Jammu and Kashmir के श्रीनगर में 34 साल बाद निकला आठवें दिन का मुहर्रम जुलूस
Jammu and Kashmir श्रीनगर ! जम्मू-कश्मीर के श्रीनगर में 34 साल बाद गुरु बाजार से शिया समुदाय के लोगों ने आठवें दिन का मुहर्रम जुलूस डलगेट मार्ग तक निकाला और यह गुरुवार को शांतिपूर्ण ढंग से संपन्न हो गया।
शिया समुदाय के सैकड़ों लोग गुरु बाजार से शुरू हुए जुलूस में शामिल हुए जो करण नगर, बुदशाह चौक, मौलाना आजाद रोड से होते हुए डलगेट पहुंचे और जहां यह शांतिपूर्वक संपन्न हुआ।
Jammu and Kashmir प्रशासन ने बुधवार को लंबे विचार-विमर्श के बाद सुबह छह बजे से आठ बजे तक दो घंटे के लिए गुरु बाजार से मौलाना आजाद रोड होते हुए डलगेट तक जुलूस निकालने की इजाजत दे दी थी। शांतिपूर्ण मुहर्रम जुलूस के संचालन के लिए अधिकारियों द्वारा त्रिस्तरीय सुरक्षा प्रदान की गई थी। शीर्ष सुरक्षा अधिकारी और नागरिक प्रशासन के अधिकारी भी जुलूस के साथ थे।
पुलिस ने कहा, “यहां शिया भाई इसे जम्मू-कश्मीर के इतिहास में एक ऐतिहासिक दिन के रूप में उद्धृत कर रहे हैं, जो उन दिनों की स्थिति बयां कर रहे थे जब प्रदेश में सामान्य स्थिति हुआ करती थी।”
Jammu and Kashmir पुलिस ने कहा, “आतंकवाद की छाया और अलगाववाद की गंदी राजनीति ने इस तरह के आयोजनों को असंभव बना दिया था, इस तरह की संवेदनशीलता को ध्यान में रखते हुए, इस आयोजन के दौरान हिंसा और आगजनी होने के बाद पिछले तीन दशकों से जुलूस नहीं निकाला गया था।”
शहर में सुबह चार बजे से ही सुरक्षा बल तैनात थे। लोगों के जुलूस शुरू करने से पहले सुबह पांच बजे नाका और कट-ऑफ पॉइंट लगाए गए थे और सुबह के समय यातायात प्रबंधन में किसी तरह की अडचन पैदा नहीं हुई।
जुलूस में 25000 से अधिक लोगों की भीड़ जुटी थी और पूरी तरह अनुशासित एवं शांतिपूर्ण एवं समन्वित थी। पुलिस ने कहा, “यह निश्चित रूप से हमारे लोगों के लिए एक और ऐतिहासिक दिन है।”
वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) श्रीनगर राकेश बलवाल ने मुहर्रम जुलूस के सहयोग और शांतिपूर्ण संचालन के लिए लोगों को धन्यवाद दिया। उन्होंने मीडियाकर्मियों से कहा, “हम मुहर्रम जुलूस के शांतिपूर्ण संचालन के लिए तैयार थे और हमें लोगों से पूरा सहयोग मिला।”
कश्मीर के संभागीय आयुक्त विजय कुमार बिधूड़ी ने बुधवार को कहा था कि पिछले 33 वर्षों से शिया समुदाय की यह लंबे समय से लंबित मांग थी कि आठवें दिन के मुहर्रम जुलूस को श्रीनगर में गुरु बाजार से डलगेट तक वाया मौलाना आजाद रोड होते हुए जाने की अनुमति दी जाए।
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प्रशासन ने इसे बहुत गंभीरता से लिया क्योंकि यह शिया समुदाय के लिए एक भावनात्मक मुद्दा था और जूलुस निकालने की अनुमति दी गयी।