक्षा के लिए एटीएस कमांड़ो, एनडीआरएफ, पैरा मिलिट्री के जवानों के अलावा सीसीटीवी कैमरा, घुड़सवार पुलिस के दस्ते तैनात हैं।

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स्नान घाटों पर किसी भी अप्रिय घटना से निपटने के लिए संगम में मोटर वोट तथा गोताखोरों के साथ 30 डीप डाइपर तैनात किए गये हैं। मोटर वोट लगातार स्नानार्थियों को निश्चित सीमा से आगे नहीं जाने को लगातार सचेत कर रहे हैं। इस बार मेला में आर्टिफीशियल इंटेलीजेंस की मदद से यातायात की निगरानी की जा रही है।

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