‘संतरा गणतंत्र’ का लोकार्पण व विमर्श

'संतरा गणतंत्र' का लोकार्पण व विमर्श

रायपुर। देश के वरिष्ठ व्यंग्यकार राजशेखर चौबे के व्यंग्य संग्रह ‘संतरा गणतंत्र’ का लोकार्पण सोमवार को वृंदावन हॉल, सिविल लाइन में आयोजित भव्य समारोह में किया गया। प्रमुख अतिथि वक्ता के रूप में वरिष्ठ व्यंग्यकार डॉ महेंद्र कुमार ठाकुर, टीकाराम साहू ‘आजाद’ नागपुर, डॉ. कल्पना मिश्रा, वीरेंद्र सरल, अरुण निगम तथा आनंद तिवारी उपस्थित थे। विशेष बात यह थी कि संतरा गणतंत्र के लोकार्पण में आए सभी अतिथियों का स्वागत ” संतरा ” और पुष्प देकर किया गया।

हिंदी साहित्य एवं व्यंग्य संस्थान रायपुर की ओर से कार्यक्रम का आयोजन किया गया। संस्थान के अध्यक्ष व ‘संतरा गणतंत्र’ व्यंग्य संग्रह के लेखक राजशेखर चौबे ने बताया कि ‘संतरा गणतंत्र’ उनका चौथा व्यंग्य संग्रह है जिसमें विविध विषयों पर 56 व्यंग्य हैं। उन्होंने कहा कि हरिशंकर परसाई जी ने कहा था कि ” मैं सुधार के लिए नहीं, बदलने के लिए लिखना चाहता हूँ ” और मैं भी सुधार के लिए नहीं, बदलाव के लिए लिखना चाहता हूँ। व्यंग्यसंग्रह के शीर्षक पर उन्होंने कहा कि जब बनाना रिपब्लिक यानी केला गणतंत्र हो सकता है तो संतरा गणतंत्र क्यों नहीं? इस अवसर पर उन्होंने ‘दो लड़कियों की बातचीत’ व्यंग्य का पाठ भी किया जिसने लोगों को झकझोर दिया।

डॉ कल्पना मिश्रा ने कहा कि राजशेखर चौबे के व्यंग्य वर्तमान राजनीति और समाज का आईना है जिसमें विसंगतियों और विडंबनाओं पर तीखा प्रहार किया गया है। वे कोई भी विषय बड़ी सहजता से उठा लेते हैं। उन्होंने अपेक्षा व्यक्त की कि हरिशंकर परसाई जी ने व्यंग्य की जो मशाल जलाई है, उसे वे आगे ले जाएंगे । अमन का पर्चा बुलंद करने वाले इस व्यंग्य संग्रह पर चर्चा पर जोर दिया।

डॉ महेंद्र कुमार ठाकुर ने कहा कि राजशेखर चौबे के व्यंग्य बहुत अच्छे, सामाजिक और सरोकारी हैं। उन्होंने बड़ी निर्भीकता के साथ व्यंग्य लिखे हैं। उन्होंने कहा कि व्यंग्यकारों को ऐसा लिखना चाहिए जिस पर व्यंग्य लिखा है वह तिलमिला उठे।

टीकाराम साहू ‘आजाद’ ने चौबे जी को परसाई जी की परंपरा के समय के साथ मुठभेड़ करने वाले व्यंग्यकार निरूपित किया। आज जब व्यंग्यकार सत्ता और व्यवस्था की विसंगतियों की अनदेखी कर लेखन कर रहे हैं तब चौबे जी 56 व्यंग्यों के साथ मुठभेड़ करते मजबूती के साथ खड़े हैं। उन्होंने ‘काला जादू’ और ‘संतरा गणतंत्र’ को अद्भुत व्यंग्य बताया।

संजीव ठाकुर ने कहा कि व्यंग्य लिखना बहुत कठिन है और राजशेखर चौबे ने बड़े सरल, सहज और आमजन की भाषा में व्यंग्य लिखे हैं। सुशील यादव ने ‘संतरा गणतंत्र’ के अनेक व्यंग्यों की चर्चा करते हुए कहा कि चौबे जी के लेखन की सराहना की। वीरेंद्र सरल ने कहा कि निर्भीकता पूर्ण लेखन ही चौबे जी की पहचान है। कर्नल दीवान ने कहा कि चौबे जी के व्यंग्य बहुत धारदार हैं। अरुण निगम ने कहा कि चौबे जी को विद्रोही तेवर और व्यंग्य के संस्कार विरासत में मिले हैं। डॉ प्रदीप कुमार शर्मा ने बताया कि ‘संतरा गणतंत्र’ की भाषा सहज सरल व रोचक है ।

कार्यक्रम का कुशल संचालन आकाशवाणी की उद्घोषिका श्रीमती शुभ्रा ठाकुर ने किया। आभार अशोक शर्मा ने माना। कार्यक्रम में बड़ी संख्या में सम्मानित साहित्यकार व नागरिक मौजूद थे। इस अवसर पर सर्व श्री रावलमल जैन, शारदेंदु झा , अनिता झा, निर्मला शर्मा, शुभा शर्मा, आनंद किशोर, हेमराज सूर्यकांत गुप्ता, सूर्या बाबू, संजय पेंढारकर व अन्य उपस्थित थे ।

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