khova market बेहतर की आस में खोवा बाजार, घटती मांग से गहराया संकट

khova market

राजकुमार मल

 

khova market नाउम्मीदी के दौर से गुजर रहा खोवा बाजार

khova market भाटापारा- नाउम्मीदी के दौर से गुजर रहा है, खोवा का बाजार। चालू खर मास के बाद आ रहे सीजन से भी बेहतरी की आस नहीं है क्योंकि मिठाईयों के रेडिमेड पावडर ने अपनी हिस्सेदारी बढ़ा दी है। इसलिए इस बार खोवा के लिए आर्डर की मात्रा कम की जाने लगी है।

अहम स्थान रखता है शहर का खोवा। करीब के शहरों में भी भेजा जाता है लेकिन इस बार इसकी मात्रा में कमी आने लगी है। लिहाजा उतनी ही मात्रा में खोवा बनाया जा रहा है, जितने में मांग पूरी की जा सके। घटते बाजार की कई वजहें हैं लेकिन फिलहाल ऐसी कोई राह नजर नहीं आ रही है, जो टूटते बाजार को बचाने में मदद कर सके।

khova market  बड़ी वजह यह

 

khova market  रेडिमेड सामग्री से यह क्षेत्र भी अछूता नहीं रहा है। ब्रांडेड कंपनियों के रसगुल्ला और मिठाईयों के पावडर के बढ़ते चलन ने परंपरागत खोवा बाजार को तगड़ा झटका दिया है। तेजी से बढ़ते चलन ने खोवा बाजार की लगभग 75 हिस्सेदारी अपने नाम कर ली है। ऐसे में खोवा की मांग, अब केवल पर्व और त्यौहार तक ही सिमट कर रह गई है। खोवा का बाजार इसे अस्तित्व पर संकट मानकर चल रहा है।

महंगा हो रहा दूध

 

दूध उत्पादन का स्तर तो बना हुआ है लेकिन हर बरस बढ़ने वाली कीमत भी खोवा बाजार को झटका दे रही है। पशु आहार की कीमत बढ़ रही है, जैसे तर्क से इंकार नहीं कर रहा खोवा बाजार लेकिन खोवा की बढ़ती कीमत सुनकर उपभोक्ता इसलिए वापस हो जा रहे हैं क्योंकि विकल्प के रूप में मिठाईयों के पावडर उपलब्ध हैं।

khova market  बेहतर की आस में यह भाव

 

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280 से 320 रुपए किलो। बढ़ते उत्पादन लागत की तुलना में कम ही है खोवा की प्रति किलो यह कीमत। खरमास की वजह से वैसे भी मांग कमजोर है लेकिन आगत दिनों में शादियों की तारीखों के आते ही खोवा में आंशिक डिमांड की उम्मीद है, तो पर्व और त्यौहारों में भी बेहतरी की आस में है खोवा का बाजार। रही बात मांग के दिनों में कीमत की, तो लगता नही कि खोवा में अब और तेजी आएगी।

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