Importance of Dhanteras : धनतेरस पर सोना-चांदी और बर्तन खरीदने की रही है परंपरा

Importance of Dhanteras :

Importance of Dhanteras : धनतेरस पर सोना-चांदी और बर्तन खरीदने की रही है परंपरा

Importance of Dhanteras : पटना !   धनतेरस के दिन नये बर्तन या सोना-चांदी खरीदने की परम्परा है। पंचांग के अनुसार हर साल कार्तिक कृष्ण की त्र्योदशी के दिन धन्वन्तरि त्र्योदशी मनायी जाती है, जिसे आम बोलचाल में धनतेरस कहा जाता है। यह मूलतः धन्वन्तरि जयंती का पर्व है और आयुर्वेद के जनक धन्वन्तरि के जन्म दिवस के रूप में मनाया जाता है। भारतीय संस्कृति में स्वास्थ्य का स्थान धन से ऊपर माना जाता रहा है। यह कहावत आज भी प्रचलित है ‘पहला सुख निरोगी काया, दूजा सुख घर में माया’ इसलिए दीपावली में सबसे पहले धनतेरस को महत्व दिया जाता है। यह भारतीय संस्कृति के सर्वथा अनुकूल है।

धनतेरस के दिन नये बर्तन या सोना-चांदी खरीदने की परम्परा है। इस पर्व पर बर्तन खरीदने की शुरुआत कब और कैसे हुई इसका कोई निश्चित प्रमाण तो नहीं है लेकिन ऐसा माना जाता है कि जन्म के समय धन्वन्तरि के हाथों में अमृत कलश था। यही कारण होगा कि लोग इस दिन बर्तन खरीदना शुभ मानते हैं। कहा जाता है कि धनतेरस के दिन जो भी बर्तन खरीदा जाए तो इस पात्र में जितनी क्षमता होती है उससे तेरह गुना धन और ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है।

Importance of Dhanteras :  धनतेरस के दिन सोने और चांदी के बर्तन, सिक्के तथा आभूषण खरीदने की परम्परा रही है। सोना सौंदर्य में वृद्धि तो करता ही है मुश्किल घड़ी में संचित धन के रूप में भी काम आता है। कुछ लोग शगुन के रूप में सोने या चांदी के सिक्के भी खरीदते हैं। बदलते दौर के साथ लोगों की पसंद और जरूरत भी बदली है इसलिए इस दिन अब बर्तनों और आभूषणों के अलावा वाहन, मोबाइल भी खरीदे जाने लगे हैं।वर्तमान समय में देखा जाए तो मध्यमवर्गीय परिवारों में धनतेरस के दिन वाहन खरीदने का फैशन सा बन गया है। इस दिन ये लोग गाड़ी खरीदना शुभ मानते हैं। कई लोग तो इस दिन कम्प्यूटर और बिजली के उपकरण भी खरीदते हैं।

रीति-रिवाजों से जुड़ा धनतेरस आज व्यक्ति की आर्थिक क्षमता का सूचक बन गया है। एक तरफ उच्च और मध्यम वर्ग के लोग धनतेरस के दिन विलासिता से भरपूर वस्तुएं खरीदते हैं तो दूसरी ओर निम्न वर्ग के लोग जरूरत के सामान खरीदकर धनतेरस का पर्व मनाते हैं। इसके बावजूद वैश्वीकरण के इस दौर में भी लोग अपनी परम्परा को नहीं भूले हैं और अपने सामर्थ्य के अनुसार यह पर्व मनाते हैं।

Importance of Dhanteras :  पौराणिक कथाओं में धन्वन्तरि के जन्म का वर्णन करते हुए बताया गया है कि देवता और असुरों के समुद्र मंथन से धन्वन्तरि का जन्म हुआ था। वह अपने हाथों में अमृत कलश लिए प्रकट हुए थे। इस कारण उनका नाम पीयूषपाणि धन्वन्तरि विख्यात हुए। उन्हें विष्णु का अवतार भी माना जाता है।परम्परा के अनुसार, धनतेरस की संध्या को यम के नाम का दीया घर की देहरी पर रखा जाता है और उनकी पूजा करके प्रार्थना की जाती है कि वह घर में प्रवेश न करें और किसी को कष्ट न पहुंचाएं। देखा जाए तो यह धार्मिक मान्यता मनुष्य के स्वास्थ्य और उसके दीर्घायु जीवन से प्रेरित है।

यम के नाम का दीया बाहर निकालने के बारे में भी एक पौराणिक कथा है। एक बार राजा हिम ने अपने पुत्र की कुंडली बनवायी। इसमें यह बात सामने आयी कि शादी के ठीक चौथे दिन सांप के काटने से उसकी मौत हो जाएगी। हिम की पुत्रवधू को जब इस बात का पता चला तो उसने निश्चय किया कि वह हर हाल में अपने पति को यम के कोप से बचाएगी। शादी के चौथे दिन उसने पति के कमरे के बाहर घर के सभी जेवर और सोने-चांदी के सिक्कों का ढेर बनाकर उसे पहाड का रूप दे दिया और खुद रात भर बैठकर उसे गाना और कहानी सुनाने लगी ताकि उसे नींद न आए।
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रात के समय जब यम सांप के रूप में उसके पति को डसने आये तो वह आभूषणों के पहाड़ को पार नहीं कर सके और उसी ढ़ेर पर बैठकर गाना सुनने लगे। इस तरह पूरी रात बीत गई। अगली सुबह सांप को लौटना पड़ा। इस तरह उसने अपने पति की जान बचा ली। माना जाता है कि तभी से लोग घर की सुख-समृद्धि के लिए धनतेरस के दिन अपने घर के बाहर यम के नाम का दीया निकालते हैं ताकि यम उनके परिवार को कोई नुकसान न पहुंचाए।

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