Madhya Pradesh लोकतंत्र के सबसे बड़े पर्व के तहत मध्यप्रदेश के सभी 230 सीटों पर सुबह सात बजे से मतदान शुरु

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Madhya Pradesh लोकतंत्र के सबसे बड़े पर्व के तहत मध्यप्रदेश के सभी 230 सीटों पर सुबह सात बजे से मतदान शुरु

 

Madhya Pradesh भोपाल ! लोकतंत्र के सबसे बड़े पर्व के तहत आज सुबह सात बजे सभी 230 क्षेत्रों में स्थित 64 हजार 626 मतदान केंद्रों पर सख्त सुरक्षा प्रबंधों के बीच मतदान प्रारंभ हो गया। नक्सली प्रभावित क्षेत्रों में स्थित मतदान केंद्रों पर दिन में तीन बजे तक वोट डाले जा सकेंगे और शेष सभी मतदान केंद्रों पर मतदान शाम छह बजे तक चलेगा।

Madhya Pradesh सुबह सात बजे से मतदाताओं के उत्साह के बीच मतदान की प्रक्रिया शुरु हो गई। इसके पहले राज्य भर के मतदान केंद्रों पर निर्वाचन आयोग के प्रतिनिधियों की ओर से मॉक पोल की प्रक्रिया की गई। मतदान केंद्रों पर सुबह लगभग साढ़े छह बजे से ही गुलाबी सर्दी के बीच भी मॉर्निंग वॉक करने आने वाले लोगों की वोट डालने के लिए कतारें जुटना शुरु हो गईं थीं। खास बात ये है कि इनमें महिलाओं की संख्या ज्यादा दिखाई दी।

Madhya Pradesh राज्य के लगभग पांच करोड़ साठ लाख मतदाता, कुल दो हजार 533 उम्मीदवारों की किस्मत आज इलेक्ट्रानिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) में बंद कर सकेंगे। निर्वाचन आयोग ने निष्पक्ष एवं शांतिपूर्ण ढंग से मतदान कराने के लिए सभी आवश्यक प्रबंध किए हैं।

Madhya Pradesh आधिकारिक सूत्रों के अनुसार नक्सली प्रभावित बालाघाट जिले के बैहर, लांजी और परसवाड़ा विधानसभा क्षेत्र के सभी मतदान केंद्राें में मतदान दिन में तीन बजे समाप्त हो जाएगा। इसी तरह नक्सली प्रभाव के कारण मंडला जिले के बिछिया विधानसभा क्षेत्र के 47 और मंडला विधानसभा क्षेत्र के आठ मतदान केंद्रों तथा डिंडोरी जिले के डिंडोरी विधानसभा क्षेत्र के अधीन आने वाले 40 मतदान केंद्रों पर भी वोट डालने का कार्य दिन में तीन बजे तक चलेगा। राज्य में शेष सभी मतदान केंद्रों पर शाम छह बजे तक वोट डाले जा सकेंगे।

“क्रिटिकल” मतदान केंद्रों की संख्या 17 हजार 32 है। कुल एक हजार 316 “वल्नरेबल” क्षेत्र चिंहित किए गए हैं। ऐसे क्षेत्रों पर विशेष निगरानी रखने के लिए सेक्टर अधिकारियों की नियुक्ति की गयी है। लगभग 4028 ऐसे व्यक्तियों की पहचान की गयी है, तो मतदान में बाधा पहुंचा सकते हैं। इसलिए ऐसे लोगों के खिलाफ पहले से ही प्रतिबंधात्मक कार्रवाई की गयी है।

निष्पक्ष और शांतिपूर्ण ढंग से मतदान संपन्न कराने के लिए राज्य पुलिस बल के अधिकारियों और जवानों के अलावा रिजर्व पुलिस बल को तैनात किया गया है। “नॉन फोर्स मेजर” के तहत कुल 42 हजार से अधिक मतदान केंद्रों पर वेबकॉस्टिंग और सीसीटीवी के माध्यम से निगरानी की जा रही है। मतदान केंद्रों पर और सख्त निगरानी के लिए प्रत्येक जिला मुख्यालय पर तथा मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी कार्यालय भोपाल में कंट्रोल रूम से वेबकॉस्टिंग को “लाइव” देखा जा रहा है।

निर्वाचन आयोग ने सभी मतदाताओं से वोट डालने का अनुरोध किया है और मतदान का प्रतिशत बढ़ाने के लिए जागरुकता संबंधी काफी प्रयास किए गए हैं। वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव में 75़ 63 प्रतिशत और वर्ष 2013 के चुनाव में 72़ 69 प्रतिशत मतदाताओं ने अपने मताधिकार का उपयोग किया था।

राज्य में सोलहवीं विधानसभा के गठन के लिए हो रहे चुनाव में कुल 2533 उम्मीदवार मैदान में हैं, जिनमें 2280 पुरुष, 252 महिलाएं और एक अन्य (थर्ड जेंडर) प्रत्याशी शामिल हैं। मुख्यमंत्री एवं भाजपा नेता शिवराज सिंह चौहान बुधनी से, पूर्व मुख्यमंत्री एवं प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ छिंदवाड़ा से और केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर दिमनी से, प्रहलाद पटेल नरसिंहपुर से और फग्गन सिंह कुलस्ते मंडला जिले के निवास से अपनी किस्मत आजमा रहे हैं। इसके अलावा भाजपा महासचिव कैलाश विजयवर्गीय इंदौर एक क्षेत्र से तथा चार सांसद, राज्य सरकार के दो दर्जन से अधिक मंत्री और अन्य प्रमुख नेताओं की किस्मत भी मतदान के बाद ईवीएम में कैद हो जाएगी।

कुल 2533 प्रत्याशियों में भाजपा और कांग्रेस के 230-230 के अलावा बसपा के 181, सपा के 71 और 1166 निर्दलीय प्रत्याशी भी शामिल हैं। मतदाताओं की कुल संख्या पांच करोड़ 60 लाख 58 हजार से अधिक है, जिनमें दो करोड़ 87 लाख 82 हजार से ज्यादा पुरुष और दो करोड़ 71 लाख, 99 हजार से ज्यादा महिलाएं शामिल हैं। अन्य मतदाता यानी थर्ड जेंडर की संख्या 1292 है।

पंद्रहवीं विधानसभा के गठन के लिए 2018 में हुए विधानसभा चुनाव में किसी भी दल काे स्पष्ट बहुमत (116 सीट) नहीं मिला था। उस समय कांग्रेस 114 सीटों के साथ सबसे बड़े दल के रूप में उभरी थी और उसने अन्य दलों के साथ मिलकर दिसंबर 2018 में सरकार बनायी थी। भाजपा को 109 सीटों पर ही संतोष करना पड़ा था। इसके अलावा चार निर्दलीयों के साथ ही बसपा के दो और सपा के एक प्रत्याशी ने विजय हासिल की थी।

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मार्च 2020 में तत्कालीन कांग्रेस नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया के अपने समर्थक विधायकों के साथ दलबदल करने के कारण कांग्रेस सरकार का पतन हो गया था और भाजपा फिर से सत्ता में आ गयी। इसके बाद हुए उपचुनावों के चलते विधानसभा में वर्तमान में भाजपा के सदस्यों की संख्या बढ़कर 127 और कांग्रेस सदस्यों की संख्या घटकर 96 हो गयी है। नयी सरकार के गठन को लेकर तस्वीर तीन दिसंबर को मतगणना के साथ साफ हो जाएगी।

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