(Indore Dogs) इंदौर में कुत्तों का आतंक, आवारा कुत्तों से जूझ रहे शहरी लोग

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(Indore Dogs) कुत्तों पर दस साल में दस करोड़ रुपये खर्च पर नतीजा शून्य

(Indore Dogs) इंदौर। सफाई का आधा दर्जन बार तमगा हासिल करने वाले शहर में लोग आवारा कुत्तों से जूझ रहे हैं। हर सडक़ पर झुंड में मौजूद कुत्ते रोज तमाम लोगों पर हमला करते हैँ। अस्पतालों में इनकी भीड़ इसका सबूत है।

नगर निगम कुत्तों को पकडता नहीं, वहीं आबादी पर काबू रखने के लिए अफसर नसबंदी की बात करते हैं, मगर उसमें भी कामयाबी नजर नहीं आती। नगर निगम ने कुत्तों की नसबंदी के लिए जिन्हें काम दिया था, उनका वक्त भी पूरा होने पर फिर से टेंडर निकाला है। चार करोड़ रुपए का टेंडर हैं।

(Indore Dogs) अगले महीने टेंडर खुलेंगे। सेहत अफसर डॉ. उत्तम यादव ने बताया कि जिस एजेंसी का टेंडर मंजूर होगा, उसे कुत्तों की नसबंदी की जिम्मेदारी सौंपी जाएगी। तीन साल के लिए करार रहेगा। नगर निगम को कुत्तों की शिकायत रोज ही मिलती है।

लोग मांग करते हैं कि इन्हें पकडक़र ले जाएं, लेकिन नगर निगम इससे इनकार कर देता है। अफसरों का कहना है कि नसबंदी कर जहां से पकड़ा है, वहीं से छोड़ेंगे। कुत्तों को मारने और हटाने का काम वे नहीं कर सकते।

(Indore Dogs) इसमें वे कुछ अड़चनों का जिक्र करते हैं, लेकिन आम-आदमी की जान से खिलवाड़ को लेकर कोई ठोस योजना उनके पास नहीं है। ये कुत्ते न केवल लोगों को काटते हैं, बल्कि इसका असर सफाई पर भी पड़ता है। ये बात खुद सफाई अमला मानता है, लेकिन सब बेबसी जाहिर करते हैं। नगर निगम ने एनजीओ के जरिए दस बरसों में कुत्तों की नसबंदी पर दस करोड़ रुपए से अधिक खर्च कर दिए, जावबजू इसके कुत्तों की आबादी पर काबू नहीं पाया जा सकता। दावा तो यह कि एक लाख 60 हजार से अधिक कुत्तों की तादाद कम होती नहीं दिखती।

(Indore Dogs) साल 2014-15 में हैदराबाद की वेट्स सोसायअी फॉर एनिमल वेलफेयर रूलर एंड डेवलपमेंट और देवास की रेडिक्स इन्फार्मेशन सोशल एजुकेशन सोसायटी कुत्तों की नसबंदी कर रही है। शहर में आज भी दो लाख 24 हजार 873 कुत्ते हैं, जबकि एक लाख 60 हजार 158 कुत्तों की नसबंदी कर दी गई है। दोनों एनजीओ को अभी तक नौ से दस करोड़ रुपए का भुगतान नगर निगम कर चुका है। अफसर कहते हैं कि नसबंदी के बाद पिल्ले कम नजर आ रहे हैं, जमीनी हकीकत इससे जुदा है।

अभी तक इन पर नियंत्रण नहीं पाया है। एनजीओ की तरफ से कहा जाता है कि बराबर नसंबदी की जा रही है, लेकिन सवाल ये है कि फिर इनकी तादाद घट क्यों नहीं रही। शहर के हर इलाके और चौराहों पर कुत्तों के झुंड बैठे रहते हैं, जो आने-जाने वाले वाहन चालकों के साथ ही बच्चों पर हमला कर देते हैं। इससे वाहन दुर्घटना में भी कई लोग घायल हो गए हैं।

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