killing Narakasura : नरकासुर के छोड़े अस्त्र को भेदकर दूसरा वार करने के लिए तैयार सत्यभामा

killing Narakasura :

killing Narakasura :  नरकासुर के छोड़े अस्त्र को भेदकर दूसरा वार करने के लिए तैयार सत्यभामा

 

killing Narakasura :  उपरोक्त चित्र कितना अद्भुत है।नरकासुर वध के लिए गए श्रीकृष्ण और उनकी पत्नी सत्यभामा का यह चित्र है। नरकासुर के छोड़े अस्त्र को भेदकर दूसरा वार करने के लिए तैयार सत्यभामा के भावों को देखकर लगता है यह वार निर्णायक होगा। सत्यभामा दिखने में जितनी सुंदर है युद्धकला में उतनी ही निपुण भी है।

और जरा श्रीकृष्ण को तो देखिए, नीचे गरुड़ पर बैठे है। बाण छोड़ने के बाद झटका लगने से सत्यभामा का संतुलन न बिगड़े इसलिए अपने पैर से सत्यभामा का पिछला पैर अडा रखा है।

killing Narakasura : श्रीकृष्ण के हाथ में विश्व का सबसे अचूक मारक अस्त्र सुदर्शन चक्र है। किंतु जब पत्नी युद्ध कर रही है, कृष्ण स्वयं आड़ लेकर बैठे है और पत्नी के युद्ध कौशल को देखकर श्रीकृष्ण बलिहारी है, उसे कौतुक से देख रहे है।

सनातन के इतर विश्व के किसी पंथ, संप्रदाय, विचारधारा में नारीवाद के ऐसे मुक्त विचार का उदाहरण नहीं मिलता जहाँ स्त्री पुरुष स्वतंत्र भी है और परस्पर पूरक भी! जहाँ नारी व्यक्तित्व भी है, व्यक्ति भी! जहाँ पुरुष स्त्री की स्वतंत्रता से विस्मित भी है और उसका आधार भी! कितना सुंदर विचार! कैसा अद्भुत दर्शन! कैसा अद्वैत! कितना अद्भुत आध्यत्म!

killing Narakasura : कितना कुछ है है हमारे धर्म में, संस्कृति में जिस पर हम गर्व कर सकें। बस विषैले नरेटिव्स से परे सत्य देखने समझने की नजर और इच्छा होनी चाहिए।

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कैसा अद्भुत है हमारा सनातन,,महिषासुर से लेकर अगणित उन सभी दुष्टों का जिनकी दृष्टि में स्त्री केवल भोग्या,एक वस्तु थी,उनका सँहार किसी पुरुष शक्ति ने नहीं,स्त्री शक्ति ने ही किया।

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