Indian security : भारतीय सुरक्षा में चीन की सेंधमारी
ताइवान को धमकाने, अमेरिका को आंखें दिखाने की आड़ में चीन कुछ अलग ही खिलवाड़ कर रहा है। दरअसल चीन का युआन वांग-5 ट्रैकिंग शिप 11 अगस्त को श्रीलंका के हंबनटोटा पोर्ट पहुंचने वाला है।
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ये एक हाईटेक जासूसी उपकरणों से लदा हुआ ऐसा जहाज है कि जो 750 किलोमीटर दूर से किसी की भी फुसफुसाहट को भी स्पष्ट रूप से सुन और रिकॉर्ड कर सकता है।
चीन की कोशिश भारत की जासूसी करना है। 400 क्रू वाला यह शिप पैराबोलिक ट्रैकिंग एंटीना और कई सेंसर्स से लैस है।
हंबनटोटा पोर्ट पर पहुंचने के बाद इस शिप की पहुंच दक्षिण भारत के प्रमुख सैन्य और परमाणु ठिकाने जैसे कलपक्कम, कुडनकुलम तक होगी। साथ ही केरल, तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश के कई पोर्ट यानी बंदरगाह चीन के रडार पर होंगे।
कुछ एक्सपर्ट का यह भी कहना है कि चीन भारत के मुख्य नौसैना बेस और परमाणु संयंत्रों की जासूसी के लिए इस जहाज को श्रीलंका भेज रहा है।
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शिप में हाई-टेक ईव्सड्रॉपिंग इक्विपमेंट (छिपकर सुनने वाले उपकरण) लगे हैं। यानी श्रीलंका के पोर्ट पर खड़े होकर यह भारत के अंदरूनी हिस्सों तक की जानकारी जुटा सकता है।
साथ ही पूर्वी तट पर स्थित भारतीय नौसैनिक अड्डे इस शिप की जासूसी के रेंज में होंगे। कुछ मीडिया रिपोर्ट में दावा किया जा रहा है कि चांदीपुर में इसरो का लॉन्चिंग केंद्र की भी इससे जासूसी हो सकती है।
इतना ही नहीं देश की अग्नि जैसी मिसाइलों की सारी सूचना जैसे कि परफॉर्मेंस और रेंज के बारे में जानकारी चुरा सकता है।
चीन की इस जासूसी के पीछे कारण ये है कि भारत ने इन दिनों अपनी मिसाइलों तमाम बदलाव किए हैं। चीनी वैज्ञानिकों को इनकी काट खोजने में पसीने छूट गए। पैसे जो बर्बाद हुए सो अलग।
डीआरडीओ के पेंच की काट खोजने में चीनी जासूसों को मुंह की खानी पड़ी। अब उसने युआन वांग -5 को इस काम पर लगाया है। भारतीय नौसेना इसकी कड़ी निगहबानी कर रही है।
तो वहीं भारतीय आपत्तियों पर चीनी कर्जदार श्रीलंका कुछ भी बोलने को तैयार नहीं है। भारत सरकार को चाहिए कि वो इस खतरे से निपटने के लिए पूरी ताकत के साथ इसका मुकाबला करे, ताकि चीन की ये चाल भी कामयाब न हो सके।